tag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post3638469109669520557..comments2023-10-17T04:40:05.017-07:00Comments on मा पलायनम !: मगर मेरे बेटे कचहरी न जानाडॉ. मनोज मिश्रhttp://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-64802475700978604912019-03-10T14:16:16.346-07:002019-03-10T14:16:16.346-07:00yeh kaun c kavita hai,himanshu ji..
yeh kaun c kavita hai,himanshu ji..<br />ANANThttps://www.blogger.com/profile/17243023048679689978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-50377310977864771632018-02-04T05:19:35.310-08:002018-02-04T05:19:35.310-08:00झुठे मुकदमें और गलत काम करते है खुद लोग,
फिर फीस ल...झुठे मुकदमें और गलत काम करते है खुद लोग,<br />फिर फीस ले कर चोरों/कातिलों/ बलात्कारियों की गलत पैरवी करते है वकील,<br />पर बदनाम होती है सिर्फ अदालतें ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01544372966422403486noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-72293291392092469932010-04-17T20:50:43.440-07:002010-04-17T20:50:43.440-07:00ये तो बांच चुके हैं!ये तो बांच चुके हैं!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-38718832437572134862009-05-27T23:32:35.516-07:002009-05-27T23:32:35.516-07:00कितनी आश्चर्यजनक बात है ना कि पिछले ३० सालों में क...कितनी आश्चर्यजनक बात है ना कि पिछले ३० सालों में कचहरी के हालात जस के तस हैं, कुछ भी नहीं बदला...छोटी-छोटी बातों के लिए कचहरी के चक्कर लगाना किसी को पसंद नहीं....मगर मजबूरी सब करवाती है....भगवान बचाए इस कचहरी के चक्कर से.....<br /><br />साभार<br /><A HREF="http://woyaadein.blogspot.com/" REL="nofollow">हमसफ़र यादों का.......</A>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-85100799692936382672009-05-27T15:20:20.348-07:002009-05-27T15:20:20.348-07:00जबर्दस्त कविता है गौतम जी की। पढ़वाने का शुक्रिया ...जबर्दस्त कविता है गौतम जी की। पढ़वाने का शुक्रिया मनोज भाई...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-4249885743811431972009-05-26T18:23:53.343-07:002009-05-26T18:23:53.343-07:00आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत बढ़िय...आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!<br />बहुत बढ़िया लिखा है आपने कचहरी पर! मैं तो कचहरी से कोसों दूर रहती हूँ!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-16927452260609867222009-05-22T03:46:22.101-07:002009-05-22T03:46:22.101-07:00क्या बात है मनोज जी, आप भी कचेहरी में फंसे हुए हैं...क्या बात है मनोज जी, आप भी कचेहरी में फंसे हुए हैं क्या?<br /><A HREF="http://alizakir.blogspot.com/" REL="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</A> <br /><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </A><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">& SBAI }</A>adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-53750611919132543012009-05-19T20:16:49.121-07:002009-05-19T20:16:49.121-07:00सोच रहा हूँ कि टिप्पणी करुँ या नही, गर किसी वकील न...सोच रहा हूँ कि टिप्पणी करुँ या नही, गर किसी वकील ने मेरी टिप्पणी पर ही कचहरी का मुख दिखला दिया तो मेरा तो जो होगा सों होगा पर लेख के हिसाब से मेरी पुश्तें भी झेलेंगी.....आपने तो न्याय के दरबार से ही डरा दिया.............<br /><br />चन्द्र मोहन गुप्तMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-49526543816964580742009-05-19T02:46:00.000-07:002009-05-19T02:46:00.000-07:00Kachharee ka sahee aur katu chitra samne rakkha ha...Kachharee ka sahee aur katu chitra samne rakkha hai ,badhai.