मंगलवार, 7 जुलाई 2009
एक अनुरोध .....
यह सितारों भरी रात फ़िर हो न हो
आज है जो वही बात फ़िर हो न हो
एक पल और ठहरो तुम्हे देख लूँ
कौन जाने मुलाकात फ़िर हो न हो ।
हो गया जो अकस्मात फ़िर हो न हो
हाथ में फूल सा हाथ फ़िर हो न हो
तुम रुको इन क्षणों की खुशी चूम लूँ
क्या पता इस तरह साथ फ़िर हो न हो ।
तुम रहो चांदनी का महल भी रहे
प्यार की यह नशीली गजल भी रहे
हाय,कोई भरोसा नहीं इस तरह
आज है जो वही बात कल भी रहे ।
चांदनी मिल गयी तो गगन भी मिले
प्यार जिससे मिला वह नयन भी मिले
और जिससे मिली खुशबुओं की लहर
यह जरूरी नहीं वह सुमन भी मिले ।
जब कभी हो मुलाकात मन से मिलें
रोशनी में धुले आचरण से मिले
दो क्षणों का मिलन भी बहुत है अगर
लोग उन्मुक्त अन्तः करण से मिले ||
(रचना-अवधी एवं हिन्दी के कालजयी
लोक कवि स्व .पंडित रूपनारायण त्रिपाठी जी,
जौनपुर )
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are sir aap ne to dil war war kar diya..........bahut khoobsurat rachna hai
जवाब देंहटाएंare sir aap ne to dil par war kar diya..........bahut khoobsurat rachna hai
जवाब देंहटाएंkya sir ye sab kaha kaha se khoj kar larahe hai.....
जवाब देंहटाएंआपने बहुत ही सही कहा है कि प्यार भरा मिलन होना चाहिये ...........अन्यथा जिन्दगी बेकार है ......................बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...........
जवाब देंहटाएंbahut hee sundr.
जवाब देंहटाएंकहाँ - कहाँ से खोज लातें हैं इतनी बेहतरीन रचनाएँ ,पंडित जी के असली साहित्यिक उत्तराधिकारी आप ही हैं .त्रिपाठी जी की उम्दा रचनाओं से ब्लॉग जगत को जरूर परिचित कराएँ .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना से रूबरू करवाया। आभार।
जवाब देंहटाएंत्रिपाठी जी की सुन्दर.......... मन को छूने वाली रचना ...............कितना सच लिखा है.............. जो करना है आज कर लो शायद कल हो न हो
जवाब देंहटाएंांअपका अनुरोध सिर आँखों पर बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति है बधाई और आभार्
जवाब देंहटाएंस्व.पंडित रूपनारायण त्रिपाठी जी की बेहतरीन रचना प्रस्तुत करने का आभार.
जवाब देंहटाएंबढ़िया सुन्दर रचना आभार !
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही लाजवाब रचना. आपका बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
एक सुहानी सी कविता ..........नाजुक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना पढ़वाने कि लिए ध्न्यवाद।
जवाब देंहटाएंकृपया धन्यवाद पढ़ें।
जवाब देंहटाएंउम्दा ग़ज़ल है -
जवाब देंहटाएंशुक्रिया इसे शेर करवाने के लिए जी
- लावण्या
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइतनी सुंदर रचना पढ़ने के सुअवसर के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना,धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
पद्य में कुछ टिपण्णी करने की कोशिश की थी . परन्तु हो न सका. बहुत सुन्दर रचना थी. आभार
जवाब देंहटाएंek aur khoobsurat rachna ......aabhaar
जवाब देंहटाएंसुन्दर और अर्थपूर्ण लगी यह रचना. धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंयह सितारों भरी रात फ़िर हो न हो
जवाब देंहटाएंआज है जो वही बात फ़िर हो न हो
एक पल और ठहरो तुम्हे देख लूँ
कौन जाने मुलाकात फ़िर हो न हो ।
यह तो किसी फिल्म के गीत की लाईने लग रही हैं
बहुत सुन्दर. शुक्रिया पढ़वाने का.
जवाब देंहटाएंवाह अति सुन्दर पंकितियों से आपने अवगत कराया धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएं'दो क्षणों का मिलन भी बहुत है अगर
जवाब देंहटाएंलोग उन्मुक्त अन्तः करण से मिले |'
-अति सुन्दर!
-गहन भाव हैं इस कविता में.
पंडित रूपनारायण त्रिपाठी जी की इस अद्भुत रचना के लिए धन्यवाद.
अच्छा है अंदाज़े-बयाँ।
जवाब देंहटाएंसुस्वागतम्।
रूमानी जज्बों की शानदार अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत ख़ूब, क्या कहने
जवाब देंहटाएं---
नये प्रकार के ब्लैक होल की खोज संभावित
सुन्दर भाव।
जवाब देंहटाएंमन होता है केवल आत्मा के स्तर पर ही सोचें, जहां विलगाव है ही नहीं!
बेहद खूबसूरत रचना...आनंद आ गया पढ़ कर...आप का बहुत बहुत शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंनीरज
वाह बहुत ही प्यारी लगी यह रचना शुक्रिया मनोज जी
जवाब देंहटाएंसच्ची बात कह रहा हूँ... खो सा गया इसे पढ़ते हुए. बुकमार्क कर लिया है ये तो. धन्यवाद रहेगा इसे पढ़वाने का.
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna lagi............
जवाब देंहटाएंek baar phir laajvaab kar diya sir.bahut khub
जवाब देंहटाएंएक पल और ठहरो तुम्हे देख लूँ
जवाब देंहटाएंकौन जाने मुलाकात फ़िर हो न हो ।
बहुत ही बेहतरीन लगी यह प्रस्तुति हर पंक्ति का अपना अलग ही अंदाज, जिसके लिये आपका आभार्
दो क्षणों का मिलन भी बहुत है अगर
जवाब देंहटाएंलोग उन्मुक्त अन्तः करण से मिले ||
- सुन्दर.
बहुत ही ख़ूबसूरत, लाजवाब और शानदार रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!
जवाब देंहटाएंकौन जाने मुलाकात फ़िर हो न हो । क्या बात है डा. साहब बहुत ही बेहतरीन रचना पढ़वाई आपने पण्डितजी की। आपका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंयह सितारों भरी रात फ़िर हो न हो
जवाब देंहटाएंआज है जो वही बात फ़िर हो न हो
एक पल और ठहरो तुम्हे देख लूँ
कौन जाने मुलाकात फ़िर हो न हो ।
bahut sundar!
वाह !! शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर! गुजारिश फ़िर वही वाली- इसे अपनी आवाज में सुनवायें!
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