पुरानी फ़िल्मी कहानियों में मिलन के लिए अक्सर कुम्भ मेले का सदुपयोग होता था लेकिन अब ब्लॉग-जगत के महाकुम्भ नें मुझे मेरे मित्र से मिला दिया.मैं बात कर रहा हूँ अपनें सहपाठी मित्र अभयतिवारीकी,जो कि मेरे साथइलाहाबाद विश्वविद्यालय के डायमंड जुबिली हास्टल में १९८५ से १९८९ तक साथ रहे थे.हम दोनों का एक ही सत्र में हास्टल में प्रवेश, साथ-साथ नंग-धडंग रैगिंग -साथ ही साथ -पढाई ,-लड़ाई वामपंथ-दक्षिण पंथ के मुद्दों पर बहस आदि-आदि.अभय वामपंथी विचारधारा के सजग प्रहरी थे और मैं दक्षिणपंथी.दोनों के अलग-अलग मत -तर्क लेकिन कई एक मुद्दों पर समानता के चलते मित्रता कायम रही .१९८९ से जो हम बिछड़े तो अब २०१०में पूरे २१ वर्षों बाद ,ब्लॉग पर मिले. हालाँकि मैं अभय के ब्लॉग से परिचित था लेकिन ब्लॉग पर लगी हुई उनकी तस्वीर ऐसी है कि स्पष्ट नही होता था.होली पर हमारे एक हास्टल के सीनियर का शुभकामना फोन आया था ,बात -चीत चल रही थी मैंने कहा क्या कर रहे हैं सर , उन्होंने कहा कि अभय का ब्लाग पढ़ रहा हूँ .मैंने कहा कौन अभय ?फिर उन्होंने जब बताया तो मैं तुरंत अभय से बात करनें को उत्सुक हो गया लेकिन अफ़सोस उस समय उन्हें अभय का फोन नंबर न मिल पाया . होली पर ही हमारे बड़े भइया डॉअरविन्दमिश्र जी घर पर थे मैंने इसका जिक्र उनसे किया ,उन्होंने हैरानी जताई कि अभय से तुम पूर्व परिचित हो,उन्होंने कहा कि मेरी तो कई बार अभय से बात हुई है. उन्होंने तुरंत अभय का मोबाईल नम्बर डायल कर स्वयं बात की फिर मेरी बात कराई.अभय नाम लेते ही पहचान गये ,भूली बिसरी यादें ताज़ा हुई....और बातों का सिलसिला चल पड़ा. फिल्म निर्माण से जुडा जान कर मैंने अभय द्वारा निर्देशित कुछ फिल्मों को देखनें की इच्छा प्रकट की जिसे स्वीकार कर अभय नें अपनी लघु फिल्म -'सरपत' पोस्ट से मेरे पास भेज दी ,जिसका आज मेरे विभाग में चल रहे एक कार्यशाला के दौरान प्रदर्शन किया गया.नई दिल्ली से आये हुए मॉस-कम्युनिकेशन और इलेक्ट्रानिक मीडिया के वरिष्ठ प्राध्यापक श्री अभिषेक श्रीवास्तव,प्रतिष्ठित फोटोग्राफर जव्वार हुसैन और हमारे विभाग के सभी प्राध्यापकों और विद्यार्थियों के समक्ष सरपत प्रदर्शित हुई .फिल्म सभी को बेहद पसंद आयी और बाद में इस फिल्म के विविध पहलुओं पर परिचर्चा भी आयोजित हुई .....
आइला, ये आप के सहपाठी हैं ! अपने भी बड़े खास हैं। इनकी खास फोटुएँ मैंने रखी हैं - जब लखनऊ आए थे तो मुझ नाचीज से मिले थे। 'सर्वहारा' खाना खा कर जिस तरह से तृप्त भए थे, हमको इनके वामपंथी होने में कोई शक्को सुबहा नहीं रहा :)
खूबसूरत प्रस्तुति...आपका ब्लॉग बेहतरीन है..शुभकामनायें. ************************ 'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटे रचनाओं को प्रस्तुत करने जा रहे हैं. जो रचनाकार इसमें भागीदारी चाहते हैं,वे अपनी 2 मौलिक रचनाएँ, जीवन वृत्त, फोटोग्राफ hindi.literature@yahoo.com पर मेल कर सकते हैं. रचनाएँ व जीवन वृत्त यूनिकोड फॉण्ट में ही हों.
