अज़ब संयोग है | आज लम्बे अन्तराल के बाद अचानक पोस्ट लिखने को मन हो आया और वह भी श्री गणेशचतुर्थी को| हमारे पूर्वांचल में , हर घर -महिलाएं दिन भर से निरा जल व्रत हैं ,पुत्र के लम्बे और यशस्वी जीवन केलिए , आज निरा जल ,चाँद देखने की ललक है|बिना चाँद देखे न तो पूजा होगी और न ही पूजा का फल मिलनेवाला | हालाँकि मौसम और घने कुहरे को देखते हुए बुजुर्गों नें चंद्रोदय का समय ८.२० बता कर व्रत पूरा करनें की सलाह दे डाली है लेकिन मैं पूरे गाँव का चक्कर लगा आया हूँ कोई भी बगैर चाँद देखे यह शार्टकट मारनें के मूड में नहीं है, क्योंकि घर की इन जिम्मेदार महिलाओं को पता है कि गणेश जी हमारी धर्मं एवं संस्कृति में विघ्न विनाशक हैं, शुभता और मंगल के प्रतीक | बिना आपके सुमिरन के घर में कुछ भी मंगल सम्पादित नहीं होता .
इस व्रत की कथा लिखूंगा तो पोस्ट लम्बी हो जायेगी फिर भी इतना तो समझ ही लीजिये की हमारे धर्मं में अस्सी प्रतिशत व्रत कहीं न कहीं भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती से जुड़े हैं सो यह व्रत भी उन्ही से जुड़ा है ,जिसका सम्बन्ध पुत्र की लम्बी आयु से है|
हमारे समाज में पुत्र जन्म से लेकर संपूर्ण जीवन को सुखमय बनाने के लिए कितने उपाय किये गयें हैं| जन्म के समय गाये जाने वाले लोकगीत (सोहर)में कितनी उम्मीदें ,कितने सपने जुड़े होतें हैं | राजा और रंक दोनों के लिये एक ही गीत,एक ही उम्मीद और अभिलाषा | आज कितनें सपनों को पूरा कर पा रहें हैं हम और हमारे समाज के चरित नायक ?आज गणेश चतुर्थी के दिन इस आंचलिक लोक गीत को अवश्य सुनियेगा जिसे मैं बचपन से सुनता आ रहा हूँ , मुझे यह आज भी पहले जैसा ही लुभावना लगता है -----
इस व्रत की कथा लिखूंगा तो पोस्ट लम्बी हो जायेगी फिर भी इतना तो समझ ही लीजिये की हमारे धर्मं में अस्सी प्रतिशत व्रत कहीं न कहीं भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती से जुड़े हैं सो यह व्रत भी उन्ही से जुड़ा है ,जिसका सम्बन्ध पुत्र की लम्बी आयु से है|
हमारे समाज में पुत्र जन्म से लेकर संपूर्ण जीवन को सुखमय बनाने के लिए कितने उपाय किये गयें हैं| जन्म के समय गाये जाने वाले लोकगीत (सोहर)में कितनी उम्मीदें ,कितने सपने जुड़े होतें हैं | राजा और रंक दोनों के लिये एक ही गीत,एक ही उम्मीद और अभिलाषा | आज कितनें सपनों को पूरा कर पा रहें हैं हम और हमारे समाज के चरित नायक ?आज गणेश चतुर्थी के दिन इस आंचलिक लोक गीत को अवश्य सुनियेगा जिसे मैं बचपन से सुनता आ रहा हूँ , मुझे यह आज भी पहले जैसा ही लुभावना लगता है -----
स्वागतम ....गीत मनोहर हैं ....अब नियमित भव.....
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत! मैं ने सुन लिया है। गृहणी ने व्रत रखा है। पूजा करने गई है पड़ौस में। उस के आने पर उसे भी सुनाना है। बेटी-बेटा दोनों बाहर हैं।
जवाब देंहटाएंमनोज जी बढ़िया जानकारी गणेश चतुर्थी के बारे में...अब तो आते ही रहिए..बहुत दिन के बाद आए है ..
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में पुनर्वापसी का स्वागत है .. इतने दिनों बाद लिखी गयी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी .. सुंदर गीत भी सुनाया आपने .. बहुत धन्यवाद .. आपके और आपके परिवार के लिए नया वर्ष मंगलमय हो !!
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने जन्म के समय गाये जाने वाले आशा, शुभकामना से ओतप्रोत लोकगीत जन्म लेते ही आप से की जाने वाली अपेक्षाओं को बढ़ा देते हैं..फिर कितनी पूरी कर पाते हैं हम..मगर जन्म दायिनी के लिए तो उसकी संतान ही सब कुछ होती है चाहे राजा बने या रंक.
जवाब देंहटाएंनये वर्ष की शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर गीत, नियमित लेखन का इंतजार है, बधाई हो।
जवाब देंहटाएंचलिए देर आये दुरुस्त आये एक बात कहूँ गुरु सफलता और असफलता में सिर्फ इतना अंतर है जब आप प्रयास करना छोड़ देते है तब सफलता आप से सिर्फ एक कदम दूर होती है खैर आप लड़कियों के बारे में क्या कहेंगे सारे वर्त सिर्फ पुत्रों के लिए लड़कियों ने क्या बिगाड़ा है खैर आप नहीं समझेंगे कुछ कुछ होता है.........................?
