मंगलवार, 14 अप्रैल 2009

एपार जौनपुर - ओपार जौनपुर ....







अंतिम भाग .


1402 AD में मुबारक शाह की मृत्यु हो गयी .इसके बाद उसका भाई इब्राहिमशाह शर्की (1402 AD- 1440 AD) जौनपुर राज सिंहासन पर बैठा . इब्राहिमशाह के बाद उसका पुत्र महमूद्शाह फिर हुसैन शाह तथा अन्ततः जौनपुर 1479 AD के बाद दिल्ली सल्तनत का भाग बन गया . जौनपुर में सरवर से लेकर शर्की बंधुओं ने 75 वर्षों तक स्वंतंत्र राज किया .इब्राहिमशाह शर्की के समय में जौनपुर सांस्कृतिक दृष्टी से बहुत उपलब्धि हासिल कर चुका था .उसके दरबार में बहुत सारे विद्वान थे जिन पर उसकी राजकृपा रहती थी .तत्कालीन समय में उसके राज -काल में अनेक ग्रंथों की रचना की गयी .उसी के समय में जौनपुर में कला -स्थापत्य में एक नयी शैली का जनम हुआ,




जिसे जौनपुर अथवा शर्की शैली कहा गया .कला -स्थापत्य के इस शैली का निदर्शन यहाँ पर आज भी अटाला मस्जिद में किया जा सकता है ।




कहा जाता है कि शेरशाह सूरी की सारी शिक्षा -दीक्षा जौनपुर में ही हुई थी . कहा जाता है कि जौनपुर में इब्राहिमशाह शर्की के समय में इरान से 1000 के लगभग आलिम (विद्वान् ) आये थे जिन्होंने पूरे भारत में जौनपुर को शिक्षा का बहुत बडा केंद्र बना दिया था . इसी कारण जौनपुर को शिराज़े हिंद कहा गया .शिराज का तात्पर्य श्रेष्ठता से होता है .दरअसल तत्कालीन दौर में जौनपुर शिक्षा का बहुत बडा केंद्र बन गया था .


इस प्रकार हम देखतें हैं कि विभिन्न संस्कृतियों का साक्षी रहा यह जनपद अपनें इतिहास के क्रमबध्ध लेखन हेतु पुरातात्विक उत्खननों की प्रतिक्षा में है ,बगैर इन पुरातात्विक उत्खननों के जौनपुर का प्रारंभिक इतिहास उद्घाटित एवं प्रकाशित नहीं किया जा सकता .क्रमबद्ध इतिहास लेखन के लिए बगैर ठोस साक्ष्यों के ,संकेतक साक्ष्य आज भी बेमानी प्रतीत हो रहें हैं . आज तो पुरातत्व उत्खनन के लिए हमारे पास विकसित और समुन्नत तकनीक है ,यदि भविष्य में जौनपुर के चुनिन्दा स्थलों पर पुरातात्विक उत्खनन संपादित करवा दिए जाएँ तो उत्तर भारत का इतिहास ही नहीं अपितु प्राचीन भारतीय इतिहास के कई अनसुलझे सवालों का जबाब भी हमें यहाँ से मिल जायेगा ।


39 टिप्‍पणियां:

  1. अजी वाह बहुत ही प्राचीन संपदा समेटे हुए है जौनपुर अपने आप में बेहतरीन आपका आभार जानकारी देने के लिए

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  2. किसी विश्व विद्यालय का प्राचीन इतिहास विभाग उत्खनन का कार्य करवा सकता है. आप के जैसे दो चार लोग मिल जाएँ तो प्रेरित किया जा सकता है. राज्य के पुरातत्व विभाग यदि करना चाहे तो बहुत सी अटकलें आती हैं. हमारे पास जौनपुर सुल्तानों के चांदी के सिक्के हैं. फोटो निकालनी होगी. जौनपुर के बारे में इस विस्तृत लेख माला के लिए आभार.

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  3. @ आपसे निवेदन है कि उन सिक्कों के तस्वीरें मुझ तक जरूर भेंजे .हो सकता है उससे ही कुछ ज्ञान वर्धन हो सके .