सच में, मंजुल से अचानक इस तरह ब्लौग की दुनिया में टकरा जाना एक झटका ही था, एक सुखद झटका। सशरीर मिलना अभी भी शेष है लेकिन मेल और फोन से मिलन तो हो ही गया है। :) आप सभी मित्रों को जो हमारी दोस्ती के इस पुनर्जीवन से प्रसन्न हैं, बहुत बहुत धन्यवाद। विशेषकर भाई गिरिजेश को!
Wakai Blog Ek Samudr Ki Tarah Hai Jisame Har Dubi Hui Wastu Ek Na Ek Din Zaroor Upar Ki or Aati Hai........ Aur Rahi Baat "Sarpat" Ki To Ham Bhi Dekhne ke Ichhuk Hai "Sarpat"
वाह ... ब्लोगिंग तो दिलों को भी मिलाने लगी है ! यहाँ JNU में 'सरपत' देखी है , मूवी शो के दौरान , भाषा और अंतर्वस्तु दोनों ने मन मोह लिया था .. फिल्म से जुड़े आदमी से आपकी फ़िल्मी मुलाक़ात अच्छी लगी .. दोस्ती चालू आहे ;;;;;;;;;;;;
aapiseek achha sanyog bhi kah sakte hai blog jagat ke jariye aapko apne bachpan ke mitra mile isase aapko jo khushi mili hogi uskka anuman main lagga sakati hun kyon ki main bhi apni bachpan ki dost se pure satrha saloon baad mili thi. ese hi kahate hai sachchi dosti .aapko apne mitra se punah milne ki bahut bahut badhai. poonam
जिनके नाम वही हैं जो सदा थे, वे यहाँ या कहीं भी एक दूसरे से टकरा सकते हैं, टकराते हैं परन्तु नाम बदलने वाली जीव क्या करें? इसीलिए वे स्वनामी हो जाती हैं। ना जन्म का नाम न विवाह के बाद का। ना किसी के पहचानने या न पहचानने की सम्भावना बचती है और न दुख। आप दोनों इस आभासी संसार में ही मिले बहुत खुशी हुई। घुघूती बासूती
Aapko blogging ke zariye dost mil gaya iski badhayi! Ye to badee khushika awsar hua aapke liye! 'Sarpat' jaisi film ham aam log kahan dekh sakte hain,kya aap bata sakenge?
Sifat dan Tabiat ular kobra ( Pawang Ular )
-
Tinggal jauh dari mereka di musim kawin ular! Jika tidak, baca Kkage
......PJ Deoras buku terkenal "Ular dari India" (NBC TV, New Delhi) adalah
kesempatan ...
युवराज का एक और त्याग !
-
" युवराज राहुल गाँधी ने दोयम दर्जे से रेलयात्रा की !"
देश धन्य धन्य हो गया. समाचार पत्रों में मुख्य पृष्ठ पर छापने के लिए हमारी
मीडिया को कोटि कोटि प्रणाम...
Melaka (Malaysia) 4 (Concluding)
-
Authored by
PN Sampath Kumar,
Cochin Shipyard, Kochi
The rule by the English East India Company, Calcutta, attracted Indians to
Melaka and other p...
Daryaganj in aerocity
-
Daryaganj in aerocity पढ़कर चौंकिए मत । दरअसल में daryaganj एक रेस्टोरेंट
का नाम है जो कि एयरोसिटी में है । यूं तो एक दो बार हम लोगों ने वहां से
खाना मंग...
-
"करम का लेख" विशेषण रहित है, अर्थात भेद-भाव से परे……………यह बहुतों को बुझाता
नहीं और प्रमाण के लिए वैज्ञानिक तथ्य की गुहार करने लगता है और अन्ततः तभी
बुझाती...
