कल हमारे विश्वविद्यालय के एक सहयोगी शकुन-अपशकुन को लेकर मुझसे उलझ पडे . कारण यह था कि वे सुबह से ही परेशान थे ,किसी क्लास या ब्याख्यान में उनका मन नही लग रहा था .बार -बार कुरेदे जाने पर उन्होंने कहा कि आज रास्ते में आते समय बिल्ली ने उनका रास्ता काट दिया - देखिये शाम तक क्या होता है .मैंने कहा कि आप भी अजीब हैं ,दुनिया कहाँ से कहाँ पंहुच गयी, एक आप हैं कि अपनी केचुल छोड़ना ही नही चाहते , इस वैज्ञानिक युग में आप भी ......| फिर वे मुझे बताने लगे कि हम लोगों की सांस्कृतिक मान्यता के अनुसार यात्रा में खरगोश ,साँप और बिल्ली का पड़ना अशुभ माना जाता है .एक तो आज दिशा- शूल में एक रिश्तेदार के घर से सीधे विश्वविद्यालय आया और फिर रास्ते में बिल्ली ने रास्ता भी काट दिया . फिर उन्होंने दिशा -शूल को और परिभाषित किया -
सोम ,शनिश्चर ,पूरब न चालू ,
मंगल ,बुध उत्तर दिशि कालू ,
बेफय के दक्खिन जो जाय,
चार लात रस्ते में पाय .
मैंने कहा ये सब बकवास है ,आपकी कोई भी बात वैज्ञानिक मान्यताओ पर खरी नही उतरती ,लेकिन चलिए कुछ देर के लिए यदि हम आप की बात मान भी ले तो अब एक बात हमारी भी सुनिए - हमारे पंचांगों में राहु काल,भद्रा,मृत्युबान सहित कुल ३० मुहूर्त हैं ,आप उनमे से कितनो को आप जानते हैं और कितनों का पालन करते हैं ,इसके साथ ही दिन भर चौघडिया का मुहूर्त रहता है जो समय -समय पर बदलता रहता है .इसमे कई घातक योग होते हैं ,यदि आप यह सब मानते हैं तो आप को सब मानना चाहिए तथा इस हिसाब से महीने के १५ दिन आपको घर के अन्दर ही बंद रहना चाहिए .नौकरी को छोडिये क्या जरूरत है, जान है तो जहान है . मैंने कहा भइये जब से मानव ने जल,थल ,नभ पर कब्जा जमा लिया है तो ये जंगल और बागों में रहने वाले जीव कहाँ जायेंगे . इनका तो वैसे भी गुजारा मानवों के साथ ही प्रारम्भ से रहा है .खैर बहस अधूरी ही रही .उनको कही से तुरंत बुलावा आ गया .लेकिन एक बड़ा सवाल छोड़ गए कि यदि हम मनुष्य, आस -पास रहने वाले इन जीवों से इतना डरेंगें,नफरत करेंगें या फिर अपशकुन मानेंगे तो फिर कहाँ जायेंगे ये खरगोश , साँप और बिल्लियाँ ?
शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2008
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यदि हम मनुष्य, आस -पास रहने वाले इन जीवों से इतना डरेंगें,नफरत करेंगें या फिर अपशकुन मानेंगे तो फिर कहाँ जायेंगे ये खरगोश , साँप और बिल्लियाँ ?
जवाब देंहटाएंबहुत सही सवाल है आपका।
आपने बिल्कुल सही लिखा है ! शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंअब क्या बतायें, राहुकालम चल रहा है। ढ़ंग की टिप्पणी भी कैसे करें! :-)
जवाब देंहटाएंलेकिन एक बड़ा सवाल छोड़ गए कि यदि हम मनुष्य, आस -पास रहने वाले इन जीवों से इतना डरेंगें,नफरत करेंगें या फिर अपशकुन मानेंगे तो फिर कहाँ जायेंगे ये खरगोश , साँप और बिल्लियाँ ?
जवाब देंहटाएं" very well said and question raised really require concern, read it and enjoyed "
regards
मनुष्य के आस -पास रहने वाले इन जीवों में से सबसे खतरनाक जीव मनुष्य ही है, जब हम उससे नफरत करना नहीं छोडते तो खरगोश, बिल्ली तो बेचारे तुच्छ प्राणी हैं :(
जवाब देंहटाएंसबसे बड़ा खतरा तो ख़ुद मनुष्य है इन सब प्राणियो के लिए
जवाब देंहटाएंBahut Theek kaha jee aapne.
जवाब देंहटाएंअरे वाह, आप तो आए और छा गये। ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है।
जवाब देंहटाएंsundar post
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ आपकी बातों से
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ, वैसे बिल्लियों के लिये हम जैसे मनुष्य भी अपशकुनी ही होंगे।
जवाब देंहटाएंnew blog k liye congrates
जवाब देंहटाएंGood Sir ,
जवाब देंहटाएंThis is so good and intrested.
jab tak hindustan hai tab tak dharmik bhawnaye aur rudiwadita sirf hamare aage aane se kuch nahi hooga ham sabhi ko kam se kam 1000 logo ko scinse ki mahata aur rudhiwadita se ho rahe nuksan ke bare me jagruk karna hoga.
जवाब देंहटाएंsaiyed faiz hasnain.
चिता जायज है।
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