ज्योतिष में असंख्य योग हैं | सभी योगों की मानव मात्र के बारे में अलग -अलग ब्याख्यायें हैं | मैं ज्योतिष का विद्यार्थी तो नही रहा परन्तु मै जहाँ रहा वहां संयोग से मेरे आसपास ज्योतिष का कोई न कोई विद्वान जरूर था , परिणामत: आस -पास के माहौल के चलते बहुत रूचि न होने के बावजूद भी ज्योतिष के बारे में जानना ,समझना और उसके बारे में सुनना मुझे बचपन से अच्छा लगाने लगा | .परन्तु जैसे -जैसे समझ विकसित होती गयी मेरी रुझान इसके वैज्ञानिक पछ की ओर होती गयी (जो कि आज कल इस विद्या के ब्याख्याता लोंगों में बहुत कम दिखती है ) | वैसे तो वराह मिहिर की ज्योतिष की पुस्तकों की अपने -अपने ढंग से नकल करके कालांतर में ज्योतिष पर प्रकाशित होने वाली सड़क छाप पुस्तकों ने गली -गली में ज्योतिषी पैदा कर दिए , इस महान विद्या के गणित पक्छ को दरकिनार करलोगों ने अपने -अपने ब्यावसायिक हितों को साधना शुरू कर दिया | तमाम कुकर्म करने वाले लोंगों ने भी कुछ विद्वानों को धन का प्रलोभन दे कर , ज्योतिष का सेंटर भी खोल दिया,यहाँ तक कि दारू का ब्यवसाय करने वाले लोग भी लोंगों का भविष्य मंगलमय करने लगे परन्तु इसके बाद भी कुछ ऐसे साधक ,चिन्तक और शोधार्थी हैं जोकि इस विद्या के उन्नयन ,वैज्ञानिक स्वरुप को जिन्दा रखने की कोशिश एवं प्रतिष्ठा के लिए अनवरत रूप से लगे हैं . .
इधर ३-४ दिनों से मै ज्योतिष के इसी प्रश्न को लेकर विद्वानों के बीच सक्रिय था कि ये काल सर्प दोष क्या है ? हालाँकि ये मेरे लिए नया नहीं था लेकिन मेरे एक प्रशासनिक सेवा के मित्र ने मुझे ३ दिन का समय दिया कि मैं पुरानें ज्योतिष के विद्वानों से वार्ता कर के उनको बताउं कि ये काल सर्प दोष क्या है ? क्या यह कोई भयावह योग है .क्योकि बाजार की किताबों में इसका तो बहुत भयावह वर्णन किया गया है(उनको किसी ने उनके परिवार के बारे में इस योग से जुडी भविष्यवाणी करके भयभीत कर दिया था ) ..मैंने उनको अपने अल्प ज्ञान से यह बताया कि ज्योतिष में वेली ,वसी ,उभयाचरी ,अनफा ,सुनफा ,दूर्धरा ,केमद्रुम ,विषयोग,चांडाल ,ग्रहण ,जैसे अनेक योग हैं ,उन्ही में से एक योग काल सर्प भी है .इसके लिए बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है |
लेकिन चलो अच्छा हुआ, भला इसी बहाने थोड़ा घूमा -फिरा गया नहीं तो ब्लॉग पर आने के बाद तो मेरा सामाजिक जीवन अवसान पर था | सुबह से शाम यूनिवर्सिटी और फिर इन्टरनेट | बाकी संसार में क्या हो रहा है, पता ही नहीं |