Deads Rise - Review
-
A Zombie Thriller!
Arvind Mishra
It's a new arrival written by Shawn Whitney. Who is an award-winning
screenwriter with three feature film credits an...
एक उद्योगपति की मौत
-
एक खेत मजदूर अक्सर खेत मजदूर के घर या छोटे किसान के घर पैदा होता है, मजदूरी
करना उसकी नियति है, वह वहीं काम करते हुए अभावों में जीवन जीता है। उसकी
आकांक्षा...
खूब पहचानती हूँ
-
खूब पहचानती हूँ
मैं…….
तुमको और तुम्हारे
समाज के नियमों को
जिनके नाम पर
हर बार…….
मुझे तार-तार किया जाता है
किन्तु अब…..
मेरी आँख का धुँधलका
दूर हो चुका है
...
शनि राहु युति के परिणाम
-
*इष्ट देव सांकृत्यायन*
*श्री गुरुचरणकमलेभ्यो नमः*
आज 29 मार्च से शनि भी वहीं आ जाएंगे जहाँ राहु, बुध, शुक्र, सूर्य, चंद्र और
नेप्चून पहले से बैठे हैं...
वादा किया वो कोई और था, वोट मांगने वाला कोई और
-
तिवारी जी जब से कुम्भ से लौटे हैं तब से बस अध्यात्म की ही बातें करते हैं।
कई ज्ञानी जो उनकी बातें सुनते हैं वो पीठ पीछे यह भी कहते सुने जाते हैं कि
तिवार...
कॉन्सेप्चुअल फ्रेमवर्क
-
सामाजिक विज्ञान को विज्ञान की उपाधि जरूर किसी ऐसे व्यक्ति ने दी होगी जिसे
लगा होगा कि विज्ञान को विज्ञान कहना *डिस्क्रिमिनेशन* हो चला है। विज्ञान और
तार्...
Open AI वाले सैम ऑल्टमैन
-
सैम ऑल्टमैन की प्रोफेशनल जर्नी एक टेक entrepreneur के तौर पर 19 साल की उम्र
से शुरू हुई, जब उन्होंने Stanford University से dropout करके अपनी पहली
startup ...
रंग चैत्र महीने के
-
*रंग चैत्र के ...*
चैत्र का महीना बदलाव का महीना है , नए रंग में कुदरत जैसे खुद से मिला कर
सम्मोहित करती है।
अमृता ने इसी महीने से जुड़ा बहुत कुछ ...
कितना मुश्किल है बच्चो !
-
दस दिवसीय सेवारत प्रशिक्षण के पश्चात प्राप्त ज्ञान |
हमने जाना बच्चों !
कितना मुश्किल होता है
फिर से बच्चों जैसा बनना |
हमने जाना बच्चों !
कितना उबाऊ ...
मछली का नाम मार्गरेटा..!!
-
मछली का नाम मार्गरेटा..
यूँ तो मछली का नाम गुडिया पिंकी विमली शब्बो कुछ भी हो सकता था लेकिन मालकिन
को मार्गरेटा नाम बहुत पसंद था.. मालकिन मुझे अलबत्ता झल...
2025 में विवाह मुहूर्त कब है ?
-
Marriage dates in 20252025 में विवाह मुहूर्त कब है ?
[image: Marriage dates in 2025]
भारतवर्ष में हिंदू धर्म में प्रत्येक मांगलिक कार्यों में शुभ मुहूर्त ...
ब्लागिँग सेमिनार की शुरुआत रवि-युनुस जुगलबंदी से
-
और ये उद्घटान हो गया। उद्घटान नहीँ भाई उद्घाटन हो गया-ब्लागिँग सेमिनार का।
वर्धा विश्वविद्यालय के हबीबा तनवीर सभागार मेँ वर्धा विश्वविद्यालत द्वारा
आय...
कहते है हिन्दूस्तानी है हम....(सत्यम शिवम)
-
कहते है हिन्दूस्तानी है हम,
पर जुबान पे अंग्रेजों की भाषा बसती है,
देख के अपनी विलायती तेवर,
हिन्दी हम पर यूँ हँसती है।
क्या बचपन में पहला अक्षर,
माँ कहने मे...
