दीप की लौ मचल रही होगी
रूह करवट बदल रही होगी |
रात होगी तुम्हारी आंखों में
नींद बाहर टहल रही होगी ||
चैन सन्यास ले लिए होगा
पीर टाले न टल रही होगी |
तुम चिता देख कर न घबराओ
आत्मा घर बदल रही होगी||
जगमगाती है उनकी आँखे तो
रोशनी दिल में पल रही होगी |
यह जो खुशबू है ,फूल के तन से
जान उसकी निकल रही होगी ||
एक आवारा गूँज तो इनके
उनके सीने में ढल रही होगी
जिसको दो गज जमीन भी न मिली
वह जफर की गजल रही होगी ||
(जौनपुर के महाकवि स्व .पंडित रूप नारायण
त्रिपाठी जी की बहुप्रशंसित रचना )
बुधवार, 29 जुलाई 2009
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रात होगी तुम्हारी आंखों में
जवाब देंहटाएंनींद बाहर टहल रही होगी ||
क्या बात है डा० साहब। इन पंक्तियों ने मुझे बहुत आकर्षित किया। सुन्दर अभिव्यक्ति।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
शायद महारानी गायत्री देवी जी की आत्मा भी महल बफल रही होगी क्यूँ ? क्या पता ? कविता पसंद आयी -
जवाब देंहटाएं- लावण्या
स्व .पंडित रूप नारायण त्रिपाठी जी की
जवाब देंहटाएंबहुश्रुत रचना को पुनः उधृत करने के लिए धन्यवाद !
बहुत अच्छी रचना त्रिपाठी जी की..
जवाब देंहटाएंआत्मा घर बदल रही होगी...!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..!!
जगमगाती है उनकी आँखे तो
जवाब देंहटाएंरोशनी दिल में पल रही होगी |
यह जो खुशबू है ,फूल के तन से
जान उसकी निकल रही होगी ||
बहुत अच्छी रचना धन्यवाद...
बहुत सुंदर रचना। पढ़वाने के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंएक एक पंक्ति जैसे गहन घन हहर हहर जांय
जवाब देंहटाएं"जिसको दो गज जमीन भी न मिली
वह जफर की गजल रही होगी"
बहुत खूब!
महत्वपूर्ण रचना की प्रस्तुति के लिए आभार ।
जवाब देंहटाएंचैन सन्यास ले लिए होगा
जवाब देंहटाएंपीर टाले न टल रही होगी |
तुम चिता देख कर न घबराओ
आत्मा घर बदल रही होगी||
bahut bhavpurn..sundar kavita..
badhayi manoj ji..
चैन सन्यास ले लिए होगा
जवाब देंहटाएंपीर टाले न टल रही होगी |
तुम चिता देख कर न घबराओ
आत्मा घर बदल रही होगी||
गहरे भावों के साथ बहुत ही सुन्दर पंक्तियां,
आपको इस प्रस्तुति के लिये आभार्
सुन्दर रचना. आभार
जवाब देंहटाएंएक आवारा गूँज तो इनके
जवाब देंहटाएंउनके सीने में ढल रही होगी
जिसको दो गज जमीन भी न मिली
वह जफर की गजल रही होगी ||
lलाजवाब बहुत बहुत बधाई
चैन सन्यास ले लिए होगा
जवाब देंहटाएंपीर टाले न टल रही होगी |
तुम चिता देख कर न घबराओ
आत्मा घर बदल रही होगी||
बहुत बहुत खूब !!!
badhiya kavita sir.maut ki bhi sundar abhivykti. badhai
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब रचना. आभार आपका.
जवाब देंहटाएंरामराम.
तुम चिता देख कर न घबराओ
जवाब देंहटाएंआत्मा घर बदल रही होगी||..
यह गहन दर्शन पढ़ कर तो रोम सिहर उठते हैं ,बेहतरीन रचना ,बधाई.
तुम चिता देख कर न घबराओ
जवाब देंहटाएंआत्मा घर बदल रही होगी||..
यह गहन दर्शन पढ़ कर तो रोम सिहर उठते हैं ,बेहतरीन रचना ,बधाई.
पंडित जी की यह रचना उन लोगों को अवश्य पढ़ना चाहिए जो मृत्यु से डरते है । यह रचना पढ़कर मेरा रोम -रोम सिहर उठा । वकई सुंदर रचनाकारों से भरा है हमारा देश बस उन्हें आप जैसा कदरदान मिलना चाहिए।
जवाब देंहटाएंक्या पंक्ति है .......दीप की लौ मचल रही होगी,रूह करवट बदल रही होगी | रात होगी तुम्हारी आंखों में,नींद बाहर टहल रही होगी ||
bahut bhavpurn..sundar kavita..
