फाग-रंग में रंगी मेरी पिछली पोस्ट और गत वर्ष की अपनी पोस्ट में मैंने फाग-गीत के विविध विधाओं पर चर्चा की थी.आज की पोस्ट फाग-गीत -उलारा से सम्बंधित है.इस आंचलिक फाग गीत में एक तरुणी की गहन पीड़ा की मार्मिक अभिव्यक्ति को चित्रित किया गया है.वह कह रही है कि मैं तरुणी हूँ और मेरा हरि (पति) अभी बालक है.उस पर उसकी ननद उसे चिढ़ा रही है तथा उससे कह रही है कि कटोरी में तेल और उबटन के साथ मालिश कर के जल्द अपने पति को बड़ा करे.ननद-भौजाई की नोक-झोक आंचलिक लोक गीतों में प्रमुखता से दृष्टब्य है.उसी का निदर्शन प्रस्तुत गीत में भी किया गया है.अवधी में रची-बसी इस रचना को हमारे जनपद के लोक गायक प्रज्ञा-चक्षु बाबू बजरंगी सिंह बहुत मन से गाते हैं .अब गांवों में भी इस प्रकार की गायकी-बोल कम ही सुनायी पड़ते हैं क्योंकि आधुनिकता की बयार अब वहाँ भी पहुँच चुकी है ।
अब पहले बाबू बजरंगी सिंह के स्वर में सुनिए अवधी का परम्परागत आंचलिक फाग-गीत -उलारा --------
इस फाग गीत के बोल हैं------
करिहौं का का यार -मैं तरुणी, हरि छोट जतन करिहों का
गऊँवा गोयाड्वा आयल बरतिया हे रामा हो हुलसे मन मोर ,
सैंया के देखल गदेलवा -जिया जरि ग मोर ......
मैं तरुणी, हरि छोट जतन करिहों का......
लहुरी ननदिया ताना मारे हे भौजी तोहरौ हरि छोट ,
हाथे में लईला बुकौवा -कोसिया भर तेल ,
चढ़ी जा बालम सेजरिया -मलि करिदै सयान-
मैं तरुणी, हरि छोट जतन करिहों का.....
बड़े बाग़ में पड़ा बिछौना हे रामा हो ,
तकिया मखमौल ,ता पर पिय मोरा सोवै -अंखिया रतनार -
मैं तरुणी, हरि छोट जतन करिहों का....
......................................................................................................
अब अगली सामयिक पोस्ट में फिर फागुनी चौताल के साथ भेंट होगी...
करिहौं का का यार -मैं तरुणी, हरि छोट जतन करिहों का
गऊँवा गोयाड्वा आयल बरतिया हे रामा हो हुलसे मन मोर ,
सैंया के देखल गदेलवा -जिया जरि ग मोर ......
मैं तरुणी, हरि छोट जतन करिहों का......
लहुरी ननदिया ताना मारे हे भौजी तोहरौ हरि छोट ,
हाथे में लईला बुकौवा -कोसिया भर तेल ,
चढ़ी जा बालम सेजरिया -मलि करिदै सयान-
मैं तरुणी, हरि छोट जतन करिहों का.....
बड़े बाग़ में पड़ा बिछौना हे रामा हो ,
तकिया मखमौल ,ता पर पिय मोरा सोवै -अंखिया रतनार -
मैं तरुणी, हरि छोट जतन करिहों का....
......................................................................................................
अब अगली सामयिक पोस्ट में फिर फागुनी चौताल के साथ भेंट होगी...
यह आंचलिक सौगात अमूल्य है ....शुभकामनायें आपको !!
जवाब देंहटाएंfag gito ko sunane ke liye dhanyawad
जवाब देंहटाएंमैं कभी भी होली के समय गाँव में नहीं रहा हूं...लेकिन इन गीतों के माध्यम से वह माहौल और मस्ती अच्छी तरह से महसूस कर रहा हूं।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार इस गीत को यहां प्रस्तुत करने के लिए।
हम समझत रहे कि सब बुढ़ाय गयेन ब्लॉग जगत मा। केहू नाहीं बचा जे मनावे फागुन झकझोर के। जय हो...ई पोस्ट पढ़ि के हमहूं के ताव आई रहा है बकिया का करि आज तs मस्त हमहीं फागुन हुई जात हैं।
जवाब देंहटाएंDharohar bachane ke is prayas ke liye aapka dhanyavad. Bahut ras mila.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी और अनूठी प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा ये फाग गीत .
आप के ब्लॉग पर इस तरह के गीतों का एक अच्छा संकलन हो गया है जो शायद नेट पर कहीं उपलब्ध नहीं है .
बहुत सुंदर और अनूठी पोस्ट..... आंचलिक पुट वाले गीत सच में मनभावन होते हैं......
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,आभार
जवाब देंहटाएंफाग गीतों की श्रंखला जबरदस्त है. गीत सुनकर तो जितना आनंद आया वह एक जगह पर आपकी प्रस्तावना से गीत समझ भी आया जिससे आनंद दुगना हो गया.
जवाब देंहटाएंगीत को आपकी भूमिका पढ़कर बेहतर समझा ...
जवाब देंहटाएंसौंधी मिट्टी - सी गंध होती है इन गीतों में ...
बहुत सुंदर, धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आनन्द आ गया। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर फ़ाग गीत, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम
कटोरी में तेल और उबटन के साथ मालिश कर के जल्द अपने पति को बड़ा करे--
जवाब देंहटाएंइस फाग गीत में देश की मिटटी की सोंधी सोंधी सी खुशबू आ रही है ।
अत्यंत मनोरम ।
मजा आ गया...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लगा! उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंयह आंचलिक सौगात अमूल्य है| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंआदरणीय डॉ. मनोज मिश्र जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
पिछली पोस्ट की तरह बहुत अच्छी पोस्ट है …साधुवाद !
बाबू बजरंगी सिंह जी को सुनना अभी शेष है
हार्दिक बधाई !
समय मिले तो आइएगा होली के रंगों में रंगने
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
♥होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बढिया पोस्ट.
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएँ.
घुघूती बासूती
होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
जवाब देंहटाएंआइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।
alpana ki baaton se main bhi sahmat hoon ,sundar geet ,holi parv ki badhai sweekare .
जवाब देंहटाएंरंग-पर्व पर हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बढिया पोस्ट.
जवाब देंहटाएंमनोज जी इस अनुपम प्रस्तुति के लिए साधुवाद !
जवाब देंहटाएंजोगीरा सररररर!
वाह वाह मजा आ गया
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