मुझे विद्वानों द्वारा बताया गया कि कुण्डली में राहु -केतु के बीच में जब सारे ग्रह स्थित हों तो काल सर्प योग बनता है और यदि एकाध ग्रह इनके बाहर हो तो भी आंशिक काल सर्प योग होता है | प्राचीन ग्रंथो में राहु को काल एवं केतु को सर्प माना गया है | ज्योतिषियों का मानना है की राहु और केतु के प्रभाव में रहने वाले लोग साँप से बहुत डरते भीं हैं यहाँ तक कि सपने तक में उनको सांप दिखाई पड़ते हैं | प्रमुख रूप से १२ तरह के कालसर्प योग प्रमुख माने गए हैं .जिसमे हैं -अनंत ,कुलिक, वासुकी,शंखपाल ,पदम,महापद्म ,तक्छक,कर्कोटक ,शंखनाद ,पातक,विषाक्त और शेषनाग | ज्योतिषियों के अनुसार जन्म कुण्डली में इस योग वाले ब्यक्ति सदैव ब्यथित रहतें हैं | जीवन में इन्हे कभी भी मनवांछित सफलता नहीं मिलती ,हमेशा उतार -चढाव से भरा जीवन रहता है | समस्याएं तब और भी बढ़ जातीं हैं जब जन्म कुण्डली में राहु की महादशा या अन्तर्दशा चल रही हो | हालाँकि इसमे भी आशा जनक पहलू यह भी है कि यदि आप की जन्म कुण्डली में पंचमहापुरुष ,मालब्या , रूचक , शशक ,भद्र ,बुधादित्य और लक्ष्मी जैसे शुभ फल देने वाले योग हों तो कालसर्प योग भंग हो जाता है | खैर ? यह सब समझने के बाद मैंने अपने मित्र को फ़ोन कर दी हुई समय सीमा के अन्दर ही बता दिया कि जिस किसी ने आप के मन में यह नया भय पैदा किया है उससे डरने की कोई जरूरत नहीं है | आपको इस योग के नकारात्मक पक्छ को ही बताया गया है जिसने आप को डरा दिया है | उन्होंने कहा कि जब से मेरे मन में यह शंका दी गयी तब से मुझे लूडो वाला साँप और सीढी का खेल दिखाई पड़ता है जिसमे कि ९९ पर फुश्ने के बाद भी १०० पर न पहुच कर सांप फिर 0 पर पहुंचा देता है | मैंने कहा कि आप परेशान न हों , आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि इसी जानकारी के क्रम में मुझे यह भी जानकारी हुई कि देश के ३ पूर्व प्रधानमंत्रियों आदरणीय पंडित जवाहरलाल नेहरू ,आदरणीय मोरार जी देसाई, आदरणीय चंद्रशेखर जी की जन्म पत्रियों में भी यह योग था और यही नहीं श्री राम कथाकार संत श्रद्धेय मुरारी बापू ,स्वर सम्राज्ञी लता जी समेत आचार्य रजनीश जी के भी जन्म कुण्डली में यह योग है लेकिन इसके बावजूद भी पुरी दुनिया ने इन सभी को जाना-पहचाना और ये सभी महारथी हैं ,इनकी यश कीर्ति के बारे में बताने की कोई जरूरत नहीं है | इसलिए इस योग से परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि ऐसे महान हस्तियों से प्रेरणा लेने की जरूरत है किस हौसले के साथ ये सभी आदरणीय आगे बढे और अपने लछय को पूरी प्रतिष्ठा के साथ प्राप्त किए | खैर , चाहे जो भी हो लेकिन ये ३ दिन बहुत मजेदार रहे कई पुराने लोंगों से इस विषय पर बातें हुई -मुलाकात हुई .मैंने सोचा कि आप सभी ब्लॉग के मित्रों से भी यह प्रकरण क्यों न बांटा जाय.कुछ राय -सलाह -मशविरा और जिस किसी मित्र को इस बारे में और सटीक तथा सकारात्मक जानकारी होगी तो वह मेरे साथ बांटेगा ही........
