आगामी ८ फरवरी को वसंत पंचमी है .रीतिकाल के प्रतिनिधि महा कवि देव के वसंत पर व्यक्त मनोभावों को दृष्टिगत रखते हुए आने वाले पूरे (फागुन)महीने का स्वागत किया जाय---
डार द्रुम पलना, बिछौना नवपल्लव के,
सुमन झ्रगूला सोहै तन छबि भारी दै।
पवन झुलावै केकी कीर बहरावै देव,
कोकिल हलावै हुलसावै कर तारी दै
पूरित पराग सों उतारो करै राई लोन,
कंजकली नायिका लतानि सिर सारी दै।
मदन महीप जू को बालक बसंत, ताहि,
प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै||
वसंत के साथ ही फिर हम सब की ओर ग्राम्यांचल में शुरू होगा फाग गायन का धमाल.
एक सामयिक तथा आंचलिक लोक-गीत(अब लगभग विलुप्त )के बोल देखिये जिसमें नायिका तरह-तरह की उपमाओं के जरिये अपनें प्रिय को परदेश जाने से रोक रही है क्योंकि फागुन आने वाला है. ...........
फागुन के दिन नियराने कंत जनि करहूँ विदेश पयाने
देखहूँ कचनार फुलाने ,दिन अधिक-अधिक अधिकाने
बन बिच कोयल शोर मचावे,ऋतु पति आगमन जनावे-कंत जनि करहूँ विदेश पयाने
सब नारि श्रृंगार बनावे,अपने पिय संग मोद मचावे
गावै होली सहित धमारी-चैती -चहका-बेलवाई- कंत जनि करहूँ विदेश पयाने..
फागुन के दिन नियराने कंत जनि करहूँ विदेश पयाने .....
अब आप भी सतर्क हो जाएँ क्योंकि फागुनी हवा का झोंका आपको भी व्यथित करने वाला है........
शनिवार, 5 फ़रवरी 2011
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बसंत, डिप्रैश्न के प्रेमियों के लिए बड़ी भयावह वेला है
जवाब देंहटाएंऋतुराज वसंत का स्वागत सबसे पहले आपने ही किया है ! बधाई !
जवाब देंहटाएंकाजल कुमार के कमेन्ट हमेशा जानदार होते हैं, पढ़कर बरबस मुस्कान आ गयी ....सच तो है !
वे वाकई बदकिस्मत हैं जिन्हें वसंत भी अच्छा नहीं लगता !
शुभकामनायें !
मनोज जी सुंदर कविता का रसास्वादन कराके आपने वासंती व्यार बहाई है, ऋतुराज वसंत का स्वागत. शत शत बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंAchha Agaj hai..
जवाब देंहटाएंफागुन के दिन नियराने कंत जनि करहूँ विदेश पयाने .....
जवाब देंहटाएंsahee hai-fagun aa gya.
जब तक गिरिजेश जी मौन न तोड़े फागुन कैसे अ सकता है ?
जवाब देंहटाएंदेव की कविताई के क्या कहने !
बहुत सुंदर जी, लेकिन हमारे यहां तो अभी बर्फ़ ही बर्फ़ हे.... धन्यवाद
जवाब देंहटाएंइधर मुंबई में अभी थोड़ी थोड़ी बसंती सुगबुगाहट शुरू हो गई है। पीपल के पत्ते कुछ नये नये से....एक तरह की लालिमा लिये दिखने लगे हैं।
जवाब देंहटाएंहमें तो बसंत बहुत सुहाता है ।
जवाब देंहटाएंपीली पीली सरसों के खेत देखकर मन मयूर बन जाता है ।
बसन्त के आगमन पर बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता का रसास्वादन कराके आपने वासंती व्यार बहाई है|ऋतुराज का स्वागत|
जवाब देंहटाएंआप को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ|
सुन्दर कविता। हमे तो कोई खतरा नही सावण हरे न भादों सूखे। बधाई इस रचना के लिये।
जवाब देंहटाएंलो जी बात की बात में देखते देखते बसंत आ पहुंचा और हम अब तक सो ही रहे हैं. करते हैं अब जल्दी से डिप्रेसन में भेजने की तैयारी.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
बसंत की तरह ही अलंकृत रचना है ......सुंदर शाब्दिक अलंकरण प्रभावित करता है.....
जवाब देंहटाएंखुबसूरत कविता के साथ वसंत का स्वागत......शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंregards
ऋतुराज का स्वागत|
जवाब देंहटाएंआप को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ|
वाह! अब दिखा वसंती रंग!
जवाब देंहटाएंऋतुराज का हार्दिक अभिनंदन।
जवाब देंहटाएं---------
समाधि द्वारा सिद्ध ज्ञान।
प्रकृति की सूक्ष्म हलचलों के विशेषज्ञ पशु-पक्षी।
ऋतुराज के स्वागत का मोहक अंदाज़ !
जवाब देंहटाएंबसंत पर लिखी एक मनोहारी प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएं.........................
आप की आज वैवाहिक वर्षगांठ है.हमारी तरफ़ से ढेरों हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ!