रविवार, 9 जनवरी 2011
ठंड से बचने के जुगाड़ में जूझती जिन्दगी ........
समय-समय पर जीवन को जीने का अंदाज़ और ढंग परिस्थितियों के हिसाब से कैसे बदल जाते है,अचानक आयी समस्याओं से हम कैसे दो चार हो जाते हैं -इसका सहज अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता . इस समय समूचा पूर्वांचल हाड़तोड़ ठंड के दौर से गुजर रहा है -ठंड से बचने के जुगाड़ में लोग परेशान हैं . सरकारी और गैर सरकारी दोनों स्तर पर लोग-बाग सक्रिय हैं ,गरीबों के लिए तमाम उपाय जैसे अलाव -कम्बल आदि की व्यवस्था की जा रही है फिर भी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं.सबसे ज्यादा परेशानी उन बेचारों के लिए है जिनके तन पर न तो गर्म कपड़े हैं और न ही उनमें खरीदने की ताकत है .हालात यह है कि बीते दो दिनों में ठंड से पूर्वांचल में सौ से ऊपर लोग असमय ,ठंड के चलते काल कलवित हो चले हैं .अस्पताल में बच्चों और बुजुर्गों की दवा के लिए लाइन लगी पड़ी है.जौनपुर में भी पारा दो-तीन के आस-पास घूम रहा है.जनजीवन ठप.यदि यही हाल दो तीन दिन और रहा तो जान-माल की व्यापक क्षति होना सुनिश्चित है.यहाँ के लोंगो को इतनी ठंड की आदत कभी नहीं रही, और न ही इस आपदा प्रबंधन के लिए लोग तैयार रहते हैं.यहाँ के लोंगो को लगता है कि ठंड तो पहाड़ वाले लोंगों के लिए है हम मैदान वालों को कहाँ ठंड परेशान करती है.अब पुरनियों (बुजुर्गों) का कहना है उनकी जानकारी में कि ऐसी शीतलहर कभी नहीं पडी .ठण्ड से बचने की जुगत में देखिये कैसे-कैसे जतन हो रहे हैं---
(सभी चित्र- श्री आशीष श्रीवास्तव )
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दिल्ली में तो आज इस मौसम का सबसे ठंडा दिन रहा । क्या अमीर क्या ग़रीब , सभी परेशान हैं इस ठंड से । लेकिन बेघर लोगों के लिए तो यह कुदरत का कहर है ।
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ।
मै भी कल ही जौनपुर से वापस इंदौर आया .
जवाब देंहटाएंसचमुच हिला देने वाली ठंड पड़ रही थी वहाँ पर.........
वैसे एक बात मैंने नोट की है कि यदि कउड़ा तापते लोगों की इस तरह की बैठकी में शामिल हो उनकी बातें सुनी जाय, उनके बगल में बैठ कउड़ा तापा जाय तो जो बतकही होती है वो किसी संसद और किसी य़ू एन की बहस से कहीं ज्यादा रोचक होती है। वहां महज आंकड़ो के जरिये नैराश्य नहीं व्यक्त किया जाता....सीधे सीधे सरकार को चुनौती दी जाती है।
जवाब देंहटाएंमसलन....कउड़ा तापते हुए यदि एक कहे कि नई योजना लाई जा रही है सरकार की ओर से जनता के लाभ के लिये तो पकी उम्र के मतई मफलर की ओट से कहेंगे - सरकार अपना खा कमा ले वही बहुत है........हम लोगों अपने से खा कमा लेंगे.....हुँह..... आई है बड़ी सरकार सोचने वाली :)
बढ़िया चित्रमय प्रस्तुति।
अरे बाप रे !...यहाँ भी ठंड!
जवाब देंहटाएंअभी अभी समाचारों में सुना ..इस साल मैदानी इलाके शिमला' से अधिक ठन्डे!
जवाब देंहटाएंचिंताजनक स्थिति .
दुखद स्थिति है - दो जून की रोटी के लिये संघर्ष करने वाला ऊनी वस्त्रों की जुगाड कैसे करे?
जवाब देंहटाएंइन गरीब लोगो की सच मे मुसिबत हे जो सडक के किनारे सोते हे..
जवाब देंहटाएंसर्दी गरीब के लिए नहीं है.इस भयंकर सर्दी को न जाने कैसे झेलते होंगे वे!
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
ऐसी स्थिति में बहुत ही मुश्किल हो जाती है ...।
जवाब देंहटाएंहमारे जीवन का भी रिकार्ड टूट गया.
जवाब देंहटाएंगरीबों का आग ही तो सहारा है।
जवाब देंहटाएं---------
कादेरी भूत और उसका परिवार।
मासिक धर्म और उससे जुड़ी अवधारणाएं।
हम्म ठण्ड वाक़ई बहुत है
जवाब देंहटाएंक्या बढ़िया फोटो लगाया है आनंद आ गया इस कडाके की ठण्ड में ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें
कडाके की ठण्ड में गर्मी एहसास करवाती पोस्ट ...अच्छा जुगाड़ है ..शुक्रिया
जवाब देंहटाएंइस शमा को जलाए रखें।
जवाब देंहटाएं---------
डा0 अरविंद मिश्र: एक व्यक्ति, एक आंदोलन।
एक फोन और सारी समस्याओं से मुक्ति।
ठंड की स्थिति हिला देनी वाली थी ही..अब ऐसे में आग से बेहतर और कोई रास्ता ही नही बचाता ..सरकार भी जो थोड़ा बहुत अलाव की व्यवस्था करा सकी करा दी..आगे ठंड पड़ी तो भगवान का ही आसरा है....ठंड के असर का सचित्र और सटीक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंvery nice blog dear
जवाब देंहटाएंvisit my blog plz
Lyrics Mantra
Music Bol
जिंदगी के लिए जुगाड़ तलाश ही लेता है आदमी.
जवाब देंहटाएंक्या आपको मालूम है कि हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग कौन से हैं?
जवाब देंहटाएंsachitra thand ka vivaran thand ko punrjivit kar gaya varna main to do-teen din se thand ko bhoole baitha tha.....sadhuwaad..
जवाब देंहटाएंअब तो ठंडी गायब..यहाँ अंडमान में तो ठंडी ही नहीं दिखती.
जवाब देंहटाएं_______________________
'पाखी की दुनिया ' में भी आपका स्वागत है.