गत दिनों विश्वविद्यालय में दूरस्थ प्रदेश के एक प्रोफेसर साहब परीक्षा लेने आये थे.मेरी मुलाकात होने पर कुशल क्षेम के बाद बात शुरू हुई ,उसी समय उनका मोबाइल बजने लगा और फिर वे बात करने लगे.मुझे लगा कि वे कुछ परेशान से हैं .मैंने कहा कि तबियत ठीक है?उन्होंने कहा कि हाँ भी और नहीं भी.मैंने कहा मैं समझा नहीं .उन्होंने कहा कि मेरे पारिवारिक डाक्टर सलाह दे रहे हैं कि आप ब्लागिंग करना छोड़ दो.मैंने पूछा क्यों ? उन्होंने कहा की हमारे डॉ साहब का मानना है कि ब्लागिंग से भी मानसिक तनाव बढ़ता है और परिणामत : ब्लड प्रेशर की बीमारी..मैंने कहा अरे आप भी ,छोडिये इस सलाह को .ऐसा मैंने तो कहीं नही देखा-सुना.उन्होंने कहा कि मैं नई उम्र के लोंगों के लिए यह बात नहीं कर रहा हूँ लेकिन जो लोग 45 के पार के हैं उनकेस्वास्थ्य लिए ब्लागिंग खतरनाक हो सकती है.
उन्होंने बताया कि आजकल ह्रदय रोग विशेषज्ञ जब मानसिक तनावों की बात करतें हैं तो उसमें काम का तनाव , पारिवारिक तनाव ,डिप्रेशन , चिंता के साथ-साथ पढ़े लिखे रोगियों से ब्लागिंग के बारे में भी पूछना शुरू कर दिया है .मैंने पूछा कि ब्लागिंग से हार्ट का क्या सम्बन्ध है,उन्होंने कहा कि जब आप कोई पोस्ट लिखतें हैं तो हो सकता है वह स्वान्त : सुखाय आप लिख रहें हों पर जब उस पर टिप्पड़ियाँ शुरू होतीं है ,जो कि कहीं न कहीं आपको तनाव ग्रस्त बना के ही जातीं हैं .मुझे लगा कि क्या ये सही कह रहे हैं ?मैंने अपने विभाग के कुछ विद्यार्थियों के जिम्मे काम का आवंटन कर दिया और उनसे कहा कि इस विषय पर एक सर्वेक्षण कर यथार्थ का पता किया जाय कि क्या यह वाकई में सही हो सकता है? विभाग के छात्रों नें बहुत मुश्किल से कुछ वरिष्ठ (ब्लॉग जगत पर नहीं, उम्र के हिसाब से ) ब्लागर्स को इस अध्ययन के लिए तैयार किया .सर्वेक्षण आनें पर परिणाम चौकाने वाला रहा-जिन के ब्लाग पर जिस दिन अच्छी टिप्पणी मिली ,ज्यादा की संख्या में मिली ,वे तो दिन भर उमंग में थे एकदम तनाव रहित और उनका ब्लड प्रेशर भी नार्मल रहा लेकिन जिस दिन उनके ब्लॉग पर मन मुताबिक टिप्पणी या यूँ कहिये एक भी टिप्पणी नहीं मिली उसके दूसरे या तीसरे दिन वे कुछ तनाव में और ब्लड प्रेशर कुछ हाई या फिर लो पाया गया .सबसे ज्यादा मानसिक तनाव या हाई ब्लड प्रेशर के शिकार वे लोग पाए गये जिनके ब्लॉग पर अनामी- बेनामी लोंगों नें भद्दे कमेन्ट किये थे . इस सम्बन्ध में हमारे प्रोफ़ेसर साहब की स्पष्ट सलाह है कि ब्लोगिंग छोड़ देने से ही इस तनाव जनित बीमारी का इलाज संभव है, वर्ना कब तक दवा खाई जायेगी.मैंने कहा यह तो हो ही नहीं सकता कोई दूसरा विकल्प बताइए जिससे ब्लागिंग भी की जाय और तनाव-हाई ब्लड प्रेशर से भी बचा जाय. उन्होंने कहा की फिर टिप्पणी बंद कर दें ,न टिप्पणी आयेगी न तनाव होगा.मैंने कहा की इस विकल्प को भी नहीं माना जा सकता क्योंकि जब साधुवाद ही नहीं मिलेगा तो लिखने से फायदा ही क्या? आपकी राय लोग मानेंगे तब तो ब्लाग जगत की रौनक ही चली जायेगी.
परस्पर विरोधी वक्तव्यों के चलते इस सर्वेक्षण का अंतिम निष्कर्ष हमारे छात्र प्रकाशित नहीं कर प़ा रहे हैं. ,क्या आप सुधी जन इसमें कुछ सलाह दे सकतें है कि ब्लॉग जगत पर सक्रिय रहने के साथ मानसिक तनाव और ब्लड प्रेशर के खतरे से कैसे बचा जाय ??
