अब फागुन पूरे उफान पर है .हम लोंगों का क्षेत्र,या यूँ कहिये पूरा पूर्वांचल इस मामले में बहुत समृद्ध था.पूरे फागुन माह भर- गांव-गांव ,घर-घर ,ढोल की थाप सुनाई पडती रहती थी . फागुन भर फगुआ लोंगों की जुबान पर रहताथा,ऐसा लगता था कि लोग-बाग़ पगला गये हैं-"फागुन में बाबा देवर लागे -फागुन में .........? एक आज -कलकितना बदल गया सब .न वो गाने वाले रहे और न ही उनकी मंडली .एक पूरी पीढी इन लोक-गीतों से अनजान जारही है.इन लोक गीतों में जो रस है वह आज कल फागुनी गीतों के नाम पर परोसे जाने वाले फूहड़ और अश्लील गीतोंमें नहीं है.
आज गांव में चौपाल पर चौताल सम्राट प्रसिद्द ढोल वादक बाबू बंशराज सिंह के शिष्य पंडित कृष्णानंद उपाध्यायअपने एक शिष्य श्री सोनू जी (जो कि विलुप्त फाग गीतों के नवोदित कलाकार हैं ) को फाग गायन के सूत्र समझानेंआये थे,मुलाकात हो गयी .मुझे बना दिया मुख्य गायक और सोनू जी मेरे सहयोगी हो गये .जम गयी मंडली हो गया फाग .एक दो नहीं बल्कि तीन चार फगुआ-उलारा गाया गया .अब हम कोई सिद्ध-हस्त गवैया तो हैं नहीं ,अब कोई गाने वाला है नहीं इस लिए इन गीतों को जिन्दा करनें में जो हो सकता है प्रयास भर कर रहे हैं .पता नहीं कैसा गा पाया हूँ (वैसे भी इस गला फाड़ फाग गायकी के लिए हमारे क्षेत्र में कोई बचा भी नहीं है ).तो आइये फिर, पहले पढ़िए और फिर सुनिए -कि क्यों-कैसे फागुन महीनें में नैहर अच्छा नहीं लगता ....प्रस्तुत फागुनी गीत मैंने बचपन में सुना था जब मैं कक्षा १० का छात्र था ,उसके बोल आज भी मेरे तन -मन में गूंजते हैं ......
मोहे नीको न लागे नैहरवा -मोहे नीको न लागे नैहरवा....
कौन मास बन कोइल बोले ,कौन मास बोले मोरवा ,
मोहे नीको न लागे नैहरवा॥
चैत मास बन कोइल बोले , भादऊँ मास बोले मोरवा ,
मोहे नीको न लागे नैहरवा॥
कौन मास नैहर निक लागे ,कौन मास बालम कोरवा ,
मोहे नीको न लागे नैहरवा॥
सावन मास नैहर निक लागे ,फागुन मास बालम कोरवा ,
मोहे नीको न लागे नैहरवा॥मोहे नीको न लागे नैहरवा॥
अब मेरी आवाज़ में यह फाग-गीत ....
डाउनलोड लिंक.
http://www.4shared.com/file/228838018/f25ea8ad/Mohe_Neeko_N_lage.html
और अब कल सुनिए ( अगली पोस्ट में) फाग गीत की एक और विलुप्त विधा--- उलारा.............
बुधवार, 24 फ़रवरी 2010
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया । मज़ा आ गया।
जवाब देंहटाएंवाह..होली का रंग फ़गुनियाता नजर आता है अब..फ़ाग को सुनने के साथ ही उसे पढ़ने का मजा भी कम नही लगा..इसुरी की फ़ागों के बारे मे सुना है काफ़ी मगर पढ़ा नही कभी..कुछ और भी प्रकाश डालिये फ़ाग की विधा पर..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएं@अपूर्व जी, अवश्य ,अगली पोस्ट में कोशिश करेंगे.
जवाब देंहटाएंमनोज जी-
जवाब देंहटाएंऐसा ही भाव 36गढी फ़ाग मे है। इसमे नायिका को नैहर नीक लग रहा है, वहां नायिका को ससुराल से डर लग रहा है। बात एक ही लगती है।
तोला ससुरे जाए के बड़ा डर भारी।
मईके मे मजा मारे हो बाई,मजा मारे हो बाई।
हा हा हा अपुर्व आनंद्। होली का पुर्ण आनंद
फ़ाग के लिए आभार
@शर्मा जी ,नायिका को फागुन में नैहर अच्छा नहीं लग रहा है,यह चित्रण है.
