tag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post7106034244476400779..comments2023-10-17T04:40:05.017-07:00Comments on मा पलायनम !: क्या अध्ययन समाप्ति के बाद, उपाधि देते समय दिया जाने वाला उपदेश महज़ परिपाटी या औपचारिकता बन कर रह गया हैं???डॉ. मनोज मिश्रhttp://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-42123610790644042272010-04-17T20:13:30.164-07:002010-04-17T20:13:30.164-07:00सुन्दर फोटो देख डाले।सुन्दर फोटो देख डाले।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-58089050330543506592010-01-31T19:59:27.305-08:002010-01-31T19:59:27.305-08:00'दीक्षांत समारोह 'भी मात्र एक ओपचारिकता ब...'दीक्षांत समारोह 'भी मात्र एक ओपचारिकता बन कर रह गया है.ये उपदेश को याद भी नहीं रह पाते..<br />उन्हें जीवन में उतारने की बात बहुत दूर है.रस्म अदायगी ही तो रह गये हैं ये आयोजन.<br />प्रस्तुत लेख में सही चिंतन है.<br /><br />-विश्वविद्यालय की तस्वीर बहुत सुंदर हैं और पोस्ट की प्रस्तुति भी आकर्षक.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-3550936208637303572010-01-28T09:07:42.444-08:002010-01-28T09:07:42.444-08:00बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति के लिये आभार एवं शुभकाम...बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति के लिये आभार एवं शुभकामनायेंसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-3403736236560831492010-01-25T10:56:43.997-08:002010-01-25T10:56:43.997-08:00Gantantr diwas kee dheron badhayee ho!Gantantr diwas kee dheron badhayee ho!shamahttps://www.blogger.com/profile/15550777701990954859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-41918700403082443782010-01-24T23:29:21.701-08:002010-01-24T23:29:21.701-08:00बहुत विस्त्रात रिपोर्ट है .......... ये बात सच है ...बहुत विस्त्रात रिपोर्ट है .......... ये बात सच है की आज हर चीज़ में आडंबर बढ़ता जा रहा है ..... ओपचारिकता मात्र रह गयी है ..........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-77766944724336216962010-01-24T22:29:47.775-08:002010-01-24T22:29:47.775-08:00रस्म अदायगी तो हर जगह है...मगर बहुत कुछ मिल भी जात...रस्म अदायगी तो हर जगह है...मगर बहुत कुछ मिल भी जाता है...इन प्रोग्रामों से....सार सार को गहि रहे थोथा देई उडाय....!Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-20222159401202912502010-01-24T08:17:00.304-08:002010-01-24T08:17:00.304-08:00कभी-कभी मुझे भी लगता है कि हम औपचारिकता व आडंबर पस...कभी-कभी मुझे भी लगता है कि हम औपचारिकता व आडंबर पसंद लोगों के समाज हैं. चाहे चिकित्सक, पुलिस आदि की ’ओथ’ की बात हो या शासकीय, संवैधानिक पद सम्हालने के समय की ’शपथ’ सब औपचारिकता मात्र बन जाता है, थ्योरी और प्रैक्टिकल मे बहुत अंतर है हमारे यहाँ, और सामाजिक रूप से स्वीकार्य भी, क्या इसी समाज मे कभी ’प्राण जाय पर बचन न जाई’ को शब्दशः जीवन मे उतारा जाता था?..याद आती है महाभारत मे युधिष्ठिर की बालशिक्षा का आधा पाठ- मैं सदैव सच बोलूँगा’!<br /><br />सुंदर सचित्र दीक्षांत समारोह की चर्चा.अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-36552791621564518342010-01-24T06:11:32.094-08:002010-01-24T06:11:32.094-08:00बढ़िया सार्थक विचारणीय प्रस्तुति के लिए आभार......बढ़िया सार्थक विचारणीय प्रस्तुति के लिए आभार....समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-46831967851008825692010-01-22T07:15:53.107-08:002010-01-22T07:15:53.107-08:00ांअज के इस युग मे औपचारिकता के सिवा रहा ही क्या है...ांअज के इस युग मे औपचारिकता के सिवा रहा ही क्या है। सरकार जब शपथ लेती है तो एक औपचारिकता मात्र होती है फिर सरकार के बाकी विभाग भी तो औपचारिकता ही निभायेंगे? बहुत सार्थक विषय पर सवाल उठाया है जो आने वाली पीढियों को झूठ बोलने का सन्देश देता है धन्यवादनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-91908769622575319632010-01-21T10:22:20.058-08:002010-01-21T10:22:20.058-08:00सभी चित्र बहुत सुंदर लगे, जानकारी भी बहुत अच्छी लग...सभी चित्र बहुत सुंदर लगे, जानकारी भी बहुत अच्छी लगी<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-42153212954165444332010-01-21T09:24:19.670-08:002010-01-21T09:24:19.670-08:00kya baat hai sir, Ekdam live reporting. Main to ya...kya baat hai sir, Ekdam live reporting. Main to yadon men kho gaya. itne dino baad fir se university ko dekhna adbhut anubhav.deepakkibatenhttps://www.blogger.com/profile/14301325134751200493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-38202347230406528852010-01-21T07:59:15.625-08:002010-01-21T07:59:15.625-08:00सर !
अब तो औपचारिकताएँ ही ढोई जा रही हैं ...
शिक्ष...सर !<br />अब तो औपचारिकताएँ ही ढोई जा रही हैं ...<br />शिक्षा विभाग हो या न्यायालय , शपथ की हकीकत सबके सामने ही है ...Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-74417086338823588652010-01-21T07:38:17.081-08:002010-01-21T07:38:17.081-08:00डॉ मिस्र जी, दीक्षांत समारोह में ली गई शपथ एक औपचा...डॉ मिस्र जी, दीक्षांत समारोह में ली गई शपथ एक औपचारिकता है। निर्भर इस बात पर करता है की आप इसे कितना सीरियसली लेते हैं और कितना पालन करते हैं।<br />आज छात्रों में मानवीय मूल्यों की कमी नज़र आती है। <br />यह शायद बढती व्यावसायिकता की वज़ह से है, जहाँ पैसे की कीमत , मूल्यों से ज्यादा आंकी जाति है। <br />हमें तो डिग्री हमारे ऑफिस के क्लर्क ने दी थी।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-83009887364406323922010-01-21T07:00:07.929-08:002010-01-21T07:00:07.929-08:00परिपाटियां कुछ समय बाद शरीर से लटके लोथड़े सी हो ज...परिपाटियां कुछ समय बाद शरीर से लटके लोथड़े सी हो जाती है।Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-21036826239409691102010-01-21T05:38:35.051-08:002010-01-21T05:38:35.051-08:00सुना ,देखा और फिर ज़िन्दगी की जद्दो जेहद जारी हो ज...सुना ,देखा और फिर ज़िन्दगी की जद्दो जेहद जारी हो जाती है ..पर होता है यह ही ..रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-46499045444720887852010-01-21T00:15:13.303-08:002010-01-21T00:15:13.303-08:00भव्यता और अलंकारिकता से ज्ञान चक्षु चुधियाये !