मंगलवार, 5 जनवरी 2010
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तनाव होने के तो कई बहाने हैं। लहरें गिनने वाला भी तनावग्रस्त हो सकता है।
जवाब देंहटाएंसही एटीट्यूड तलाशना बहुत जरूरी है।
लोग -बाग वाह-वाह की आशा में ही तो ब्लॉग पर लिख रहें हैं ,एक आप है जो लोंगो से वह भी छुड़ाना चाहतें हैं.अपनें प्रोफेसर साहब से कहिये मस्त रहें कोई बीमारी नहीं होने वाली
जवाब देंहटाएं________________________________________________________________________________________________________________________
तनु .
टिप्पड़ी को टिप्पणी कर दीजिए फिर हम टिप्पणी करेंगे। :)
जवाब देंहटाएंफिलहाल तो हमें इसी से तनाव है। ;
)
यथार्थबोध के साथ कलात्मक जागरूकता भी स्पष्ट है।
जवाब देंहटाएंटिप्पणिया पाने और ब्लॉग जगत पर सक्रिय रहने के मायने हर ब्लागर के लिये अलग अलग भी हो सकते है. हमारे अनुसार से ब्लॉग जगत पर सक्रिय रहने का मतलब है अपने ब्लाग मे पोस्ट लिखना, पठनीय ब्लागो को पढना.
जवाब देंहटाएंमेरा मानना है कि हमारे पोस्टों को यदि टिप्पणिया नही मिल रही है तो इसका मतलब यह नही है कि हमारे पोस्ट पढे नही जा रहे है और यदि यह वर्तमान मे पढे नही जा रहे है तो भी उनकी उपादेयता भविष्य मे रहेगी.
अब आगे आपका सर्वेक्षण बतलायेगा.
@गिरिजेश भाई साहब ,
जवाब देंहटाएंभूल सुधार कर ली गयी है,क्षमा सहित .
यह सब गूगल महराज की अनुकम्पा है ,
खैर अब तो टिपिया दीजिये.
संजीव तिवारी जी से सहमत ।
जवाब देंहटाएंआपका विश्लेषण काफी हद तक सही लगता है।
जवाब देंहटाएंइसलिए सबसे अहम् बात है, खुद की भावनाओं पर नियंत्रण रखना।
अजी टेंशन तो सास बहु के सीरियल देखकर भी होता है , यदि आप इसमें खो जाएँ तो।
विश्लेषण बहुत हद्द तक सही लगता है..क्योंकि जितने ख़तरे कंप्यूटर के अधिक प्रयोग के हैं वैसे ही ख़तरे अधिक ब्लॉग्गिंग के भी हैं [कुछ और साथ में अडीशनल[number of comments ki tension+bloggers[groups]mein tana tani+Mushroom ki tarah failte blogger awards+ badhti hui Quiz+competitions +......etc etc....]
जवाब देंहटाएं****ब्लॉग्गिंग को अगर खुद पर हावी ना होने दिया जाए तो समस्या कुछ नहीं होगी और यहाँ होने वाली घटनाओं के सिर्फ़ सकारत्मक पहलू को देखें नेगेटिव को ओवरलुक करें..बस फिर तनाव नही होगा..
वैसे जिंदगी में Tension लेने के और भी तरीके हैं जिस व्यक्ति ने परेशान होना है wah खाली बैठे भी परेशान रहता है..ब्लॉग्गिंग को सारा दोष क्यूँ दें?
अब समझा मेरे ब्लड प्रेशर का स्त्रोत...तो ये है!!! हमारा डॉक्टर खामखाँ परेशान घूम रहा है और बीबी, जबरदस्ती हमारी ड्रिंक को दो से घटवा कर एक करवा बैठी..आज इस आलेख की फोटोकॉपी उसको दिखता हूँ...आपका व्यक्तिगत आभार.
जवाब देंहटाएं(सर्व श्री/जी) ज्ञानदत्त पांडे, डॉ दराल, अल्पना वर्मा, संजीव तिवारी से सहमत
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
कमेंटिंग से ज्यादा ब्लोगिंग को इम्पोर्टेंट माना जाए.. बस यही इलाज है..
जवाब देंहटाएंOh ! No body contacted me for my version !
जवाब देंहटाएंयहां तो इस बात का टेंशन हो जाता है कि कोई टेंशन ही नही है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
मैंने आपके सवाल को आज यहाँ मेडिकल सोसाइटी में भी उछाला है, देखिये चिकित्सक इसके बारे में क्या बताते है.पता चलनें पर बताउंगी.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवैसे समीर जी , ताऊ जी,और कुश जी विचार को भी नोट करें.
जवाब देंहटाएंजहां आदमी होगा, वहाँ खतरा तो होगा ही। आपने सही बात बतायी, सावधान रहना होगा।
जवाब देंहटाएं--------
सुरक्षा के नाम पर इज्जत को तार-तार...