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  4. जौनपुर के बारे में इतना विस्तार से पहली बार पढ़ा। अब तो आज के जौनपुर के बारे में जानने की उत्कंठा हो गई है। मिश्र जी के सौजन्य से वह भी पूरी हो ले।

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  5. आपके जौनपुर के बारे में बहुत जानकारी मिल रही है ... शुक्रिया।

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  6. जौनपुर के बारे में इतनी तफसील से जानकारी देने के लिये धन्यवाद। पिछली पोस्टें भी ध्यान से पढता रहा हूँ....खुद भी जौनपुरी होने के कारण शायद ललक ज्यादा रही हो। वैसे जब भी अपने पैतृक निवास जौनपुर जाना होता है लौटने का मन नहीं करता पर नौकरी जो न कराये :)

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  7. आज भी हमेशा की तरह ज्ञानवर्धक पोस्ट .

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  8. आज भी हमेशा की तरह ज्ञानवर्धक पोस्ट .

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  9. बहुत बढिया तरीके से समझाया है आप्ने जौनपुर को.

    रामराम.

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  10. आप ने इन ६ खंडो में जौनपुर के सभी खंडो का जो सजीव चित्रण किया है उसके लिए आप का धन्यवाद । शायद ही किसी और ने जौनपुर को इतनी बारीकी से परखा होगा ।

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  11. आपने जौनपुर देखने के लिए लालायित कर दिया है...हमने सोचा ही नहीं था की ये इतनी खूबसूरत जगह है...बहुत अच्छी रही ये श्रृंखला...
    नीरज

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  12. .वाकई एक शहर अपने भीतर कितना कुछ समेटे रहता है

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  13. इसी बहाने जौनपुर का इतिहास तैयार हो रहा है।

    -----------
    तस्‍लीम
    साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

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  14. मस्जिदों की स्‍थापत्‍य कला रोमांच पैदा कर रही है। आपने तो जौनपुर की छवि ही बदल दी।

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  15. बहुत परिश्रम से तैयार की गयी जानकारीपूर्ण श्रृंखला रही. कभी मौका मिला तो जरूर जौनपुर की सैर की जायेगी.

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  16. 'शिराज़े हिंद 'कहा गया था इस शहर को.बहुत खूब!
    नयी जानकारी मिली.मस्जिद की कलाकारी देखते ही बनती है मगर रखरखाव नहीं हो प् रहा है.ऐसा लगता है.
    हो सकता है पुरातत्व विभाव इस और ध्यान दे!

    हाल ही में टी वी पर जौनपुर के एक नेता की खबर थी.
    उस समय याद आया आप के द्वारा दिए गए विवरण.
    [वह कवरेज किसी पिछडे इलाके की थी. ]

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  17. बहुत सुन्दर! पर यह अहसास भी होता है आपकी पोस्ट सीरीज को पढ़ने के बाद; कि कालान्तर में यह प्रांत सो गया - बहुत फिसलता गया समय की फिसलपट्टी पर।
    वही हाल जौनपुर का भी हुआ होगा।

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  18. जौनपुर के बारे में जानकारी पाकर बहुत अच्छा लग रहा था पर ये अंतिम भाग है इसे पढ़ कर दुःख हुआ , कृपया और जानकरी उपलब्ध कराये जिससे हम और ज्यादा गर्व से कह सके की हम जौनपुरी है (वैसे हम जौनपुरी है , इस बात का गर्व हमें पहले भी था और आज भी है ).
    जय जौनपुर

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  19. JAUNPUR KAYEE BAR JANA HUA HAI . MEREE SASURAL HAI . IN SAB JAGHON PE JANA HUA HAI AUR KUCH JANNA BHEE . PAR ITNE SUNDAR DHANG SE SAB JANNE AUR SANGRAHIT KARNE KA AANAND AAPNE DIYA .

    MEREE BETEE PICHLE SAL NANIHAL GAYEE TO INME SE KAFEE JAGHEN DEKHNE GAYEE .PAR STHANIY LOG BAS IDHAR UDHAR KEE HEE BATA PAYE .
    MUJHE AANAND HOGA KI USE SAB DETAILS DE PAOONGA .

    HAAN IN SAB DHAROHARON KEE IS HAD TAK UPEKSCHA DUKHEE HEE KARTEE HAI .

    AAPKA AABHAR !

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  20. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  21. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  22. श्रृखला के ऐतिहासिक पहलू तो पूरे हो गए पर सांस्कृतिक और कई समकालीन पहलू छूट गए हैं -जौनपुर ने कई विश्व प्रसिद्द वैज्ञानिकों ,तकनीशियनों को जन्म दिया ! डॉ लालजी सिंह डी एन ए अंगुलिछाप के भारतीय संस्करण के जनक ,कोलम्बिया शटल के जैव संक्रमण परिवेश की संकल्पना और डिजायनिंग करने वाले नासा के वैज्ञानिक डॉ सरोज कुमार मिश्र आदि कई ऐसी विभूतियाँ हैं जिन्हें हिन्दी ब्लॉग जगत अवश्य जानना चाहेगा !
    साथ ही जौनपुर के जमैथे का खरबूजा ,मूली .और इमरती की जानकारी -इत्र और राग जौनपुरी भला कौन ब्लागर चखना ,सूंघना और सुनना पसंद नहीं करेगा ! बुलबुलों की लड़ाई शायद और ही कहीं इतने भव्य तरीके से आयोजित होती हो ! मुझे नहीं लगता की इन सांकृतिक बिन्दुओं पर ब्लॉग के सुधी और जिज्ञासु जनों की रूचि नहीं होगी ! इसलिए जौनपुर जल्पना तो जारी रहे तभी मजा आयेगा !

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  23. ARVIND MISHRA JEE NE MERE BHEE MAN KEE BAAT KAH DEE .KHAS KAR JAUNPUR KEE MOOLEE, IMARATEE AUR ITRA KEE CHARCHA HO JAYE THODEE .
    MAIN SAMAJHATA HOON KI YADI AAP JAISE JIGYANSU EK EK JILA HEE PAKAD LEN TO POORE BHARAT KEE KHIDKEE KHUL SAKTEE HAI .

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  24. jaunpur par aapki reserch aajkai bhaago me poori ho gayi.. yah yatra bahut achchi lagi... shukria...

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  25. इलाहाबाद से गोरखपुर की रोडवेज की बस से कई साल तक यात्रा करता रहा हूँ। बीच के दो पड़ाव जौनपुर और आजमगढ़ में पड़ते थे। जौनपुर बस अड्डे की सूरत ही मेरे मन में जौनपुर का प्रतिनिधित्व करती रही है।

    आपकी श्रृंखला के बाद यह तस्वीर काफ़ी हद तक बदल जाएगी। शुक्रिया।

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  26. जौनपुर के बारे में आपने पोस्ट में बढ़िया जानकारी प्रदान की है और एतिहासिक जानकारी बहुत ही उम्दा है . आभार.

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  27. बहुत अच्छी जानकारी दी है जौनपुर की।आभार।

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  28. वाह इतनी रोचक जानकारी ..............क्या कुछ समेट हुवा है जौनपुर ने ................... बेहतरीन खोजो पोस्ट है आपकी .........आभार जानकारी देने के लिए. दरअसल पहली बार विस्तार से पढ़ा किसी भी शहर के बारे में.

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  29. मनोजजी
    बहुत अच्छा काम कर रहे हैं आप। किसी भी शहर के बारे में उस शहर के लोगों को भी इस तरह से नहीं पता होगा। जौनपुर मैं कई सालों से आता-जाता रहा हूं एक जातिवादी चंगुल में फंसे पिछड़े शहर से ज्यादा छवि नहीं बना पाई। अच्छा है इस तरह से शहर के बारे में काफी कुछ पता चला।

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  30. मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !

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  31. जौनपुर के बारे में इस विस्तृत लेख माला के लिए आभार.

    तमाम जानकारियों से ज्ञानवर्धन हुआ.

    बधाई स्वीकार करें.

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  32. Thank God, a ghat is still there, no wonder temple looks bit new.

    Interesting information.

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  33. वाह!इसई को बांचने के लिये बाकी पोस्टें बांच डालीं!

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे ब्लॉग जीवन लिए प्राण वायु से कमतर नहीं ,आपका अग्रिम आभार एवं स्वागत !