<br />mere blog par protsahan dene ke liye dhanyvad.Best of luck .karunahttps://www.blogger.com/profile/00236472279067082613noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-79666574066960921712009-05-18T03:59:00.000-07:002009-05-18T03:59:00.000-07:00अरे मनोज जी वकील छोड सभी का दर्द उजागर कर दिय आप्न...अरे मनोज जी वकील छोड सभी का दर्द उजागर कर दिय आप्ने .जरा हमारे यहन आयि के चखि लो जोर्दार ’तडका ’ लगावा गवा बा .RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-33400159038733181172009-05-17T06:00:00.000-07:002009-05-17T06:00:00.000-07:00कैलाश जी की याद दिला दी आपने. मैंने मंच पर उनके श्...कैलाश जी की याद दिला दी आपने. मैंने मंच पर उनके श्रीमुख से यह कविता सुनी. कानपुर, फर्रूखाबाद, इटावा, दिल्ली आदि के कविसम्मेलनों में उनका सान्निध्य आज भी याद है. बहुत ही जीवंत व्यक्ति थे कैलाश जी. खैर.... आपकी प्रस्तुति के लिये साधुवाद..योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-78938406482329529512009-05-15T13:42:00.000-07:002009-05-15T13:42:00.000-07:00aaj bhi yah kavita utni hi prasangik hai jitni tab...aaj bhi yah kavita utni hi prasangik hai jitni tab rahi hogi.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-87434303149412147592009-05-15T11:00:00.000-07:002009-05-15T11:00:00.000-07:00कचहरी का यथार्थ तो यही है. रचना पसंद आई. और आपकी इ...कचहरी का यथार्थ तो यही है. रचना पसंद आई. और आपकी इस पोस्ट की बदौलत हम ज्ञान भैया का कविता पाठ भी सुन आये.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-54543237741237321292009-05-15T10:14:00.000-07:002009-05-15T10:14:00.000-07:00ये कविता मैनें उनकी आवाज़ में सुनी थी,याद दिलाने के...ये कविता मैनें उनकी आवाज़ में सुनी थी,याद दिलाने के लिये धन्यवाद...पर मेरे पेट पर लात क्यों मारते हो कमेन्ट देने वालों..........हर मुकदमें में एक व्यक्ति सही होता है और एक व्यक्ति जरूर गलत होता है।जो सही है उसे अपने आप को सही साबित करने के लिये कचहरी तो जाना ही पडेगा.....प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-30296189675460653922009-05-15T07:46:00.000-07:002009-05-15T07:46:00.000-07:00बहुत नयेपन का अनुभव हुआबहुत नयेपन का अनुभव हुआVinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-59660614883251261442009-05-15T04:33:00.000-07:002009-05-15T04:33:00.000-07:00कविता बहुत अच्छी लगी ..कचहरी और अस्पताल जाने से हर...कविता बहुत अच्छी लगी ..कचहरी और अस्पताल जाने से हर इंसान दूर ही रहे तो अच्छारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-22898518215113585462009-05-15T03:57:00.000-07:002009-05-15T03:57:00.000-07:00कैलाश गौतम की ये कविता वाकई आज भी इतनी ही प्रासंगि...कैलाश गौतम की ये कविता वाकई आज भी इतनी ही प्रासंगिक है जितनी पहले..................आपने सही लिखा है..........हमारे देश में न्याय की गति इतनी धीरे है की ............उसका प्रभाव ही ख़त्म हो जाता है..........<br />मैं मानता हूँ की हमारी व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है...............सुधार की आवश्यकता हैदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-38223908113860116972009-05-15T02:57:00.000-07:002009-05-15T02:57:00.000-07:00कैलाश भाई का अक्स आपने सामने खड़ा कर दिया. उनकी लेख...कैलाश भाई का अक्स आपने सामने खड़ा कर दिया. उनकी लेखनी को फिर-फिर सलाम. और तुर्रा ये कि इसे कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट न माना जाए.