इधर ३-४ दिनों से मै ज्योतिष के इसी प्रश्न को लेकर विद्वानों के बीच सक्रिय था कि ये काल सर्प दोष क्या है ? हालाँकि ये मेरे लिए नया नहीं था लेकिन मेरे एक प्रशासनिक सेवा के मित्र ने मुझे ३ दिन का समय दिया कि मैं पुरानें ज्योतिष के विद्वानों से वार्ता कर के उनको बताउं कि ये काल सर्प दोष क्या है ? क्या यह कोई भयावह योग है .क्योकि बाजार की किताबों में इसका तो बहुत भयावह वर्णन किया गया है(उनको किसी ने उनके परिवार के बारे में इस योग से जुडी भविष्यवाणी करके भयभीत कर दिया था ) ..मैंने उनको अपने अल्प ज्ञान से यह बताया कि ज्योतिष में वेली ,वसी ,उभयाचरी ,अनफा ,सुनफा ,दूर्धरा ,केमद्रुम ,विषयोग,चांडाल ,ग्रहण ,जैसे अनेक योग हैं ,उन्ही में से एक योग काल सर्प भी है .इसके लिए बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है |
लेकिन चलो अच्छा हुआ, भला इसी बहाने थोड़ा घूमा -फिरा गया नहीं तो ब्लॉग पर आने के बाद तो मेरा सामाजिक जीवन अवसान पर था | सुबह से शाम यूनिवर्सिटी और फिर इन्टरनेट | बाकी संसार में क्या हो रहा है, पता ही नहीं |
मुझे विद्वानों द्वारा बताया गया कि कुण्डली में राहु -केतु के बीच में जब सारे ग्रह स्थित हों तो काल सर्प योग बनता है और यदि एकाध ग्रह इनके बाहर हो तो भी आंशिक काल सर्प योग होता है | प्राचीन ग्रंथो में राहु को काल एवं केतु को सर्प माना गया है | ज्योतिषियों का मानना है की राहु और केतु के प्रभाव में रहने वाले लोग साँप से बहुत डरते भीं हैं यहाँ तक कि सपने तक में उनको सांप दिखाई पड़ते हैं | प्रमुख रूप से १२ तरह के कालसर्प योग प्रमुख माने गए हैं .जिसमे हैं -अनंत ,कुलिक, वासुकी,शंखपाल ,पदम,महापद्म ,तक्छक,कर्कोटक ,शंखनाद ,पातक,विषाक्त और शेषनाग | ज्योतिषियों के अनुसार जन्म कुण्डली में इस योग वाले ब्यक्ति सदैव ब्यथित रहतें हैं | जीवन में इन्हे कभी भी मनवांछित सफलता नहीं मिलती ,हमेशा उतार -चढाव से भरा जीवन रहता है | समस्याएं तब और भी बढ़ जातीं हैं जब जन्म कुण्डली में राहु की महादशा या अन्तर्दशा चल रही हो | हालाँकि इसमे भी आशा जनक पहलू यह भी है कि यदि आप की जन्म कुण्डली में पंचमहापुरुष ,मालब्या , रूचक , शशक ,भद्र ,बुधादित्य और लक्ष्मी जैसे शुभ फल देने वाले योग हों तो कालसर्प योग भंग हो जाता है | खैर ? यह सब समझने के बाद मैंने अपने मित्र को फ़ोन कर दी हुई समय सीमा के अन्दर ही बता दिया कि जिस किसी ने आप के मन में यह नया भय पैदा किया है उससे डरने की कोई जरूरत नहीं है | आपको इस योग के नकारात्मक पक्छ को ही बताया गया है जिसने आप को डरा दिया है | उन्होंने कहा कि जब से मेरे मन में यह शंका दी गयी तब से मुझे लूडो वाला साँप और सीढी का खेल दिखाई पड़ता है जिसमे कि ९९ पर फुश्ने के बाद भी १०० पर न पहुच कर सांप फिर 0 पर पहुंचा देता है | मैंने कहा कि आप परेशान न हों , आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि इसी जानकारी के क्रम में मुझे यह भी जानकारी हुई कि देश के ३ पूर्व प्रधानमंत्रियों आदरणीय पंडित जवाहरलाल नेहरू ,आदरणीय मोरार जी देसाई, आदरणीय चंद्रशेखर जी की जन्म पत्रियों में भी यह योग था और यही नहीं श्री राम कथाकार संत श्रद्धेय मुरारी बापू ,स्वर सम्राज्ञी लता जी समेत आचार्य रजनीश जी के भी जन्म कुण्डली में यह योग है लेकिन इसके बावजूद भी पुरी दुनिया ने इन सभी को जाना-पहचाना और ये सभी महारथी हैं ,इनकी यश कीर्ति के बारे में बताने की कोई जरूरत नहीं है | इसलिए इस योग से परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि ऐसे महान हस्तियों से प्रेरणा लेने की जरूरत है किस हौसले के साथ ये सभी आदरणीय आगे बढे और अपने लछय को पूरी प्रतिष्ठा के साथ प्राप्त किए | खैर , चाहे जो भी हो लेकिन ये ३ दिन बहुत मजेदार रहे कई पुराने लोंगों से इस विषय पर बातें हुई -मुलाकात हुई .मैंने सोचा कि आप सभी ब्लॉग के मित्रों से भी यह प्रकरण क्यों न बांटा जाय.कुछ राय -सलाह -मशविरा और जिस किसी मित्र को इस बारे में और सटीक तथा सकारात्मक जानकारी होगी तो वह मेरे साथ बांटेगा ही........
