मंगलवार, 16 जून 2009
एक पल ही जियो ...
एक पल ही जियो ,फूल बन कर जियो ,
शूल बन कर ठहरना नहीं जिन्दगी ||
अर्चना की सजोये हुए अंजली ,
तुम किसी देवता से मिलो तो सही |
जिन्दगी की यहाँ अनगिनत डालियाँ ,
तुम किसी पर सुमन बन खिलो तो सही ||
एक पल ही जियो ,तुम सुरभि बन जियो ,
धूल बन कर उमड़ना नहीं जिन्दगी ||
तम -भरी वीथीयों के अधूरे सपन ,
कुमकुमी बांसुरी पर बजाते चलो |
रात रोये हुए फूल की आँख में ,
ज्योति की नव किरण तुम सजाते चलो ||
एक पल ही जियो प्रात बन कर जियों ,
रात बन कर उतरना नहीं जिन्दगी |
चेतना के किसी भी क्षितिज से उठो ,
याचना के नयन -कोर परसा करो |
जिस लहर पर उड़ो,जिस डगर पर बहो ,
कामना की सुधा -बूँद बरसा करो ||
एक पल ही जियो ,तुम जलद बन जियो ,
वज्र बन कर घहरना नहीं जिन्दगी |
वेदना की लहर में डुबोये न जो ,
धार में डूबते को किनारा बने ,
शोक जब श्लोक की पूनमी छावं में ,
पंथ -हारे हुए को किनारा बने ||
एक पल ही जियो ,गीत बन कर जियो ,
अश्रु बनकर बिखरना नहीं जिन्दगी |
काल के हाथ पर भाव की आरती ,
बन सदा स्नेह से लौ लगाते चलो ,
देह को ज्योति-मन्दिर बनाते चलो ,
साँस की हर लहर जगमगाते चलो ||
एक पल ही जियो ,दीप बन कर जियो ,
धूम बन कर घुमड़ना नहीं जिन्दगी |
(जौनपुर के प्रख्यात कवि " साहित्य वाचस्पति " श्री पाल सिंह " क्षेम " के द्वारा लिखी गयी यह रचना १९५५ से १९६७ के बीच कभी सृजित की गयी थी .इसकी लोकप्रियता का आलम यह है कि तत्कालीन दौर में तथा आज भी कविसम्मेलनों में श्रोताओं की सबसे पसंदीदा रचना हुआ करती है .)
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बहुत सकारात्मक भाव लिए रचना पसंद आई. आभार इस प्रस्तुति का.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना. आभार इसे पढवाने के लिये.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वाह बहुत दिनों बाद इस रचना का रस लेने को मिला।
जवाब देंहटाएंएक पल ही जियो ,फूल बन कर जियो ,
जवाब देंहटाएंशूल बन कर ठहरना नहीं जिन्दगी ||
बहुत ही सुन्दर भाव, इसकी प्रस्तुति के लिये आपका ... आभार
मन की सारी गिरहें खोल दीं हैं आपने, वाह!
जवाब देंहटाएं---
तख़लीक़-ए-नज़र
बहुत ही सुन्दर ,मनभावन कविता.....
जवाब देंहटाएंकविता तो बहुत ही सुन्दर लगी. प्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंक्षेम जी की उम्दा रचना प्रस्तुत करनें के लिए आपको बधाई ,आपको याद थी क्या ?
जवाब देंहटाएंक्षेम जी की उम्दा रचना प्रस्तुत करनें के लिए आपको बधाई ,आपको याद थी क्या ?
जवाब देंहटाएंसकारात्मक रचना है वाकई
जवाब देंहटाएंइस सुंदर ओर एक सकारात्मक रचना रचना के लिये आप का आभार
जवाब देंहटाएंरोचक और प्रेरक रचना है। आभार।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
इस गीत ने एक युग को साकार कर दिया मानो
जवाब देंहटाएंइस शिल्प और भाषा की रचनाएँ अब कम ही होती हैं। इस रचना को पढ़ कर आनंद आया।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा.शानदार है .
जवाब देंहटाएंकविता तो बहुत अच्छी है और पिछली पोस्ट के एटम बम भी. ये एटम बम कहीं और नहीं मिलते क्या?
जवाब देंहटाएं(आपका टिपण्णी बक्सा कई बार टिपण्णी ही नहीं करने देता !)
वास्तव में बहुत सुन्दर कविता है। और अभिषेक का कथन सही है टिप्पणी बक्से के बारे में।
जवाब देंहटाएंक्षेम जी की उम्दा रचना प्रस्तुत करनें के लिए आपको बधाई ..
जवाब देंहटाएंआप का ब्लाग अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....
एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....
जीने का अंदाज़ सिखाती यह कविता बहुत पसंद आई.....पढ़वाने का शुक्रिया....
जवाब देंहटाएंसाभार
हमसफ़र यादों का.......
Ye kavita to apne bahut achhi lagayi hai...
जवाब देंहटाएंaur apki pichli post bhi vakai kabil-e-tarif hai...
manoj ji ur time machine 1967 me pachuchadiya
जवाब देंहटाएंकाफी गहरे है क्षेम जी की कविता के एक-एक शब्द , और हो भी क्यों न आख़िर पूर्वांचल की शान है क्षेम जी। एक शानदार कविता पढवाने का शुक्रिया । ..............
