रविवार, 28 जून 2009
एक पसंदीदा गजल ...
खूबसूरत से इरादों की बात करता है
वो पतझडों में गुलाबों की बात करता है
एक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
अजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है
उछाल करके कुछ मासूम से सवालों को
वो पत्थरों से जबाबों की बात करता है
वो चाहता है अंगूठे बचे रहें सबके
वो कापियों की किताबों की बात करता है
एक चिंगारी छिपाए है अपने सीने में
वो बार -बार मशालों की बात करता है .
रचना -डॉ वशिष्ठ अनूप .
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बहुत अच्छे शेर -- खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंएक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
जवाब देंहटाएंअजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है
wah..!khoobdurat...
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत महत्वपूर्ण बातें छिपी हैं इन खूबसूरत शेरों में.....
जवाब देंहटाएंachhi peshkashhai Sir...shuruvaati sher bahut kamaal ke hai
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति........ बधाई आप दोनों को..
जवाब देंहटाएंबहुत गहरे अर्थ लिए हुए है ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंवो चाहता है अंगूठे बचे रहें सबके
जवाब देंहटाएंवो कापियों की किताबों की बात करता है
wakayi is lain me dam hai ......
bahut sundr
जवाब देंहटाएंआपकी पसंद लाजवाब है .
जवाब देंहटाएंउछाल करके कुछ मासूम से सवालों को
जवाब देंहटाएंवो पत्थरों से जबाबों की बात करता है
उम्दा!
सभी शेर बहुत अच्छे हैं.
एक अच्छी ग़ज़ल पढ़वाने के लिए शुक्रिया.
बहुत लाजवाब शेर हैं जी. बहुत आभार आपका.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सभी शेर बहुत अच्छे हैं.
जवाब देंहटाएं"हिन्दीकुंज"
इस सुन्दर रचना को पढ़वाने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंएक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
जवाब देंहटाएंअजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है !
बहुत ही सुन्दर शब्दों के साथ बेहतरीन प्रस्तुति ।
बहुत खुब !!
जवाब देंहटाएंआभार!!!!!!
महावीर बी सेमलानी
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
हरेक शेर बहुत बढिया है।बहुत बढिया प्रस्तुति।बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह एक एक शेर बधाई के काबिल और रचना तो बेहतरीन है जी
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक !
जवाब देंहटाएंवाकई छांट कर लाए हैं यह गजल। शुक्रिया।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
लाजवाब पेशकश
जवाब देंहटाएंउछाल करके कुछ मासूम से सवालों को
जवाब देंहटाएंवो पत्थरों से जबाबों की बात करता है
बहुत खुब,
धन्यवाद
manoj jee aap sabhee kaviyon ka prichy vistrit roop me de to bahut achchhaa rhega.
जवाब देंहटाएंसभी की मांग को देखते हुए आपसे निवेदन है की जौनपुर की समृध्द सांस्कृतिक विरासत पर ,यहाँ के कवियों एवं साहित्यकारों के बारे में भी ब्लॉग जगत को बताएं ,यह केवल आप ही कर सकते है .
जवाब देंहटाएंएक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
जवाब देंहटाएंअजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है
वाह...वाह.....!!
उछाल करके कुछ मासूम से सवालों को
वो पत्थरों से जबाबों की बात करता है
बहुत खूब...!!!
एक चिंगारी छिपाए है अपने सीने में
वो बार -बार मशालों की बात करता है .
मनोज जी बशिष्ठ जी का हर शे'र लाजवाब लगा .....शुक्रिया प्रस्तुति के लिया .....!!!
एक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
जवाब देंहटाएंअजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है
अब क्या कहूँ इस अश आर ने तो निश्ब्द कर दिया वैसे सारी गज़ल ही काबिले तारीफ है बधाई्
एक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
जवाब देंहटाएंअजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है
सहज और सलीके से कही गयी
बेहतरीन गजल है !
हर एक शेर में गजब की गहराई है !
बधाई एवं शुभकामनायें !!!