जवाब देंहटाएंbadhayi manoj ji..
तीन-चार बार आ कर लौट गया हूँ ,समझ नहीं पा रहा कि किन पंक्तियों का चयन कर उसे श्रेष्ठ कह प्रशंसा करूँ एक वर्ग चुनता हूँ तो शायद दूसरी पंक्ति वर्ग की भावनाएं आहत होंगी |अतः स्व० त्रिपाठी जी को नमन कहना ही मेरी नज़र से शायद सही टिपण्णी होगी !!! ?
जवाब देंहटाएंऔर इस प्रस्तुति के लिए आप का आभारी हूँ धन्यवाद
kya bat kahi hai aapane ........kawita to masaalaah ........her ek pankatiy par jaan nikal rahi hai .......kyoki baat ruh tak pahuch rahi hai....badhaaee
जवाब देंहटाएंरात होगी तुम्हारी आंखों में
जवाब देंहटाएंनींद बाहर टहल रही होगी ||
waah ...
poori rachana hi sambhaal kar rakh li hai maine..yah kavita to mujhe bahut hi pasand aayi hai.
bahut hi khoobsurat kavita aap ne padhwaayee.bahut achchhee pasand hai aap ki.
Manoj ji bahut shaandaar rachnaa laaye hain khojkar.
जवाब देंहटाएंAabhaar.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
चैन सन्यास ले लिए होगा
जवाब देंहटाएंपीर टाले न टल रही होगी |
तुम चिता देख कर न घबराओ
आत्मा घर बदल रही होगी||
bahut hi sundar bhav!
चैन सन्यास ले लिए होगा
जवाब देंहटाएंपीर टाले न टल रही होगी |
तुम चिता देख कर न घबराओ
आत्मा घर बदल रही होगी||
लाजवाब रचना!!!!स्व .पंडित रूप नारायण त्रिपाठी जी की इस बेहतरीन रचना को प्रस्तुत करने के लिए आभार्!!
इतनी सुन्दर रचना के लिये आभार...पढकर बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंगुलमोहर का फूल
सुन्दर! आभार इसे पढ़वाने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अच्छी रचना . बधाई.
जवाब देंहटाएंjivan aur mritu ek dusare ke purak hai .hum sab is se badhe hai . tabhi to hame aage badah ne ka awsar milata hai. bahut sundar w sajiw kavita ko lane ke liye hum aabhari hai
जवाब देंहटाएंसुन्दर। यह तो आत्मा की नश्वरता और पुनजन्म में आस्था जगाती है कविता। हिन्दू धर्म के यही तो आधार हैं।
जवाब देंहटाएंएक अच्छी रचना प्रस्तुत करने के लिये बधाई
जवाब देंहटाएंसर्व प्रथम तो आपका हार्दिक आभार जो आपने जौनपुर के महाकवि स्व .पंडित रूप नारायण त्रिपाठी जी की बहुप्रशंसित रचना से हम सब को अवगत कराया.
जवाब देंहटाएंरचना निश्चय ही प्रशंशनीय है, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है.
किन्तु एक जिज्ञासा है कि निम्न पंक्तियों किस सन्दर्भ में लिखी गईं हैं......
"उसको दो गज जमीन भी न मिली
वह जफर की गजल रही होगी ||'
स्पष्टीकरण की प्रतीक्षा में.....
@यह पंक्तियां किस सन्दर्भ में लिखी गईं ,यह स्पष्टीकरन तो स्वर्गीय त्रिपाठी जी ही दे सकते थे .
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने! इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंकबीर ने कहा है- घूँघट के पट खोल तोहे पिय मिलेंगे,
जवाब देंहटाएंचलो भाई जब तक पिय नहीं मिले तब तक इसी तरह घर बदलते रहेंगे हम-सब
http://som-ras.blogspot.com
आपकी रचनाओं पे comment करने में हमेशा झिझक होती है ..और मेरे पहले ही जब इतना कुछ कह जाते हैं, तो और क्या कहूँ?
जवाब देंहटाएंhttp://shamasansmaran.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://fiberart-thelightbyalonelypath.blogspot.com
एक बार फिर बेहतरीन प्रस्तुति... वाहवा..