महिला दिवस पर आत्ममुग्ध
-
इस बार का महिला दिवस तो मेरे लिए बे-रौनक ही होने वाला था। बच्चों की परीक्षा
का समय और श्रीमान जी की परदेसी नौकरी। मैं तो बस सोशल मीडिया और फोन के सहारे
घ...
आ अब लौट चलें ब्लाग की ओर
-
प्यारे भतीजो और भतिजीयों, ताऊ की होली टाईप रामराम. आज सबसे पहले तो मैं सुश्री
रेखा श्रीवास्तव जी द्वारा संपादित *"ब्लागरों के अधूरे सपनों की कसक"* पुस्तक
क...
तुम्हारे लिए
-
मैं उसकी हंसी से ज्यादा उसके गाल पर पड़े डिम्पल को पसंद करता हूँ । हर सुबह
थोड़े वक्फे मैं वहां ठहरना चाहता हूँ । हंसी उसे फबती है जैसे व्हाइट रंग ।
हाँ व्...
शिक्षक दिवस
-
शिक्षक दिवस नज़दीक आरहा है, किन्तु शिक्षकों की दशा देख मन घबरा रहा है।
वर्तमान में सर्वाधिक चर्चित एवं आरोपित
शिक्षक ही है। वह अनेक आलोचनाओं का शिकार हो रह...
-
कहानी---
सफ़ेद कपड़ों मेँ लिपटा झूठ
-अब माधुरी बहिन जी आपसे कुछ कहेंगीं । माधुरी बहिन ने माइक संभाला। बोलना
शुरू किया। धर्म, अध्यात्म से होकर वे पारिवारिक ...
किताब मिली - शुक्रिया - 22
-
दुखों से दाँत -काटी दोस्ती जब से हुई मेरी
ख़ुशी आए न आए जिंदगी खुशियां मनाती है
*
किसी की ऊंचे उठने में कई पाबंदियां हैं
किसी के नीचे गिरने की कोई भी हद ...
नए साल के संकल्प
-
आज नया साल शुरू हुए पाँचवा दिन शुरू हो गया। अभी तक नए साल के संकल्प तक नहीं
फ़ाइनल किए। ऐसे कहीं होता है?
सोशल मीडिया पर कुछ न कुछ लिखने की आदत ऐसी ह...
संयोग और गंगा मइया का बुलावा क्या होता है?
-
हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi
#PrayagrajMahaKumbhMela2025 में हमारा चौथी बार प्रयागराज जाने का संयोग बना।
इस बार #KultureKumbh2025 में दो स...
टिन्डिस (Tyndis) जिसे पोन्नानि कहते हैं
-
रोमन साम्राज्य के अभिलेखों में भारत के दक्षिणी तट के टिन्डिस (Tyndis) नामक
बंदरगाह का उल्लेख मिलता है और आज के “पोन्नानि” को ही इतिहासकारों ने टिन्डिस
होने...
आसपास में सब चेतन है
-
<<< आसपास में सब चेतन है >>> हाल ही में मेरी बिटिया आई मेरे पड़ोसी टुन्नू
पंडित की बिटिया की शादी के अवसर पर। शादी के बाद वह वापस जाते हुये मेरे घर
में काम...
शोर्ट कंटेंट का बढ़ता चलन
-
पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शॉर्ट फॉर्म कंटेंट का प्रचलन
तेजी से बढ़ रहा है। इंस्टाग्राम रील्स , यूट्यूब शॉर्ट्स जैसे प्लेटफॉर्म्स
अब ...
निर्मल बाबा केवल एक नहीं है : अन्तर सोहिल
-
इंदु आहूजा, लाल किताब वाले गुरूदेव और अन्य बहुत सारे ज्योतिष बताने और
यंत्र बेचने वाले टीवी चैनलों के जरिये धर्मांध जनता को शोषित कर रहे हैं। कई
बार तो लग...
