रविवार, 28 जून 2009

एक पसंदीदा गजल ...


खूबसूरत से इरादों की बात करता है
वो पतझडों में गुलाबों की बात करता है

एक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
अजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है

उछाल करके कुछ मासूम से सवालों को
वो पत्थरों से जबाबों की बात करता है

वो चाहता है अंगूठे बचे रहें सबके
वो कापियों की किताबों की बात करता है

एक चिंगारी छिपाए है अपने सीने में
वो बार -बार मशालों की बात करता है .

रचना -डॉ वशिष्ठ अनूप .

51 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छे शेर -- खूबसूरत गज़ल

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  2. एक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
    अजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है
    wah..!khoobdurat...

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  3. बहुत महत्वपूर्ण बातें छिपी हैं इन खूबसूरत शेरों में.....

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  4. बेहतरीन प्रस्तुति........ बधाई आप दोनों को..

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  5. बहुत गहरे अर्थ लिए हुए है ग़ज़ल...

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  6. वो चाहता है अंगूठे बचे रहें सबके
    वो कापियों की किताबों की बात करता है

    wakayi is lain me dam hai ......

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  7. उछाल करके कुछ मासूम से सवालों को
    वो पत्थरों से जबाबों की बात करता है
    उम्दा!

    सभी शेर बहुत अच्छे हैं.
    एक अच्छी ग़ज़ल पढ़वाने के लिए शुक्रिया.

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  8. बहुत लाजवाब शेर हैं जी. बहुत आभार आपका.

    रामराम.

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  9. इस सुन्दर रचना को पढ़वाने के लिए आभार.

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  10. एक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
    अजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है !

    बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों के साथ बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  11. बहुत खुब !!
    आभार!!!!!!
    महावीर बी सेमलानी
    मुम्बई टाईगर
    हे प्रभु यह तेरापन्थ

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  12. हरेक शेर बहुत बढिया है।बहुत बढिया प्रस्तुति।बधाई स्वीकारें।

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  13. वाह जी वाह एक एक शेर बधाई के काबिल और रचना तो बेहतरीन है जी

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  14. वाकई छांट कर लाए हैं यह गजल। शुक्रिया।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  15. उछाल करके कुछ मासूम से सवालों को
    वो पत्थरों से जबाबों की बात करता है
    बहुत खुब,
    धन्यवाद

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  16. सभी की मांग को देखते हुए आपसे निवेदन है की जौनपुर की समृध्द सांस्कृतिक विरासत पर ,यहाँ के कवियों एवं साहित्यकारों के बारे में भी ब्लॉग जगत को बताएं ,यह केवल आप ही कर सकते है .

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  17. एक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
    अजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है

    वाह...वाह.....!!

    उछाल करके कुछ मासूम से सवालों को
    वो पत्थरों से जबाबों की बात करता है

    बहुत खूब...!!!

    एक चिंगारी छिपाए है अपने सीने में
    वो बार -बार मशालों की बात करता है .

    मनोज जी बशिष्ठ जी का हर शे'र लाजवाब लगा .....शुक्रिया प्रस्तुति के लिया .....!!!

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  18. एक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
    अजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है
    अब क्या कहूँ इस अश आर ने तो निश्ब्द कर दिया वैसे सारी गज़ल ही काबिले तारीफ है बधाई्

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  19. एक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
    अजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है

    सहज और सलीके से कही गयी
    बेहतरीन गजल है !

    हर एक शेर में गजब की गहराई है !

    बधाई एवं शुभकामनायें !!!

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  20. बेहतरीन गजल। अच्‍छी लगी रचना।

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  21. शानदार और जानदार भी.....................हर एक शेर वजनी है..............

    ऐसे ही लिखते रहे..........बहुत खुब

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  22. खूबसूरत से इरादों की बात करता है
    वो पतझडों में गुलाबों की बात करता है

    बेहतरीन गजल.....हर शेर उम्दा!!!!

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  23. वो चाहता है अंगूठे बचे रहें सबके
    वो कापियों की किताबों की बात करता है
    ------------
    वाह! सर्व-शिक्षा अभियान के लिये माकूल लाइनें।

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  24. अरे वाह, यह कविता तो बहुत अच्छी लगी. रचनाएं चुन-चुन कर लाते हैं आप.

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  25. बहुत ही शानदार, लाजवाब, ख़ूबसूरत और उम्दा ग़ज़ल लिखने के लिए बधाई! आपकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है!

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  26. क्या कहूँ मेरे पास शब्द नही हैं इतना,
    बस एक बात कहूँगा ,बेहतरीन प्रस्तुति

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  27. "खूबसूरत से इरादों की बात करता है
    वो पतझडों में गुलाबों की बात करता है

    एक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
    अजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है"
    बशिष्ठ जी का हर शेर लाजवाब लगा....

    एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....

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  28. bahut samay se kuch padhne ka mauka nahi de rahe Sir yahaan aap...

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  29. Kamaal gazal hai har sher par dil wah wah kar utha
    achhi gazalen padhwate rahe

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  30. एक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
    अजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है
    वाह वाह वाह वाह पण्डितजी, क्या बेहतरीन बात वशिष्ट जी कह गए । बहुत आभार आपका यह उम्दा ग़ज़ल पढ़वाने के लिए।

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  31. vah utad vah...........
    gajab kar diya....
    aapki taeef main alfaz kam pad jayenge
    isliye jyada kuch nahi likh raha.....

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  32. एक चिंगारी छिपाए है अपने सीने में
    वो बार -बार मशालों की बात करता है .


    मशाल जलने के लिए भी चिन्गारी की ही ज़रूरत होती है , और जिसके अन्दर पास चिंगारी न होगी वह मशाल कैसे जलाये गा ,और कैसे रोशनी दिखायेगा अच्छी- अच्छी रचनाओं की प्रस्तुति के लिए आभारी हूँ |
    मैंने जब '"मा पलायनम " का जन्म होते देखा तभी अनुमान लग गया था यह क्या रूप लेगा ,अनुमान सही निकला | " धार्मिकता एवं सम्प्रदायिकता का अन्तर "
    पर अपना अभिमत अवश्य दें आभारी रहूँगा हाँ शायद यह एपी के मूड्स की न हो " स्वाइन - फ्लू और समलैंगिकता [पुरूष] के बहाने से "

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  33. ऐसी आशा जनक सोच और ख़्वाबों के बूते ही परिवर्तन लाया जा सकता है.

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  34. डा . मनोज जी आपके यहाँ आनंद ही आनंद है.उम्दा रचनाएँ तो आप पढ़वा ही रहे हैं छेत्र के कवियों से भी परिचय हो रहा है . ' क्षएम् ' जी तो इस खेत्ते की शान ही थे . आपके यहाँ अपनी मिट्टी की खुशबू पता हूँ हमेशा आने पर .
    बहुत ही धन्यवाद. अगस्त में आप से मुलाकात भी होगी .

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  35. Behtareen rachnaaon se ru-b-ru karwaa rahen hain aap..!

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://kavitasbyshama.blogspot.com

    http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

    http://shama-baagwaanee.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं

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