बिल्कुल सही लिखा है-इन सब से परेशान नहीं होना चाहिये.क्यूँ कि
जवाब देंहटाएंन सिर्फ़ इन महान हस्तियों की कुंडली में[जिनका आप ने जिक्र किया है] मैं ने तो अक्सर हर तीसरे व्यक्ति को यह कहते सुना है.
कि पंडित ने कहा है उस की कुंडली में यह योग है..जैसा की आप ने भी कहा कि आप को १२ तरह के कल सर्प योगों के बारे में मालूम हुआ-मेरे ख्याल से अपने कर्मों पर ही विश्वास करते चलें इन चक्करों में न पड़ें तो ज्यादा बेहतर होगा-
व्यथित तो इंसान वैसे भी रहता ही है -कोई बिल्कुल बेफिक्र हो तो उसे भी यह चिंता होगी कि उसे कोई फिकर क्यूँ नहीं है =-:डी
ज्योतिष विज्ञानं अपनी जगह है मगर इंसान को अपनी इच्छा शक्ति और कर्मों पर यकीं करते रहना चाहिये-कोई ग्रह कुछ नहीं बिगाडेगा.
11 अगस्त 2008 से 29 दिसम्बर 2009 तक के समयांतराल में जन्म लेनेवाले सारे बच्चे अल्प या पूर्ण तौर से कालसर्पयोग में आ रहे हैं। अब बताइए यह योग कितना कारगर हो सकता है ?
जवाब देंहटाएंबहुत मेहनत से लिखा आप ने यह लेख.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अच्छी जानकारी के लिये
आप को बधाई कि जनता के भले के लिए आपने एक चीज़ की तथ्यात्मक जानकारी एकत्र करने का प्रयास किया .
जवाब देंहटाएंलेकिन हमारे प्राचीन ज्ञान के साथ दिक्कत यही है कि प्रमाणिक जानकारी विदित नहीं हो पाया है क्योंकि विदित ज्ञान ही विज्ञानं है .
ज्ञान विज्ञानं से बड़ा है. कोई प्रमाणिक जानकारी मिले तो जानकारी और स्रोत बताने की कृपा करें
बहुत अच्छा किया
जवाब देंहटाएंजो विस्तार से इसके बारे मेँ बतलाया -
आधा ज्ञान बहुधा
मानसिक उलझन पैदा करनेवाला ही होता है
- लावण्या
यह काल सर्प युग है - एक सर्प योग जाता है, दूसर दबोचता है। कहां तक करें फिकर!
जवाब देंहटाएंफलित ज्योतिष से मेरी एलर्जी शायद मेरे एक पूर्वाग्रह का ही रूप ले चुकी है -आधुनिक फलित ज्योत्षियों ने पेट पूजा के फिराक में आदरणीय पूरवज ज्योतिर्विदों की ऐसी की तैसी कर डाली -ऐसी कृतघ्न और पेटपालू कौम से क्या उम्मीद की जा सकती है ? ये घृणा और उपहास के पात्र हैं बस ! हामरे पूर्वज ज्योतिषी आसमान के निरंतर पर्यवेक्षण से ज्योतिर्पिन्डो की गतियों की सटीक खोजखबर रखते थे और उनके भावी स्थानों ,आवृत्तियों की भविष्यवानियाँ करते थे .अब देखिये महाभारत काल में पांडव पक्ष का ज्योतिषी कितना पहुंचा हुआ विद्वान् था की उसने सूर्यग्रहण की जानकारी कृष्ण को बता दी होगी जिससे जयद्रथवध की उनकी प्रतिज्ञा फलवती हुयी !आज के ज्योतिषियों के हाथ से यदि पत्रा ले लिया जाय तो वे असहाय से हो जायेंगे .