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-33634472680658085632009-05-15T01:26:00.000-07:002009-05-15T01:26:00.000-07:00कचहरी से तो रब ही बचाए।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Se...कचहरी से तो रब ही बचाए।<br /><A HREF="http://alizakir.blogspot.com/" REL="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</A> <br /><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </A><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">& SBAI }</A>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-67142937733383983982009-05-15T00:11:00.000-07:002009-05-15T00:11:00.000-07:00aap ne kafi achha vyang likha kacahri k baare me ...aap ne kafi achha vyang likha kacahri k baare me .maza aagayajaagte rahohttps://www.blogger.com/profile/05945200341419519032noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-13911670398959813182009-05-14T11:37:00.000-07:002009-05-14T11:37:00.000-07:00आप ने कचहरी के सम्बन्ध में तीन दशक पुरानी कविता लि...आप ने कचहरी के सम्बन्ध में तीन दशक पुरानी कविता लिखी है। लेकिन यह तो हजार साल से भी पुरानी बात है। विष्णु शर्मा चाणक्य ने लिखा था राजा को न्याय करना चाहिए जिस से उस के विरुद्ध विद्रोह न हो। कचहरी की भूमिका तब सामंती साम्राज्य के लिए जो थी कमोबेश आज के जनतंत्र में भी वही बनी हुई है। इस के लिए आमूल चूल परिवर्तनों की आवश्यकता है। सब से पहले तो मौजूदा से चार गुना संख्या में अदालतों की जरूरत है। जब अदालतें पर्याप्त होंगी तो बहुत सी चीजें स्वतः ठीक होंगी। बहुत सी प्रयासों से सुधरेंगी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-85562272901511246062009-05-14T11:04:00.000-07:002009-05-14T11:04:00.000-07:00कैलाश गौतम की इस कविता का प्रभाव गहरा है । पूर्वां...कैलाश गौतम की इस कविता का प्रभाव गहरा है । पूर्वांचल में तो यह कविता जन जन की जुबान पर है । <br />इस प्रस्तुति के बहाने कैलाश जी की एक और कविता पढ़-सुन ली ज्ञान जी के लिंक से । सबसे बड़ी बात उनकी आवाज में "इ शहर न मरी " नामक कविता सुनना है । <br />आभारHimanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-18272038103307523932009-05-14T10:41:00.000-07:002009-05-14T10:41:00.000-07:00सही कहा आपने ...भगवान् बचाए कचहरी से ..सही कहा आपने ...भगवान् बचाए कचहरी से ..शेफाली पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14124428213096352833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-72493447157939634812009-05-14T10:10:00.000-07:002009-05-14T10:10:00.000-07:00आपने कचहरी के बारे में एकदम सही लिखा है जब मै ग्रे...आपने कचहरी के बारे में एकदम सही लिखा है जब मै ग्रेजुअशन कर रहा था तो बहुत से वकील साहेबान मेरे साथ जाते थे । आज उनकी याद आप ने दिला दी ,मैंने भी उन्हें कचहरी का संधि - विच्छेद बताया था आज उसे सबको बताने का मौका आपने मुझे दिया है मने कहा था की .....कचहरी वह जगह है जहाँ हरी-हरी नोटों के लिए सुबह-सुबह कच-कच शुरू हो जाती है ,...यदि कोई वकील भाई इस बात को पढ़े तो कृपया बुरा न मने । अच्छी और मनोरंजक प्रस्तुति .........Saiyed Faiz Hasnainhttps://www.blogger.com/profile/11475873328296499990noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-39233179705899809852009-05-14T10:07:00.000-07:002009-05-14T10:07:00.000-07:00भाई हमारे यहां कहावत है कि मौत, मुकदमा और मंदी इन ...भाई हमारे यहां कहावत है कि मौत, मुकदमा और मंदी इन से बचकर रहना चाहिये. आदमी का जब खराब समय आता है तब ही इनसे पंगा लेता है. बहुत बढिया लिखा आपने.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.com