बन हविष जल भी गये तो धूम हम बन जायेंगे
धूम से फ़िर मेघ बनकर,हविष ही उपजायेंगे ||
गोल है दुनिया की माफिक परिधि जीवन मृत्यु की
हैं चले जिस बिन्दु से हम ,फ़िर वहीं आ जायेंगे ||
"शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
"अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||
फूल समझा ,चुन लिया -है आपसे गलती हुई
गंध वासंती हैं हम हर साँस में घुल जायेंगे ||
खूब हन कर मारिये ,है चोट से रिश्ता घना
ओखली के धान है ,उजले ही होते जायेंगे||
परवरिश अपनी सम्भाले आप "अपनों " के लिए
घास हैं अभिराज अपना वंश ख़ुद बो जायेंगे ||
रचना -अभिराज डॉ राजेंद्र मिश्र.
सोमवार, 20 जुलाई 2009
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अभिराज राजेन्द्र मिश्र की उत्कृष्ट तेजस्वी रचना
जवाब देंहटाएंआपका आभार अभिराज डॉ राजेंद्र मिश्र की इस बेहतरीन रचना को पढ़वाने का.
जवाब देंहटाएंअभिराज डॉ राजेंद्र मिश्र.
जवाब देंहटाएंकी सुन्दर रचना प्रकाशित करने के लिए बधाई!
"शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
जवाब देंहटाएं"अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||
jiज्न्दगी के इस गणित का कोई जवाब नहीं बहुत गहरे भाव लिये प्रेरित करती कविता के लिये बधाई
अभिराज डॉ राजेंद्र मिश्र की बेहतरीन रचना को पढ़वाने का आभार
जवाब देंहटाएंregards
वाह ,क्या रचना है .बहुत ही सुंदर .आपकी पसंद की दाद देनी पडेगी.
जवाब देंहटाएंवाह ,क्या रचना है .बहुत ही सुंदर .आपकी पसंद की दाद देनी पडेगी.
जवाब देंहटाएंvaah.
जवाब देंहटाएंhum laakh bante jaayenge.kya rachna hai sir bilkul mere jeevan se judi lagti hai.bahut aabhar aapka.bahut acchi pasand hai aapki man khush ho gaya
जवाब देंहटाएंगोल है दुनिया की माफिक परिधि जीवन मृत्यु की
जवाब देंहटाएंहैं चले जिस बिन्दु से हम ,फ़िर वहीं आ जायेंगे ||
bahut sundar kavita..
aapko aur rajendra ji ko is bhav ko prastut karane ke liye hardik badhayi..
जितनी बार यह रचना पढ़ रहा हूँ ,भावः -बिह्वल हो जा रहा हूँ ,कमाल की कविता है,भई वाह.
जवाब देंहटाएंबस सिर्फ़ यही कहुंगा कि एक नायाब रचना पढवाने के लिये आभार आपका,
जवाब देंहटाएंरामराम.
"शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
जवाब देंहटाएं"अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||
बहुत सुन्दर इसको पढ़वाने का शुक्रिया
शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
जवाब देंहटाएं"अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||
ये पंक्तियाँ ख़ास पसंद आयीं.
डॉ राजेंद्र मिश्र की यह कविता हिम्मत बढाती और राह दिखाती हुई प्रतीत होती है.
हर पंक्ति ओज से भरी है.बेहद सार्थक रचना.
"शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
जवाब देंहटाएं"अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||
बहुत खूब लिखा आपने, बहुत-बहुत आभार्
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंjoshili kavita padhvane ke liye dhanyvad|
जवाब देंहटाएं@@dr mishra jee kee koi anya rchna ho to use bhee prastut kre.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत ही बढिया ......भाई.....क्या कहे शब्द नही है .
जवाब देंहटाएं"शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
जवाब देंहटाएं"अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे
लाजवाब प्रस्तुति है इस ग़ज़ल में........... हिन्दी में likhi लाजवाब kriti, har शेर लाजवाब
बहुत सुंदर और बहुत कुछ कहती हुई सशक्त रचना।
जवाब देंहटाएंShaandar rachna.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
"शून्य ही कह लीजिये,हमको कोई शिकवा नहीं
जवाब देंहटाएंअंक में जुड़ते गये तो लाख हम बन जायेंगे|"
इन पंक्तियों का जवाब नहीं...
वैसे तो सभी अच्छे हैं पर तीसरे शेअर का जवाब नहीं
जवाब देंहटाएं------------
· ब्रह्माण्ड के प्रचीनतम् सुपरनोवा की खोज
· ॐ (ब्रह्मनाद) का महत्व
गोल है दुनिया की माफिक परिधि जीवन मृत्यु की
जवाब देंहटाएंहैं चले जिस बिन्दु से हम ,फ़िर वहीं आ जायेंगे ||
सुन्दर रचना !!
परवरिश अपनी सम्भाले आप "अपनों " के लिए
जवाब देंहटाएंis lain me kavi ne apna pura jiwan samahit kar diya hai .......bahut achhi lagi yah rachna ...
आपका आभार अभिराज डॉ राजेंद्र मिश्र की इस बेहतरीन रचना को पढ़वाने का.
जवाब देंहटाएंBahut khubsurat sher...ek-ek shabd dil men utarate jate hain.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग "शब्द सृजन की ओर" पर पढें-"तिरंगे की 62वीं वर्षगांठ ...विजयी विश्व तिरंगा प्यारा"
सुन्दर!
जवाब देंहटाएंकोई हविष के जलने में वायुमण्डल में ग्रीनहाउस गैस बढ़ने की बात न करने लगे!
सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंक्या खूबसूरत रचना है
जवाब देंहटाएंशून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
जवाब देंहटाएं"अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||
wah !! acchi upma !!
क्या कमाल लिखते हैं हैं आप ग़ज़ब !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना पढ़ने को मिली. विशेषतः इन पंक्तियों ने गहरा असर किया-
जवाब देंहटाएं"शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
"अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||
फूल समझा ,चुन लिया -है आपसे गलती हुई
गंध वासंती हैं हम हर साँस में घुल जायेंगे ||
अनेक विद्वान् ब्लॉग को साहित्य का दर्जा नहीं देते.ब्लॉग साहित्य हो या न हो लेकिन ब्लॉग में साहित्य पढ़ने को जरूर मिल जाता है.
शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
जवाब देंहटाएं"अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||
सशक्त रचना...!!!
बहुत सुन्दर कविता है. कवी को बधाई और आपको धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंlagta hai aap har sundar chiz k prami hai.................
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना पढ़वाने के लिये आभार...
जवाब देंहटाएंkripya rchnakaar kee anya rchnao se bhee prichit krayen,regards.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने !
जवाब देंहटाएंसुन्दर!शून्य से जुड़े लाख बने!
जवाब देंहटाएं@मेरा मतलब अंक से जुड़ें लाख बनें!
जवाब देंहटाएं