मैं एक दिन धूप में
-
मैं एक दिन धूप में
घर की दीवारों पर बैठ
घर की दीवारों की बातें
उसे सुना बैठा
और उसका हाथ
दीवार से हमेशा के लिए
हटा बैठा
उसका साथ
दीवारों से हमेशा के लि...
और इस तरह मारा मैंने अपने बोलने को
-
————
मुझे कुछ बोलना था
पर मैं नहीं बोला
और ऐसा नहीं है कि
मैं बोलता तो वे सुन हीं लेते लेते
पर मैं नहीं बोला
मैं नहीं बोला जब कि मुझे
एक बंद कमरे से बोलने क...
ब्रहमताल झील की ट्रेकिंग: भाग 2
-
*अचानक बाहर से महेश और चाचाजी के चिल्लाने की आवाजों से आँख खुली महेश बाहर से मेरे *
*टेंट के ऊपर पड़ी बर्फ को झाड़ रहा है मैं टेंट से बाहर आयी तो देखा जमीन...
-
* गज़ल *
रहे बरकत बुज़ुर्गों से घरों की
हिफाजत तो करो इन बरगदों की
खड़ेगा सच भरे बाजार में अब
नहीं परवाह उसको पत्थरों की
रहे चुप हुस्न के बढ़ते गुमां पर
रही...
इंतज़ामअली और इंतज़ामुद्दीन
-
हि न्दी में इन दिनों ये दो नए मुहावरे भी चल पड़े हैं। अगर अभी आप तक नहीं
पहुँचे हैं तो जल्दी ही पहुँच जाएँगे। चीज़ों को संवारने, तरतीब देने,
नियमानुसार क...
Resep Tempe Bacem Praktis - Resep Masakan 4
-
Resep Tempe Bacem Praktis dan Enak. Tempe di bacem adalah resep yang sering
kita jumpai, tahukah anda bagaiman cara membuat makanan ini?. Ternyata eh
terny...
बाग में टपके आम बीनने का मजा
-
मेरे मित्र प्रोफेसर Sandeep Gupta पिछले दिनों अपने बाग के आम लेकर आए थे।
उनके साथ मैं पहले बाग देखकर आया था लेकिन तब आम कच्चे थे। बरौली से 2
किलोमीटर पहल...
कल्पना...!
-
छत पर सूखते कपड़ों से रह-रह कर टपक रहे पानी के छीटों से परेशान चींटी कभी
दायें ओर मुड़ती-कभी बायें ओर। एकाध बार ठहर भी गई लेकिन छींटे थे कि फिर से
आगे ज...
नीली गोली के बाद अब गुलाबी गोली को हरी झंडी!
-
पुरुषों के बेहतर प्रदर्शन के लिए मददगार विख्यात नीली गोली (वियाग्रा) के
बाद अब अमेरिकन महिलाओं को भी जल्द ही महिला यौन रोग के उपचार के नाम पर पहली
बार " ग...
वाह! यह हुई न बात! मजा आ गया पढ़कर.. कुछ तो दम है ब्लागिंग में।
जवाब देंहटाएंबधाई! अभय तिवारी से मिलने की।
जवाब देंहटाएंहमें तो यहाँ ऐसे बहुत लोग मिले हैं जिन से मिल कर लगा कि हम मिलने के लिए बने थे।
अभय के सरपत की बड़ी चर्चा है वह सरपट दौड़े यही इच्छा है !
जवाब देंहटाएंआइला, ये आप के सहपाठी हैं !
जवाब देंहटाएंअपने भी बड़े खास हैं। इनकी खास फोटुएँ मैंने रखी हैं - जब लखनऊ आए थे तो मुझ नाचीज से मिले थे। 'सर्वहारा' खाना खा कर जिस तरह से तृप्त भए थे, हमको इनके वामपंथी होने में कोई शक्को सुबहा नहीं रहा :)
बेहतरीन प्रस्तुति..बधाई.
जवाब देंहटाएं*********************
"शब्द-शिखर" के एक साथ दो शतक पूरे !!