आकर...भव्यता और अलंकारिकता से ज्ञान चक्षु चुधियाये !<br />आकर्षक चित्रावलीArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-27454289227714262032010-01-20T22:42:15.921-08:002010-01-20T22:42:15.921-08:00कल जो कुछ भी कहा महामहिम राज्यपाल महोदय ने वह चिंत...कल जो कुछ भी कहा महामहिम राज्यपाल महोदय ने वह चिंतनीय है,की हम सिर्फ शपथ लेते समय कहते है की हम प्रतिज्ञा करते है की हम इस का पालन करेंगे , न की आपने सम्पूर्ण जीवन में उसको उतारते है ......<br />आपकी यह पोस्ट काफी अच्छी लगी इसमें हमें वह भी देखने का मौका मिला जिसे हम संगोष्ठी भवन में रहते हुए नहीं देख सकते थे आप का आभार ...Saiyed Faiz Hasnainhttps://www.blogger.com/profile/11475873328296499990noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-68629699900992308092010-01-20T22:28:04.722-08:002010-01-20T22:28:04.722-08:00---मेरे ख्याल से दीक्षांत के बारे में उपरोक्त संदर...---मेरे ख्याल से दीक्षांत के बारे में उपरोक्त संदर्भित ओशो का विचार सटीक नहीं है क्योंकि यह परम्परा तो आदि कालीन है ,सभ्य मानव समाज से ,ओशो के बहुत-बहुत पहले से --<br />दीक्षांत समारोह में अपने आचार्य,कुलपति और कुलाधिपति के हाथों उपाधि लेना तो हर पढने-लिखने वाले विद्यार्थी का सपना होता है-----तनु श्रीhttps://www.blogger.com/profile/08137749476720593975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-23733097072116773912010-01-20T21:39:45.911-08:002010-01-20T21:39:45.911-08:00बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, आभार ।बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, आभार ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-25300155015958270002010-01-20T21:13:25.670-08:002010-01-20T21:13:25.670-08:00दीक्षांत समारोहों का जिक्र आता है तो मुझे हमेशा ओश...दीक्षांत समारोहों का जिक्र आता है तो मुझे हमेशा ओशो के शब्द याद आते हैं. बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों के दिग्गज किस्म के कर्ता-धर्ता गण ऐसे लिबास में नजर आते हैं जो किसी भी ड्रामाकम्पनी के लिये प्रेरणा का बड़ा स्त्रोत हो सकता है. कुलपति, उपकुलपति हों या नवदीक्षित, सभी ऐसी वेशभूषा बनाते हैं जो किसी सर्कस में भी विदूषकों के अलावा किसी और पर जंच नहीं सकती.<br /><br />शिक्षा के प्रांगण से ये बेवकूफ़ियां अब विदा होनी चाहिये.<br /><br />हास्यास्पद चित्र और मनोरंजक पोस्ट. :o)Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-27358181230988218672010-01-20T21:02:17.392-08:002010-01-20T21:02:17.392-08:00-------विश्वविद्यालय की तस्वीर देख कर मैं तो मंत्र...-------विश्वविद्यालय की तस्वीर देख कर मैं तो मंत्र मुग्ध हो गयी ,और जहाँ तक महामहिम जी की चिंता है वह जायज है----तनु श्रीhttps://www.blogger.com/profile/08137749476720593975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-20143906494805591362010-01-20T21:01:13.307-08:002010-01-20T21:01:13.307-08:00बहुत विस्तृत विवरण दिया आपने. बहुत शुभकामनाएं.
रा...बहुत विस्तृत विवरण दिया आपने. बहुत शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-57330816363560813972010-01-20T20:37:28.207-08:002010-01-20T20:37:28.207-08:00और उसके बाद ये करोडो रूपये डकारेंगे छात्रो द्वारा ...और उसके बाद ये करोडो रूपये डकारेंगे छात्रो द्वारा आत्महत्या रोकने के उपाय करने में :)पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7498896836438070792.post-13497385607158934532010-01-20T20:36:24.725-08:002010-01-20T20:36:24.725-08:00दीक्षांत समारोह की विस्तृत रिपोर्ट के लिए हार्दिक ...दीक्षांत समारोह की विस्तृत रिपोर्ट के लिए हार्दिक शुक्रिया ! आज डिग्रिया ही महज औपचारिकता बन कर रह गई है समारोह की तो बात छोडिये ! अब देखिये न जिन छात्रों ने इन डीम्ड यूनिवर्सिटी से डिग्रियां ली , वे महज ही औपचारिकता मात्र बन गई , हमारे इन देश संचालको की मेहरबानी से , पहले मोटे पैसे खाकर मान्यता दी , अब .....? क्या बोलू ?पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com