जवाब देंहटाएंबहादुर शाह जफ़र अपने अंतिम वक्त में अपने वतन से दूर रंगून में थे मादरे वतन से अलगाव उनकी अंतिम ग़ज़लों में साफ़ दिखता है
जवाब देंहटाएं"इतना है बदनसीब जफ़र दफ़न के लिए
दो गज जमीन भी न मिली कू(वतन या प्रेमिका ) ए यार में "
उनकी ये ग़ज़ल उनकी इसी भावना को दर्शाती है पंडित त्रिपाठी जी ने ये पंकितियाँ
"उसको दो गज जमीन भी न मिली
वह जफर की गजल रही होगी ||'
बहादुर शाह जफ़र की ग़ज़ल के परिप्रेक्ष्य में लिखी थी
दीप की लौ मचल रही होगी
जवाब देंहटाएंरूह करवट बदल रही होगी |
रात होगी तुम्हारी आंखों में
नींद बाहर टहल रही होगी , अदभुत ,आत्मा में धंस गयी यह पंक्तियां ..................
Maja aa gaya apki gazal padhkar.lajwab gazal ke liye badhai.
जवाब देंहटाएंतुम चिता देख कर न घबराओ
जवाब देंहटाएंआत्मा घर बदल रही होगी||
अति सुन्दर. कभी रूपनारायण जी के बारे में भी पूरी जानकारी दीजिए. हिन्दी जगत के तमाम नए पाठक उनसे लगभग अपरिचित ही हैं.
Kripya kuchh nayaa bhi padhwaayen.
जवाब देंहटाएं{ Treasurer-T & S }
दीप की लौ मचल रही होगी
जवाब देंहटाएंरूह करवट बदल रही होगी |
रात होगी तुम्हारी आंखों में
नींद बाहर टहल रही होगी ...स्व पंडित रूपनारायण त्रिपाठी जी को नमन ..आपने उनको हमसे परिचित कराया ...श्रंगार रस की अच्छी पंक्तियाँ
लाज़वाब!!
जवाब देंहटाएंसादर
महेन्द्र मिश्र
bahut achchhi rachana dhanyavad.
जवाब देंहटाएंचैन सन्यास ले लिए होगा
जवाब देंहटाएंपीर टाले न टल रही होगी |
तुम चिता देख कर न घबराओ
आत्मा घर बदल रही होगी||
Wah aaj ek nai baat mili
aabhaar
इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
जवाब देंहटाएंअंतराल लंबा हो गया है | नयी पोस्ट की प्रतीक्षा है |
जवाब देंहटाएंNamste Manoj ji,
जवाब देंहटाएं[mahino se aap ne blog update nahin kiya hai.
??]
-aap ko aur aap ke parivar mein sabhi ko Diwali ki shubhkamnayen .
-abhaar sahit,
Alpana
इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दिवाली की घणी रामराम.
जवाब देंहटाएंरामराम.
रात होगी तुम्हारी आंखों में
जवाब देंहटाएंनींद बाहर टहल रही होगी ||
स्व पंडित रूपनारायण त्रिपाठी जी को नमन ..बधाई.
चैन सन्यास ले लिए होगा
जवाब देंहटाएंपीर टाले न टल रही होगी |
तुम चिता देख कर न घबराओ
आत्मा घर बदल रही होगी||
.....vah, bahut khubsurat,
आपका वापिस आना ज्यादा सुखद है या ये पंक्तियाँ पढ़ना...बताना मुश्किल है ...
जवाब देंहटाएंbhut achchha sir
जवाब देंहटाएंalso i have comeback on blog
Bade dino baad aapke blog pe aayee hun..aur padhi huee rachnaka dobara aanand uthaya..ek kasak phirse mahsoos huee...ek peer tahalte hue dil me sama gayi..
जवाब देंहटाएंडा.मनोज भैया ,
जवाब देंहटाएंइतना लम्बा अंतराल ? हम क्या पुनि पुनि अब तक के लिखे का ही आनंद लिए जाएँ ?
नव वर्ष की शुभ कामनाएं !
मनोज जी आप को और परिवार में सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंAbhaar
सिर्फ बधाई से काम नहीं चलेगा, पोस्ट भी लिखनी होगी।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की अशेष कामनाएँ।
आपके सभी बिगड़े काम बन जाएँ।
आपके घर में हो इतना रूपया-पैसा,
रखने की जगह कम पड़े और हमारे घर आएँ।
--------
2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।
नववर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामना - महेन्द्र मिश्र
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंअक्सर आपके ब्लाग पर आने पर पाया कि आप अनुपस्थित हैं, आज नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ आप मेरे ब्लाग पर अपने आशीष के साथ आये, बहुत ही अच्छा लगा, आप नववर्ष में कुछ नया रचें इन शुभकामनाओं के साथ नववर्ष की ढेर सारी बधाई ।
जवाब देंहटाएंएक एक पंक्ति जैसे गहन घन हहर हहर जांय
जवाब देंहटाएं"जिसको दो गज जमीन भी न मिली
वह जफर की गजल रही होगी"
ओह छह माह छुट्टी मारे थे। वाह! इसको भी अपनी आवाज दीजिये!
जवाब देंहटाएं