बधाई बिछड़े हुए दोस्तों के वापिस मिलने पर
जवाब देंहटाएंअब तो सिद्ध हो गया कि ब्लॉगिंग हमारे कितने काम आ सकती है .. आपलोगों को बधाई !!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति...आपका ब्लॉग बेहतरीन है..शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएं************************
'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटे रचनाओं को प्रस्तुत करने जा रहे हैं. जो रचनाकार इसमें भागीदारी चाहते हैं,वे अपनी 2 मौलिक रचनाएँ, जीवन वृत्त, फोटोग्राफ hindi.literature@yahoo.com पर मेल कर सकते हैं. रचनाएँ व जीवन वृत्त यूनिकोड फॉण्ट में ही हों.
यह तो बहुत ही सुखद घटना हुई.
जवाब देंहटाएंब्लॉगजगत में ऐसा शायद पहली बार हुआ होगा.'सरपत' फिल्म की समीक्षा का इंतजार रहेगा.
आप दोनों मित्रों को बहुत बहुत बधाई
बहुते बधाई जी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सच में, मंजुल से अचानक इस तरह ब्लौग की दुनिया में टकरा जाना एक झटका ही था, एक सुखद झटका। सशरीर मिलना अभी भी शेष है लेकिन मेल और फोन से मिलन तो हो ही गया है। :)
जवाब देंहटाएंआप सभी मित्रों को जो हमारी दोस्ती के इस पुनर्जीवन से प्रसन्न हैं, बहुत बहुत धन्यवाद। विशेषकर भाई गिरिजेश को!
वाह बधाई वाकई ब्लागिंग बहुत काम की चीज है :)
जवाब देंहटाएंयह भी बढ़िया रही मिस्र जी । बधाई।
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग से घटा यह संयोग सुखकर लगा होगा आपको !
जवाब देंहटाएंसरपत देखने की बहुत इच्छा हो गयी है !
इन्टरनेट बहुत सारे बिछड़े मित्रो को मिला रहा है ...यदि मित्रता में ईमानदारी हो तो अच्छा माध्यम है ...वर्ना ...तो ...सब माया का संसार ...!!
जवाब देंहटाएंभई वाह... ये मिलन भी अच्छा रहा..
जवाब देंहटाएंअभय बढ़िया इन्सान हैं। भगवान करें सोच सेकुलरही से नॉर्मल हो जाये! :-)
जवाब देंहटाएंWakai Blog Ek Samudr Ki Tarah Hai Jisame Har Dubi Hui Wastu Ek Na Ek Din Zaroor Upar Ki or Aati Hai........
जवाब देंहटाएंAur Rahi Baat "Sarpat" Ki To Ham Bhi Dekhne ke Ichhuk Hai "Sarpat"
वाह! सचमुच बहुत सुखद है ये.
जवाब देंहटाएंबड़ी अच्छी बात हुई यह..यह भी पता चलता है कि इन्फ़ार्मेशन-बूम का यह ग्लोबल युग कैसे भौतिक दूरियों को खत्म कर रहा है..
जवाब देंहटाएंbehatareen prastuti badhai------------------
जवाब देंहटाएंpoonam
वाह! बहुत बढ़िया! उम्दा प्रस्तुती! बधाई!
जवाब देंहटाएंखूब रही ये तो...
जवाब देंहटाएंachcha raha sir. Ap logon se milne ka bahut man hai, dekhiye kab tak sambhav ho pata hai.
जवाब देंहटाएंवाह ... ब्लोगिंग तो दिलों को भी मिलाने लगी है !
जवाब देंहटाएंयहाँ JNU में 'सरपत' देखी है , मूवी शो के दौरान , भाषा और
अंतर्वस्तु दोनों ने मन मोह लिया था ..
फिल्म से जुड़े आदमी से आपकी फ़िल्मी मुलाक़ात अच्छी लगी ..
दोस्ती चालू आहे ;;;;;;;;;;;;
बहुत खूब! ज्ञानजी बताओ अभय को अच्छा इन्सान बताते हैं लेकिन उनकी सोच को नार्मल ही नहीं मानते। :)
जवाब देंहटाएंसरपत देखने की हमारी भी बहुत इच्छा है, अब जब भारत आयें तो देखें.