जवाब देंहटाएंआप भी एकदम रस सिद्धफाग लिख दिए हैं,आभार.
---क्या सर ,एक दम गजब ढा दिए हैं.
जवाब देंहटाएंपॉडकास्ट पर पॉडकास्ट.
हम तो आपकी इस प्रतिभा से अपरिचित ही थे--
कहाँ छुपे थे अब तक----------
आप की इस पोस्ट और आज के सुनाए फाग गीत ने तन-मन दोनों जीत लिए।
जवाब देंहटाएंओह, आज तो मैं मन्त्र मुग्ध हो गया हूं। गीत-संगीत-गायन से कभी बहुत लगाव न था। पर आज तो ओवरडू हो जा रहा है।
जवाब देंहटाएंखैर अब बन्द कर सोया जाये!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति,फ़ाग सुन कर मजा आ गया
जवाब देंहटाएंअब हम कोई सिद्ध-हस्त गवैया तो हैं नहीं .. ऐसा तो नहीं लग रहा है .. दो दिनों से लगातार सुन रही हूं आपको .. गांव की याद बिल्कुल ताजी हो गयी !!
जवाब देंहटाएंबेहद ही लाजवाब पेशकश धन्यवाद शब्द भी कम लग रहा है कहने को ....!!
जवाब देंहटाएंसादर
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
बहुत ही सुन्दर व लाजवाब प्रस्तुति लगी ।
जवाब देंहटाएंफिर आनन्द आ गया...वाह!! जमाये रहिये फागु महफिल अब होली तक...जमे रहेंगे सुनने वाले!!
जवाब देंहटाएंआज डाऊनलोड लिंक देकर बढ़िया किया आपने.
अरे वाह बहुत सुंदर ओर मधुर आवाज, हम तो इस गीत के संग मन ही मन नाचने भी लगे
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही मोहक लोकगीत .
जवाब देंहटाएंसुनने में बहुत आनंद आया .
बहुत ही अच्छी आवाज़ है आप की और गायन भी.
इस बार भी ढोलक की संगत ने रंग जमा दिया.
शुक्रिया डाउनलोड के लिंक के लिए.
जितना सुन्दर गीत उतना सुन्दर गला
जवाब देंहटाएंलाजवाब, लाज़वाब.........
जवाब देंहटाएंगज़ब ढा दिया................
एकदम फगुनिया गए हम तो........
आपका हार्दिक आभार.
होली की आपको अग्रिम बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
मैं तो शायद पहली बार ऐसे लोक गीत सुन रही हूँ बहुत अच्छे लगे। देश की संस्कृति को जीवित रखने का प्रयास बहुत अच्छा है। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवाह वाह, आनंद आगया. रंग जम गया आज तो.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bahut sundr lgan .
जवाब देंहटाएंyh gana kbee nheen suna'
जवाब देंहटाएं-POORA OFFICE GEET SUN MAST HAI--
जवाब देंहटाएंवाह गुरु वाह आप ने तो गर्दा मचा दिया होली के टाइम में लगता है आप भी पूरा मुडिया गए है. लगे रहिये .....................................................
जवाब देंहटाएंखूब जम रही है फाग की महफ़िल बहुत बढ़िया शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या महफिल को रंगों से सराबोर कर दिया आपने, बहुत-बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंफाग सुनकर तो आपने पूर्वांचल की होली की याद ताजा हो गई...बहुत खूब रही ये.
जवाब देंहटाएं____________
शब्द सृजन की ओर पर पढ़ें- "लौट रही है ईस्ट इण्डिया कंपनी".
वाह्! जितना सुन्दर गीत आवाज उतनी ही मधुर.....बहुत बढिया!!
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह !
जवाब देंहटाएंमस्त कर दिया भाई ......... मज़ा आ गया ........
जवाब देंहटाएंजबर्दस्त है !
जवाब देंहटाएंसुन-सुन कर निहाल हुए जा रहे हैं ! छुपा कर रखा था आपने, अब अभिव्यक्त हो रहे हैं सुन्दरतम !
dhutt tari ke bahut aisan vaisan naayika hai ..theek nahi hai ...naihar neek nahi lagta hai ka...ha ha ha
जवाब देंहटाएंbahut sundar...
haan nahi to..!!
जवाब देंहटाएंManoj Ji,
जवाब देंहटाएंRang Birangi Holi Ki Shubh Kaamnayein.
Surinder Ratti
वाह! आज दुबारा सुना इसे। जय हो!
जवाब देंहटाएं