जवाब देंहटाएंरही बात राहू केतु की -ये तो केवल छाया मात्र है -ज्योतिर्विज्ञान की गणनाओं को दुरुस्त करने हेतु इनका काल्पनिक वजूद माना गया -और इनकी मान प्रतिष्ठा हुयी -पुराकथाएँ रची गयीं -राहू केतु पृथ्वी के परिभ्रण पथ पर वे बिन्दु हैं जहा यह सूर्य की परिक्रमा के दौरान अपनी ख़ुद की परिक्रमा कर रहे चन्द्रमा के पथ को काटती है ! मनोज इसे चैक करो ! और काल सर्प का अकाल योग किसी कल्पनाशील किंतु शरारती फलित ज्योतिषी की दिमागी खुराफात भर है -पर उसका ज्ञान तो देखिये उसे सर्प पुराण की कितनी अच्छी जानकारी है -डॉ दिनेश द्विवेदी जी शायद इस पर कुछ तफसील से प्रकाश डाल सकें ! हाँ मैं अपने पूरे आत्मविश्वास और होशोहवाश से यह कह रहा हूँ मित्रों कि कालसर्प योग बिल्कुल एक बकवास है -इससे बिल्कुल न डरें !
मेरी गारंटी !! अपनी असफलताओं और जीवन की विडंबनाओं /दुश्वारियों के बुद्धिगम्य कारणों की पड़ताल करें और संतोष रखने के आत्मानुशासन को साधे ! खुश रहें !
बहुत ही काम का टॉपिक चुना है सर आपने. वाक़ई लोग हैरान हैं भाई इस योग से. पर यदि हमसे पूछियेगा तो हमारा तो एक ही मन्त्र है इस सब से निपटने का और वो है "श्री गौरीनंदन" का नाम लेकर साथ में ज़ोर से कहिये "बजरंग बली की जय" और सब अलाय बलाय आप ही हट जातीं हैं राहों से, है न. हा हा हा क्या कहते हैं ? बहुत आभार जी इस लेख इस जानकार का. सदा आपका.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया तरीके से आपने इस विषय पर जानकारी दी है ..कई तरह के डर दिखाए जाते हैं इस तरह की बातों को ले कर ..
जवाब देंहटाएंमेरे निजी मत में ज्योतिष का जो गणितीय पहलु है उसे आज भी कोई चैलेन्ज नही कर सकता और जो फलित का पहलु है वो पुरी तरह से तीर तुक्का है ! लग गया तो ठीक नही तो जयरामजीकी ! बहुत बढिया जानकारी आपने दी और अच्छा सोचने के लिए विवश किया ! शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएं" jyotish ke barey mey itna jyada ghyan nahe hai magar pdh kr accha lgaa.."
जवाब देंहटाएंregards
ज्योतिष का जो गणितीय पहलु है उसे आज भी कोई चैलेन्ज नही कर सकता और जो फलित का पहलु है वो पुरी तरह से तीर तुक्का है ! लग गया तो ठीक नही तो जयरामजीकी ! @ताऊ रामपुरिया
जवाब देंहटाएंयह काल सर्प युग है - एक सर्प योग जाता है, दूसर दबोचता है। कहां तक करें फिकर!@Gyan Dutt Pandey
sahmat!!!!!!!!
dal roti khao !!!!
prabhu ke gun gaao!!!!!
आप सिर्फ और सिर्फ संगीता जी से इस विषय में बात करें.. अरविंद जी और ताऊश्री ने भी मेरे मन की बात कही है..
जवाब देंहटाएंshesh shubh..............
