सोमवार, 20 जुलाई 2009

हविष ही उपजायेंगे ||

बन हविष जल भी गये तो धूम हम बन जायेंगे
धूम से फ़िर मेघ बनकर,हविष ही उपजायेंगे ||

गोल है दुनिया की माफिक परिधि जीवन मृत्यु की
हैं चले जिस बिन्दु से हम ,फ़िर वहीं जायेंगे ||

"शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
"अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||

फूल समझा ,चुन लिया -है आपसे गलती हुई
गंध वासंती हैं हम हर साँस में घुल जायेंगे ||

खूब हन कर मारिये ,है चोट से रिश्ता घना
ओखली के धान है ,उजले ही होते जायेंगे||

परवरिश अपनी सम्भाले आप "अपनों " के लिए
घास हैं अभिराज अपना वंश ख़ुद बो जायेंगे ||
रचना -अभिराज डॉ राजेंद्र मिश्र.

43 टिप्‍पणियां:

  1. अभिराज राजेन्द्र मिश्र की उत्कृष्ट तेजस्वी रचना

    जवाब देंहटाएं
  2. आपका आभार अभिराज डॉ राजेंद्र मिश्र की इस बेहतरीन रचना को पढ़वाने का.

    जवाब देंहटाएं
  3. अभिराज डॉ राजेंद्र मिश्र.
    की सुन्दर रचना प्रकाशित करने के लिए बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  4. "शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
    "अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||
    jiज्न्दगी के इस गणित का कोई जवाब नहीं बहुत गहरे भाव लिये प्रेरित करती कविता के लिये बधाई

    जवाब देंहटाएं
  5. अभिराज डॉ राजेंद्र मिश्र की बेहतरीन रचना को पढ़वाने का आभार
    regards

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह ,क्या रचना है .बहुत ही सुंदर .आपकी पसंद की दाद देनी पडेगी.

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह ,क्या रचना है .बहुत ही सुंदर .आपकी पसंद की दाद देनी पडेगी.

    जवाब देंहटाएं
  8. hum laakh bante jaayenge.kya rachna hai sir bilkul mere jeevan se judi lagti hai.bahut aabhar aapka.bahut acchi pasand hai aapki man khush ho gaya

    जवाब देंहटाएं
  9. गोल है दुनिया की माफिक परिधि जीवन मृत्यु की
    हैं चले जिस बिन्दु से हम ,फ़िर वहीं आ जायेंगे ||
    bahut sundar kavita..

    aapko aur rajendra ji ko is bhav ko prastut karane ke liye hardik badhayi..

    जवाब देंहटाएं
  10. जितनी बार यह रचना पढ़ रहा हूँ ,भावः -बिह्वल हो जा रहा हूँ ,कमाल की कविता है,भई वाह.

    जवाब देंहटाएं
  11. बस सिर्फ़ यही कहुंगा कि एक नायाब रचना पढवाने के लिये आभार आपका,

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  12. "शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
    "अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||
    बहुत सुन्दर इसको पढ़वाने का शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  13. शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
    "अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||

    ये पंक्तियाँ ख़ास पसंद आयीं.
    डॉ राजेंद्र मिश्र की यह कविता हिम्मत बढाती और राह दिखाती हुई प्रतीत होती है.
    हर पंक्ति ओज से भरी है.बेहद सार्थक रचना.

    जवाब देंहटाएं
  14. "शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
    "अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||

    बहुत खूब लिखा आपने, बहुत-बहुत आभार्

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत बहुत बहुत ही बढिया ......भाई.....क्या कहे शब्द नही है .

    जवाब देंहटाएं
  16. "शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
    "अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे

    लाजवाब प्रस्तुति है इस ग़ज़ल में........... हिन्दी में likhi लाजवाब kriti, har शेर लाजवाब

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत सुंदर और बहुत कुछ कहती हुई सशक्त रचना।

    जवाब देंहटाएं
  18. "शून्य ही कह लीजिये,हमको कोई शिकवा नहीं
    अंक में जुड़ते गये तो लाख हम बन जायेंगे|"
    इन पंक्तियों का जवाब नहीं...

    जवाब देंहटाएं
  19. गोल है दुनिया की माफिक परिधि जीवन मृत्यु की
    हैं चले जिस बिन्दु से हम ,फ़िर वहीं आ जायेंगे ||

    सुन्दर रचना !!

    जवाब देंहटाएं
  20. परवरिश अपनी सम्भाले आप "अपनों " के लिए
    is lain me kavi ne apna pura jiwan samahit kar diya hai .......bahut achhi lagi yah rachna ...

    जवाब देंहटाएं
  21. आपका आभार अभिराज डॉ राजेंद्र मिश्र की इस बेहतरीन रचना को पढ़वाने का.

    जवाब देंहटाएं
  22. Bahut khubsurat sher...ek-ek shabd dil men utarate jate hain.

    मेरे ब्लॉग "शब्द सृजन की ओर" पर पढें-"तिरंगे की 62वीं वर्षगांठ ...विजयी विश्व तिरंगा प्यारा"

    जवाब देंहटाएं
  23. सुन्दर!
    कोई हविष के जलने में वायुमण्डल में ग्रीनहाउस गैस बढ़ने की बात न करने लगे!

    जवाब देंहटाएं
  24. शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
    "अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||

    wah !! acchi upma !!

    जवाब देंहटाएं
  25. क्या कमाल लिखते हैं हैं आप ग़ज़ब !!

    जवाब देंहटाएं
  26. बहुत सुन्दर रचना पढ़ने को मिली. विशेषतः इन पंक्तियों ने गहरा असर किया-

    "शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
    "अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||

    फूल समझा ,चुन लिया -है आपसे गलती हुई
    गंध वासंती हैं हम हर साँस में घुल जायेंगे ||

    अनेक विद्वान् ब्लॉग को साहित्य का दर्जा नहीं देते.ब्लॉग साहित्य हो या न हो लेकिन ब्लॉग में साहित्य पढ़ने को जरूर मिल जाता है.

    जवाब देंहटाएं
  27. शून्य "ही कह लीजिये ,हमको कोई शिकवा नहीं
    "अंक "में जुड़ते गये तो "लाख " हम बन जायेंगे||

    सशक्त रचना...!!!

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत सुन्दर कविता है. कवी को बधाई और आपको धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  29. बढ़िया रचना पढ़वाने के लिये आभार...

    जवाब देंहटाएं
  30. बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने !

    जवाब देंहटाएं
  31. @मेरा मतलब अंक से जुड़ें लाख बनें!

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियाँ मेरे ब्लॉग जीवन लिए प्राण वायु से कमतर नहीं ,आपका अग्रिम आभार एवं स्वागत !