बारिश की वो सोंधी खुश्बू क्या कहती है ?
सकरात्मक पहलु हर चीज का पहले लेना चाहिए ...लिखो ,पोस्ट करो और भूल जाओ ,अगली पोस्ट लिखो ..और मस्त रहो :)
जवाब देंहटाएंआप सभी को नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये ।
जवाब देंहटाएंइस वर्ष अपनी समृद्धि और विकास साथ ही देश के विकास और समृद्धि के लिए एक पौधा अवश्य लगाये !!
Rahi baat blogging se tabiyat bigadne ki to mai kah sakta hoon ye un logon ko gumrah karna hai jo 45 ke baad desh aur samaj ke liye waqt nikal paate hai .agar unhe iske baare me gambhirta se bataya jayega to phir samaj aur desh ka kya hoga bloging ke uddesy ka kya hoga.....mideabahes.blogspot.com
matlab bina matlab ki tension .........are kaun pale.........blogging karte chalo ,kya hindu kya muslman , hum sab hain blogger, blogging karte chalo.
जवाब देंहटाएंसोलह वर्ष की आयु से मुझे उच्चरक्तचाप की शिकायत रही है पर जबसे ब्लोगिंग शुरू किया है निरंतर जाच में यह सामान्य ही आ रहा है ! शायद इसमें ब्लोगिंग का योगदान नहीं हो !
जवाब देंहटाएंये खतरा 45 वर्ष से ऊपर की आयु वालों को है तो इसका मतलब हमें अभी चिन्ता करने की जरूरत नहीं :)
जवाब देंहटाएंमेरी तो अभी उम्र ही कम है देखेंगे जब ख़तरा बढ़ेगा तब तक तो ब्लॉगिंग का मज़ा ले ही ले ना..बढ़िया चर्च..धन्यवाद मनोज जी!!
जवाब देंहटाएंagar har ek kam ko us tak hi simit rakha jaye to aisy problem create nahi hogi . B.P. to tab badhti hai jab aisy bato ko lekar ham serious ho jate hai aur apani personal life me uska sumar karte hai .
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर किसी बात को मन से ना लगाये और मस्त रहे....................नहीं तो ब्लॉग अटैक हो जायेगा
जवाब देंहटाएंज्ञान दत्त जी की टिप्पणी को मेरी भी टिप्पणी समझी जाये ।
जवाब देंहटाएंये टिप्पियाने वाले सीरियस बात कर रहे हैं या बस टीपिया रहे हैं ........... वैसे आपकी बात में दम नज़र आता है .........
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सुन्दर एवम ज्ञान वर्धक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
ेअगर हम ब्लागिन्ग नहीं करेंगे तो खाली दिमाग शैतान का घर और फिर और कोई न कोई तनाव ले लेंगे। मुझे तो तनाव से राहत मिली है । 60 मे पहुँच कर मेरी ऊर्जा पढने लिखने की बढ गयी है। मस्त लिखो मस्त टिपियओ फिर तनाव कैसा? शायद आपकी ही बात सही हो मगर मुझे एक साल मे कभी भी ऐसा नहीं लगा । धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंजो बात हर जगह काम करती है वह यहाँ भी करेगी - निर्लिप्तता.
जवाब देंहटाएंसुख दुखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ...
वैसे और भी बहुत कुछ किया जा सकता है यथा, टिप्पणी की ऑप्शन हटाना, विवादित विषयों से बचना, ताऊ को गुरु बनाकर मस्त रहना आदि...
anaskt kokar blog jgat me rhiye koi khtra nahi .
जवाब देंहटाएंhm to kai salon tak 45 par hee atke rahenge...koi tenshion naai hai ji...
जवाब देंहटाएंपता नहीं कैसे मुझसे आपका ब्लॉग छूट गया? इतना अच्छा ब्लॉग कैसे मेरी नज़रों से दूर रहा.... लानत है मुझ पर.... अब से मैं रेगूलर आऊंगा...
जवाब देंहटाएंसादर
महफूज़....
ब्लॉगिंग के प्रभाव व्यक्ति की अपनी क्षमता के हिसाब से पड़ते हैं। कुछ लोग विपरीत बातों को मजे में लेते हैं, खेलभावना में और विपरीत बातों से अपने मतलब की बात निकाल लेते हैं। कुछ लोग विपरीत टिप्पणियों को देखकर ऐसे भड़क उठते हैं जैसे सांड़ को लाल कपड़ा दिखा दिया गया। लेकिन उनका ऐसा व्यवहार केवल ब्लॉगिंग में ही नहीं होगा। यह उनका व्यक्तित्व है। ब्लॉगिंग के लिये अलग से व्यक्तित्व एलॉट नहीं होता।
जवाब देंहटाएंतो इसमें ब्लॉगिंग को दोष देने से क्या होगा? परेशान रहने वाला परेशानी होने के बहाने खोज ही लेता है।