मंगलवार, 13 सितंबर 2011

क्या ऐसे ही हम 2020 तक महाशक्ति बनेंगे ?

आज अनवरत पर आदरणीय दिनेश राय द्विवेदी जी का यह आलेख पढ़ रहा था .मैं द्विवेदी जी के विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ क़ि आज-कल मॉस मीडिया में नित्य प्रति कर्मकांड को लेकर तरह- तरह की चर्चा और सुझाव आते रहते हैं जो क़ि पढ़े-लिखे समाज के लिए कोई शुभ संकेत नही है.

आजाद भारत के 64 वर्ष बीत चुके हैं और वैज्ञानिक जागरूकता अभी भी सोचनीय स्थिति में है। प्रति वर्ष देश की प्रगति आख्या के सरकारी शब्द अन्तर्मन को झकझोरते रहते हैं, परन्तु अन्धविश्वास एवं अज्ञानता के कई एक उदाहरण पूरी दुनिया के समक्ष हमारी प्रगति को अंगूठा दिखाते चलते हैं। मीडिया भी इसे खूब महत्व देती है?, मानो तर्क का यही आखिरी पड़ाव हो। यह इस महान देश के लिए भी कितनी असहज करने वाली बात है कि हम 2020 तक महाशक्ति बनने का दावा कर रहे हैं,समूची दुनिया को हम अंतरिक्ष विज्ञान ,अर्थव्यवस्था में चुनौती देने की स्थिति में हैं, वहीं अभी पिछले कुछ वर्ष पूर्व ही मुम्बई शहर के माहिम से बड़ोदरा के तीपल तट तक और बरेली से लेकर समूचे उत्तर भारत में लोगों का भारी हुजूम कहीं समुद्र के जल को मीठा होना चमत्कार मान रहा था या फिर हमारे देवी-देवता पुनः अपने भक्तों और श्रद्धालुओं के हाथों दुग्धपान कर रहे थे। इन घटनाओं को प्रबुद्ध समाज में न तों अनदेखी की जा सकती है और न ही यह उपहास का कारण है। यह गम्भीर चिन्तन एवं मनन का विषय है कि आज मीडिया के क्षेत्र में भी ऐसे जागरूक लोगों की जरूरत है,जो कि नीर-क्षीर का विवेचन कर समाचारों को सार गर्भित रूप में प्रस्तुत कर सकें । आज मनोरंजन के नाम पर जो कुछ परोसा जा रहा है वह सब कुछ ठीक है? यह अपने आप में एक सवाल है। इस महान देश पर आज सांस्कृतिक हमले का बिगुल बज चुका है और क्योंकि हम अभी तक सबको साक्षर नहीं बना पाये हैं, इसलिए यह सब जानकर भी अनजान बनने का नाटक कर रहे हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अभाव में हमारा सब कुछ दांव पर लगा है . अतः आम जन तक वैज्ञानिक जागरूकता के प्रसार के लिए यह आवश्यक है कि जन माध्यमों (मास मीडिया) के माध्यम से वैज्ञानिक संदेश जन-जन तक पहुंचाया जाये ,न की अवैज्ञानिक अवधारणा को . ....
जारी .......

20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया लेख लिखा है आपने !

    हमारे देश ने, विभिन्न क्षेत्रों में जो प्रगति की है वह वाकई उल्लेखनीय है, मगर इस राष्ट्रीय सम्मान का अहसास को मीडिया नहीं करना चाहता क्योंकि वह उसे दिखा कर सरकार को श्रेय नहीं दे सकता !

    विरोधी पक्ष को लगता है हम देश पर गर्व करके, सत्ता पक्ष पर गर्व कर रहे हैं जबकि राजनैतिक पार्टी और देश की प्रगति दोनों अलग अलग चीजें हैं ! देश की बढती आर्थिक और सैनिक शक्ति का श्रेय समस्त पार्टियों को देना चाहिए न कि किसी एक को !

    मगर आर्थिक-सैनिक महाशक्ति बनाने का प्रयास करते देश में, अशिक्षा एक अभिशाप है जिस कारण हमें बाहर वालों के सामने कई बार शर्मिंदा होना पड़ता है !

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  2. उल्टी गंगा बहाकर लोग हाथ धोने मे लगे है

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  3. श्रद्धा और अंधविश्वास के बीच एक महीन रेखा है जो इन दोनों में भेद करती है !
    श्रद्धा पर सवाल नहीं उठा सकते, श्रद्धा हज़ारों दिलों में रौशनी जलाए रखने में समर्थ है !
    हाँ अंध विश्वास पर उंगली अवश्य उठनी चाहिए !
    शुभकामनायें !

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  4. विश्वास श्रद्धा और अंधविश्वास मैं से अन्धविश्वास के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि सत्य क्या है जिसपे विश्वास किया जाए और अंधविश्वास क्या है?
    क्या किसी धर्म मैं विश्वास रखना भी अंधविश्वास है?
    .
    मीडिया को तो वो देना है जिसे अधिक लोग पसंद करें. और लोगों का क्या है, जादू ,टोना ,चमत्कार के नाम पे अपनी मुश्किलों को हल करने का आसान रास्ता तलाशते रहती हैं.

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  5. वैसे इन हालातों में 2120 तक भी आसपास पहुँच जाये इसमें भी संदेह ही रहेगा।

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  6. यहाँ जब तक चमत्कारों में विश्वास रहेगा --अंध विश्वास बना रहेगा ।
    मिडिया को भी चटपटी सामग्री चाहिए ।

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  7. @सतीश भाई साहब,
    आप से सहमत.मेरा भी आशय अन्धविश्वास के प्रति श्रद्धा से ही है.
    आभार .

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  8. जब ऋषि की बात को बिसरा दिया तो आपकी कौन सुनेगा , हरेक को धंधे में लाभ चाहिए आपको भी मुझे भी पंडे को भी और मीडिया को भी , ऐसे कार्यक्रम देखकर टीआरपी बढ़ाने वाले दर्शक भी अपराधी हैं ।

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  9. सुन्दर आलेख. अंध विश्वास के प्रति श्रद्धा, अरे न बाबा न.

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  10. यह स्वप्न कौन देख रहा है कि 2020 तक भारत महाशक्ति बन जाएगा? हाँ अगर कुल जमा 8-10 हजार लोग चाह दें तो निश्चय ही यह सम्भव है। लेकिन वे चाहेंगे ही नहीं जब तक वे मर नहीं जाते।

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  11. अच्छी लगी यह पोस्ट। अंधविश्वास के विरूद्ध लिखे जाने वाले लेखों को ऐसे ही समर्थन की आवश्यकता है।

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  12. बात बिल्कुल सही है पर अधिकांश लोग अब भी यकिन करते हैं. बहुत श्रेष्ठ आलेख.

    रामराम.

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  13. संशयात्मक प्रश्नों के अन्तहीन उत्तर।

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  14. मीडिया को थोडा जिम्मेदार भी होना होगा

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  15. मीडिया के लिए कर्मकांड सहित कुछ भी बिकने वाला TRP भर है बस

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  16. सहमत हूँ..... जब तक ऐसी सोच और माहौल है महाशक्ति बनना तो सपना ही है .....

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  17. जड़ता और गहराई से पाँव पसर रही है..पता नहीं क्या होगा..

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  18. अच्छा है। आगे के लेख बांच ही चुके हैं। :)

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