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत, वेसे हमे तो पता ही नही चलता अपने त्योहारो का, आज गणेश चतुर्थी है , लेकिन इस के बारे आप के लेख से पता चला, हम सच मै अपने इन रीति रिवाजो से बहुत दुर निकल आये है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद इस सुंदर जान्कारी के लिये
aapkee vapasee ka swagat hai.bahut intjaar kraya aapne.happy 2010.
जवाब देंहटाएंaapkee vapasee ka swagat hai.bahut intjaar kraya aapne.happy 2010.
जवाब देंहटाएंवापसी पर स्वागत है। पूर्वांचल की बातें पढने को मन कर रहा है :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक और अच्छा सन्देश.
जवाब देंहटाएंवो सब ठीक है पंडितजी,
जवाब देंहटाएंमगर एक वादा कीजिए के इतने दिन अब ब्लॉग से आप दूर न रहेंगे। प्रॉमिस ? बप्पा की स्तुति मधुर लगी।
सब से पहले .....मनोज जी , अच्छा लगा ki एक अरसे बाद आप ने मुहूरत तो निकाला पोस्ट लिखने का ...बहुत बहुत स्वागत है!
जवाब देंहटाएंयह गीत वाकई बहुत मधुर है..जो मधुरता आँचलिक गीतों में है वो और कहाँ?कृपया गायिका का नाम
और अगर यह किसी फिल्म का है तो उसका भी नाम बता दिजीये..
आभार.
स्वागत है!!
जवाब देंहटाएं’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
नये साल मे पुनरागमन पर स्वागत है आपका. गीत भी सुमधुर है.
जवाब देंहटाएंकल चांद ने मौसम की वजह से संपुर्ण भारत मे महिलाओं को वाकई बहुत इंतजार कराया. पर स्नेह वश किये जाने वाले इस व्रत मे अगर चांद रात भर भी ना दिखे तब भी हमारी माताएं बहनें बडी झुशी खुशी इंतजार करेंगी.
रामराम.
नववर्ष पर लम्बे अंतराल के बाद आज आपकी पोस्ट पढ़ने व सुनने का अवसर मिला, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार एवं शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंनये साल में बडा शुभ कार्य किया आपने, अपने ब्लॉग को सक्रिय करके। आशा है अब यह सक्रियता बनी रहेगी। और हाँ, गीत वाकई बहुत सुंदर है।
जवाब देंहटाएं--------
लखनऊ बना मंसूरी, क्या हैं दो पैग जरूरी?
2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन चालू है।
@अल्पना जी ,
जवाब देंहटाएंगीत की गायिका का नाम अभी तक मुझे पता नहीं चल पाया है,मैं जल्द ही आपको बताऊंगा.लेकिन यह पक्का है कि किसी आंचलिक भोजपुरी गायिका ने ही इसे गाया है.
आदर सहित
ati sundar ,nav varsh ki haardik shubhkaamnaaye
जवाब देंहटाएंआपका लौटना सुखद है और वह भी इस सुन्दर प्रविष्टि के साथ !
जवाब देंहटाएंआभार ।
कल चौथ का व्रत हमारा भी था ...रात चाँद बहुत देर से दिखा ...
जवाब देंहटाएंमेरा व्रत तो मेरी बेटियों के लिए ही होता है ....बेटी के होने पर वे सारी रस्मे निभायी गयी थी जो एक बेटे के जन्म पर की जाती हैं ...और एक नहीं दोनों बेटियों के जन्म पर ...!!
स्वागत।
जवाब देंहटाएंवर्णन और गीत दोनों ही लाजवाब, धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar geet .
जवाब देंहटाएंवापसी अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंNaya saal bahut mubarak ho..!Aapko tatha aapke pathak doston ko bhee..
जवाब देंहटाएंवक्र तुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ
जवाब देंहटाएंनिर्विघ्नं कुरू में देव सर्व कार्येषु सर्वदा.
.. वाह नववर्ष में गणेश जी की स्तुति के साथ मधुर भोजपुरी संगीत.
अच्छा लगा यहां आकर.
कुछ गणेश चतुर्थी से जुडी लोक कथाएँ भी हो जाए !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्द्क़र गीत है नये साल की आपको शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसर मै भी खोज रहा हूँ कि ये किस फिल्म का गाना है..........................
जवाब देंहटाएंसर ये गाना पिया के गाव फिल्म में पहली बार प्रयोग किया गया था. यह लोकगीत सोहर है जिसे महिलाये लड़का होने पर भोजपुरी एरिया में गति है.
जवाब देंहटाएंvah ..kya baat hai..bade dino baad koi sohar suna ...aabhaar..ise prastut karne ka
जवाब देंहटाएंसुन्दर! बिटिया के होने का भी कोई गीत हो तो लगाइये।
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