जवाब देंहटाएंaapiseek achha sanyog bhi kah sakte hai blog jagat ke jariye aapko apne bachpan ke mitra mile isase aapko jo khushi mili hogi uskka anuman main lagga sakati hun kyon ki main bhi apni bachpan ki dost se pure satrha saloon baad mili thi. ese hi kahate hai sachchi dosti .aapko apne mitra se punah milne ki bahut bahut badhai.
जवाब देंहटाएंpoonam
अब तो पुराने मित्र खोजने का यही सहारा बनता जा रहा है। आपको बधाई कि आपको आपके मित्र मिले।
जवाब देंहटाएंयह तो बहुत ही सुखद घटना हुई.....दोनों मित्रों को बहुत बहुत बधाई !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लेख यादों का कोलाज बनाया आपने ................. देर से आप तक आने की लिए माफ़ करेंगे.
जवाब देंहटाएंआपको बधाई देने का मन कर रहा था इसलिए ब्लॉग के मार्फ़त ही यहाँ चला आया , ब्लॉग रत्न सम्मान पर आपको ढेरो बधाइयां और आप इसके प्रबल हकदार भी थे !
जवाब देंहटाएंयह तो कुछ लम्बा मिलन हो गया अंकल जी...
जवाब देंहटाएं________________
'पाखी की दुनिया' में इस बार माउन्ट हैरियट की सैर करना न भूलें !!
आज ही मालूम हुआ .
जवाब देंहटाएंसंवाद ब्लॉग रत्न सम्मान पर आपको ढेरो बधाइयां.
... और हम तो आप दोनों के ही पुराने पंखे (fan) हैं. (सहमति-असहमति का कोई ज़िक्र नहीं)
जवाब देंहटाएंहम जैसे आम जन फिल्म "सरपत" कैसे देखें ये बताएं...कहीं दूकान में इसकी सी.डी. तो मिलती नहीं...
जवाब देंहटाएंनीरज
जिनके नाम वही हैं जो सदा थे, वे यहाँ या कहीं भी एक दूसरे से टकरा सकते हैं, टकराते हैं परन्तु नाम बदलने वाली जीव क्या करें? इसीलिए वे स्वनामी हो जाती हैं। ना जन्म का नाम न विवाह के बाद का। ना किसी के पहचानने या न पहचानने की सम्भावना बचती है और न दुख।
जवाब देंहटाएंआप दोनों इस आभासी संसार में ही मिले बहुत खुशी हुई।
घुघूती बासूती
Behad achha laga padhana..puranee yaaden aur punarmilan!
जवाब देंहटाएं************
जवाब देंहटाएं'पाखी की दुनिया में' पुरानी पुस्तकें रद्दी में नहीं बेचें, उनकी जरुरत है किसी को !
aapko pehli baar padha achha laga..
जवाब देंहटाएंyun hi likhte rahein...
regards
http://i555.blogspot.com/
संवाद ब्लॉग रत्न सम्मान पर आपको ढेरो बधाइयां.
जवाब देंहटाएंमनोज जी, ब्लॉग का भी हाल चाल लेते रहें, काफी लोग निराश लौट रहे हैं।
जवाब देंहटाएं--------
गुफा में रहते हैं आज भी इंसान।
ए0एम0यू0 तक पहुंची ब्लॉगिंग की धमक।
Your technical and live presentation on blog is praiseworthy .I remember well the live FAG on holy.
जवाब देंहटाएं@-- यदि मित्रता में ईमानदारी हो तो अच्छा माध्यम है ...वर्ना ...तो ...सब माया का संसार ...!!
जवाब देंहटाएंVani ji se sehmat
Aapko blogging ke zariye dost mil gaya iski badhayi! Ye to badee khushika awsar hua aapke liye!
जवाब देंहटाएं'Sarpat' jaisi film ham aam log kahan dekh sakte hain,kya aap bata sakenge?