बेहतरीन गजल। अच्छी लगी रचना।
जवाब देंहटाएंशानदार और जानदार भी.....................हर एक शेर वजनी है..............
जवाब देंहटाएंऐसे ही लिखते रहे..........बहुत खुब
खूबसूरत ग़ज़ल...आभार !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत से इरादों की बात करता है
जवाब देंहटाएंवो पतझडों में गुलाबों की बात करता है
बेहतरीन गजल.....हर शेर उम्दा!!!!
वो चाहता है अंगूठे बचे रहें सबके
जवाब देंहटाएंवो कापियों की किताबों की बात करता है
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वाह! सर्व-शिक्षा अभियान के लिये माकूल लाइनें।
अरे वाह, यह कविता तो बहुत अच्छी लगी. रचनाएं चुन-चुन कर लाते हैं आप.
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार, लाजवाब, ख़ूबसूरत और उम्दा ग़ज़ल लिखने के लिए बधाई! आपकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है!
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ मेरे पास शब्द नही हैं इतना,
जवाब देंहटाएंबस एक बात कहूँगा ,बेहतरीन प्रस्तुति
Bahut khub.
जवाब देंहटाएं"खूबसूरत से इरादों की बात करता है
जवाब देंहटाएंवो पतझडों में गुलाबों की बात करता है
एक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
अजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है"
बशिष्ठ जी का हर शेर लाजवाब लगा....
एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....
दिल को छूती ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंwaha waha wahaaaaaaaaaaaaaaaaaaa................
जवाब देंहटाएंbahut samay se kuch padhne ka mauka nahi de rahe Sir yahaan aap...
जवाब देंहटाएंKamaal gazal hai har sher par dil wah wah kar utha
जवाब देंहटाएंachhi gazalen padhwate rahe
एक ऐसे दौर में जब नींद बहुत मुश्किल है
जवाब देंहटाएंअजीब शख्स है ख्वाबों की बात करता है
वाह वाह वाह वाह पण्डितजी, क्या बेहतरीन बात वशिष्ट जी कह गए । बहुत आभार आपका यह उम्दा ग़ज़ल पढ़वाने के लिए।
vah utad vah...........
जवाब देंहटाएंgajab kar diya....
aapki taeef main alfaz kam pad jayenge
isliye jyada kuch nahi likh raha.....
एक चिंगारी छिपाए है अपने सीने में
जवाब देंहटाएंवो बार -बार मशालों की बात करता है .
मशाल जलने के लिए भी चिन्गारी की ही ज़रूरत होती है , और जिसके अन्दर पास चिंगारी न होगी वह मशाल कैसे जलाये गा ,और कैसे रोशनी दिखायेगा अच्छी- अच्छी रचनाओं की प्रस्तुति के लिए आभारी हूँ |
मैंने जब '"मा पलायनम " का जन्म होते देखा तभी अनुमान लग गया था यह क्या रूप लेगा ,अनुमान सही निकला | " धार्मिकता एवं सम्प्रदायिकता का अन्तर "
पर अपना अभिमत अवश्य दें आभारी रहूँगा हाँ शायद यह एपी के मूड्स की न हो " स्वाइन - फ्लू और समलैंगिकता [पुरूष] के बहाने से "
ऐसी आशा जनक सोच और ख़्वाबों के बूते ही परिवर्तन लाया जा सकता है.
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar laajwaaab !!!
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachana aabhar
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat ghazal....
जवाब देंहटाएंडा . मनोज जी आपके यहाँ आनंद ही आनंद है.उम्दा रचनाएँ तो आप पढ़वा ही रहे हैं छेत्र के कवियों से भी परिचय हो रहा है . ' क्षएम् ' जी तो इस खेत्ते की शान ही थे . आपके यहाँ अपनी मिट्टी की खुशबू पता हूँ हमेशा आने पर .
जवाब देंहटाएंबहुत ही धन्यवाद. अगस्त में आप से मुलाकात भी होगी .
Behtareen rachnaaon se ru-b-ru karwaa rahen hain aap..!
जवाब देंहटाएंhttp://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
बहुत सुन्दर!
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