इस बात से कोई इनकार नही कर सकता की हमारे सारे प्रतीक हमारे आस पास की भौतिक वस्तुओं से ही लिए गाये है , सारी परिभाषाएं एक दूसरे से गुत्थम गुत्था हैं ,आप को यह मान्यता तो मालूम ही होगी की जिस किसी सोते व्यक्ति के सर पर सर्प छाया कर दे वह महान व्यक्ति होता है ,फलित के सारे योगो का फल पूरे जन्मांग में सभी ग्रहों की सम्मिलित स्थिति के आधार पर ही कहना चाहिए ; ज्योतिष में नीच भंग राजयोग भी होता है उसी प्रकार से काल सर्प योग होता है ,इसका आपके पक्ष में होना आपको विष्णु के समान पालना हार बनता है उसके वैचारिक गर्भ से ब्रहमा के समान एक नई सृष्टि को रचाने वाला जनम लेता है राहू अज्ञात रास्तों से रहस्यमय तरीके से आकस्मिक लाभ देता है | जहाँ तक मुझे याद आरहा है अम्बानी परिवार में किसी के जन्मांग में काल-सर्प योग था या है | ज्योतिष्य सकारात्मक विज्ञान है , कमाने खाने वाले धूर्त ही अज्ञानी जनता का भय दोहन कर रहे हैं | ज्योतिष्य के तीनो विधाओं अथवा पद्धतियों यथा मिहिरीय , पाराशरीय , जैमिनीय की अपनी अपनी विशेषताएं है \ आप को सादर आमंत्रण है बतकही पर आने का | वहांकी कीगई धृष्टता के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ उसकी बात वही अंत में की गयी है
जवाब देंहटाएंkaal sarp yog ke baare mai usna thaa lekin itna briefly aaj pata chala.. achci jaan kari dene kel iye aap ka shukriya...
जवाब देंहटाएंअरे भाई जी. काल सर्प योग तो फैशन सा हो गया है ज्योतिष शास्त्र में. पिछली ही बार बेटे को त्रंबकेश्वर ले जाकर पूजा करवाई..सुनते हैं उसी कारण अब शादी हो पा रही है..हा हा!! सब सेट है मामला.
जवाब देंहटाएंआपने जो जानकारी जुटाई है वह हो सकता है काम की हो लेकिन मुझे लगता है यह योग होता ही नहीं है। इस प्रकार के योग किसी प्राचीन किताब में हो तों जानकारी दीजिएगा। पुराने ज्योतिषी तो चिढ़ जाते हैं इस तरह की बेवकूफी वाले योगों के नाम से ही। यह नया और लुभावना योग है जो हमारी अधिकांश असफलताओं पर पर्दा डालने की कुव्वत रखता है। मुझे इतनी ही जानकारी थी।
जवाब देंहटाएंकुछ तल्ख हो गया हो तो क्षमा चाहता हूं।
EK QUESTION VERY IMP:- hi sir ji aapne ekdum sahi bataya lekin me ek baat aur janna chahta hu ki kaal sarp me hum logo ko sare grah rahu aur ketu k beech me dekhne chahiye ya ketu aur rahu k beech me bhi?
जवाब देंहटाएंmera matlab hai ki clock wise ya anticlockwise between rahu and ketu becoz we see horo alwase anti clock wise. aur hume agar beech me hi dekhne hai to hamesha kundli me sare grah rahu aur ketu k beech me hi hote hai chahe wo rahu se ketu k beech me ho ya ketu se rahu k beech me. so krpya mere is solution ka samadhaan kare plz.i m puneet kumar goel. my mail id is godgift1982@gmail.com.
इसको हम बांचे ही नहीं। कौनो रुचि नहीं अभी!
जवाब देंहटाएंThere are two types of kalasarpa doshas one with Rahu on top and another with ketu on top . If ketu on top and Rahu is down I'll is not that harmful But if Both are in ascendant and decendant places it is also not harmful If lagna is in between that is also not very harmful. Rahuketupooja in Kalahasti will remove the negative effects. see more -https://bit.ly/2I5Kaie
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