जवाब देंहटाएंbade dinon baad tippanee de rahee hun..yaa dene kaa sahas kar rahee hun !
जवाब देंहटाएंatyant sundar rachna se ru-b-ru karaya aapne...! Tahe dilse shukriya!
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जवाब देंहटाएंmaine typing galat kee thee...!Kshama karen!
एक पल ही जियो ,फूल बन कर जियो ,
जवाब देंहटाएंशूल बन कर ठहरना नहीं जिन्दगी |
बहुत सुन्दर जीवन के प्रति सकारात्मक भाव जगाती प्रेरक कविता
क्षेम जी को बधाई और आपका धन्यवाद्
बहुत ख़ूबसूरत, रोचक और शानदार कविता लिखने के लिए ढेर सारी बधाइयाँ! आपकी हर एक कविता प्रशंग्सनीय है!
जवाब देंहटाएंएक पल ही जियो ,फूल बन कर जियो ,
जवाब देंहटाएंशूल बन कर ठहरना नहीं जिन्दगी |
प्रस्तुति के लिए आभार
Jaunpur ko apne bloging dwara charcha men rakha hai..yahi kya kam hai...badi manmohak kavita hai.
जवाब देंहटाएं____________________________________________
अपने प्रिय "समोसा" के 1000 साल पूरे होने पर मेरी पोस्ट का भी आनंद "शब्द सृजन की ओर " पर उठायें.
ऐसी सदाबहार रचना से अवगत करने का तहे दिल से स्वागत है.
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार.
चन्द्र मोहन गुप्त
Bahut sundar kavita ko padhavane ke liya dhanyvad...
जवाब देंहटाएंRegards...
DevPalmistry
मिश्र जी क्षेम जी कविता को प्रशारित करने के लिए बहुत बहुत धन्यबाद वैसे तो मैं कई बार ये पढ़ चूका हूँ पर हर बार कुछ नया मिलता है आप का बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
ताजातरीन, सदाबहार रचना ................ शुक्रिया
जवाब देंहटाएंआपकी अद्भुत सृजनशीलता का कायल हूँ....वाकई आपकी रचना तमाम रंग बिखेरती है...साधुवाद.***
जवाब देंहटाएं"यदुकुल" पर आपका स्वागत है....
कविता बहुत अच्छी है..आभार.
जवाब देंहटाएंएक पल ही जियो ,दीप बन कर जियो ,
जवाब देंहटाएंधूम बन कर घुमड़ना नहीं जिन्दगी |
कविता अच्छी है!!!
bahut sundar rachna hai
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता की प्रस्तुति के लिये बधाई मनोज जी...... क्षेम जी की अन्य रचनाएं भी दें...
जवाब देंहटाएंआप लिख ही नहीं रहें हैं, सशक्त लिख रहे हैं. आपकी हर पोस्ट नए जज्बे के साथ पाठकों का स्वागत कर रही है...यही क्रम बनायें रखें...बधाई !!
जवाब देंहटाएं___________________________________
"शब्द-शिखर" पर देखें- "सावन के बहाने कजरी के बोल"...और आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाएं !!
बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएं"हिन्दीकुंज"
bahut sunder.....
जवाब देंहटाएंIski lokpriyata ke bare mein nahi pata. ham to first time padh rahe hain...... aur sach mein kamaal hain.......Itni achchi kavita padhwane ka shukriya
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता है . पढ़वाने का शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही प्यारी कविता है. मेरा ख़याल है कि ब्लॉग जगत के बहुत लोग क्षेम जी के बारे में कोई जानकारी नहीं रखते होंगे. अगर संभव हो तो उनके बारे में आप पूरी जानकारी देकर लोगों को उनसे परिचित कराने का पुण्यकार्य ज़रूर करें. यह हिन्दी ब्लॉग जगत की एक बड़ी उपलब्धि होगी.
जवाब देंहटाएंएक-एक पल की सार्थकता समझाती कविता..
जवाब देंहटाएंमन को भा गयी है,
एक नया एहसास जगा गयी है
कविता बहुत अच्छी लगी. सब ठीक कह रहे हैं, हमें भी क्षेम जी के बारे में कोई जानकारी नहीं है सो उनका परिचयनामा स्वागतयोग्य है.
जवाब देंहटाएंकाल के हाथ पर भाव की आरती ,
जवाब देंहटाएंबन सदा स्नेह से लौ लगाते चलो ,
देह को ज्योति-मन्दिर बनाते चलो ,
साँस की हर लहर जगमगाते चलो ||
-बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ.
-सकारात्मक भाव लिए प्रेरणादायक कविता .
बहुत सुंदर रचना है.बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता है। आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता। हमें नहीं रोक रहा टिप्पणी बक्सा। सबेरे से सटासट किये जा रहे हैं।
जवाब देंहटाएंBhai ji koi is Kavita ka song version plz plz mere Ko mere whatsup pe bhej de 8948528480 ya 9454692509
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