गुरुवार, 2 अप्रैल 2009

एपार जौनपुर - ओपार जौनपुर ......2




गतांक से आगे ..........
रामायण में वर्णित है कि कौशल के उत्तर में नेपाल की पहाडियां,दक्षिण में सर्पिका या स्यन्दिका (सई),पूर्व में सदानीरा व गोमती है .इस तथ्य से यह संकेत मिलता है कि छठीं शताब्दी b.c. में अथवा उसके पूर्व भी जौनपुर कौशल के अंतर्गत रहा होगा .इतिहास गवाह है कि जब छठीं शताब्दी b.c.के उत्तरार्ध में चार प्रमुख राजतन्त्रों -मगध ,कोशल ,वत्स और अवन्ति का उदय हुआ तो काशी भी कोशल के अधीन हो गयी .प्रस्तुत साक्ष्यों से यह तादात्म्य स्थापित किया जा सकता है कि जौनपुर भी कोशल के अंतर्गत शामिल रहा होगा .कालान्तर में कोशल तथा मगध के सत्ता संघर्ष में अंततः संपूर्ण कोशल मगध में विलीन हो गया तथा मगध जैसे विशाल राजतन्त्र के अंतर्गत समाहित हुए जौनपुर को स्वयं में एक राजतन्त्र के रूप में स्थापित होनें का अवसर उपलब्ध न हो सका होगा .छठीं शताब्दी b.c. से लेकर दूसरी शताब्दी b.c.के मध्य की आहत मुद्राएँ भी जौनपुर जनपद की सीमा के निकट औडिहार नामक स्थल से प्राप्त हुई हैं . जौनपुर एवं सारनाथ (वाराणसी ) पर भी कुषाणों का आधिपत्य रहा है .इस तथ्य का प्रकाशन उत्खननों से प्राप्त मुद्राओं से हुआ है .जौनपुर से गुप्त मुद्राओं का संग्रह भी प्राप्त हुआ है जिससे यह संभावना भी बलवती दिखाई पडती है कि गुप्तकाल में यह नगर या जनपद ब्यापार विनिमय का उन्नत स्थल रहा होगा .इसमें भी शक की कोई गुंजाईश नहीं है कि यह क्षेत्र विशेष गुप्त शासन सत्ता के अंतर्गत रहा हो क्योंकि आस -पास के जनपदों से प्राप्त गुप्त कालीन अभिलेख इस धरना को पुष्ट करतें है कि यह जनपद गुप्त शासकों के शासन सत्ता के अंतर्गत रहा .यहाँ तक किपरवर्ती गुप्त शासक आदित्यसेन के देववर्णार्क लेख में गोमतीकोत्त्टक शब्द का उल्लेख मिलता है जो कि उसके राज्य क्षेत्र में सम्मिलित था .सम्भावना है कि गोमती तट पर अवस्थित यह शहर भी उसके राज्यकाल का महत्त्वपूर्ण घटक रहा हो तथा ब्यापार -विनिमय का महत्त्वपूर्ण केंद्र भी .इस सम्भावना को नकारा नहीं जा सकता है कि नदियों के किनारों पर बसे प्राचीन ब्यवसायिक पडाव जल यातायात की बहुलता के चलते कालान्तर में नगर में तब्दील हो गए .




निश्चित
रूप से गोमती तट पर बसे इस नगर को प्राचीन काल में अपनी मनोहारी छटा के चलते इसका फायदा मिला हो तथा तत्कालीन भारत में जल यात्रा का यह महत्त्वपूर्ण पड़ाव रहा हो जहाँ
ब्यापार -विनिमय में संलग्न ब्यापारी अपना पड़ाव बनाते रहें हों और जिस कारण यह नगर एक प्रमुख ब्यापारिक प्रतिष्ठान के रूप में स्थापित रहा होगा .इस जनपद के सुदूरवर्ती स्थलों ,जहाँ आज भी आवागमन की बहुलता नहीं हुई है ,वहां ऐसे साक्ष्यों की उपलब्धता अवश्य हो सकती है जिससे यह निश्चित रूप से सिद्ध किया जा सके कि प्राचीन भारत में जौनपुर ब्यापार विनिमय का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव था .
जारी ............................

28 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी जानकारी दी आपने .आगे की पोस्ट का इन्तजार रहेगा.

    रामराम.

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  2. यह जो शाही पुल जिसका नयनाभिराम चित्र -दृश्य दिख रहा है जौनपुर शहर को दो भागों में बांटता है -यहाँ कितनी ही शामें मैंने बिताई हैं ! पुल के द्वारों के मेहराब में मछलियों के ऐसे चित्र उत्कीर्ण हुए हैं जो एक तरफ से देखने पर तो शल्क (स्केल ) वाली लगती हैं मगर दूसरी -ठीक विपरीत दिशा की और से देखने पर बिना शल्क की दिखती हैं -ये चित्र मानों मेरे दिमाग में ही खुद से गए हैं !
    और हाँ यह तो पूछना भूल ही गया कि एपार ओर ओपार माने क्या होता है ! क्या यह स्थानीय बोलचाल की भाषा ( डायिलेटिक्स ) है ? जैसे आमार बांगला सरीखा ही कुछ !

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  3. @ एपार -ओपार का यहाँ मतलब इसपार और उसपार से है . एपार -ओपार शब्द बांग्ला का है और लेकिन अवधी में भी खूब प्रयुक्त होता है ,अवधी में इसका जो तात्पर्य है उसे में बता ही चुका हूँ . और हाँ शिराजे हिंद के बारे में भी मैंने इसके पहले वाली पोस्ट की टिप्पड़ी में लिख दिया है .

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  4. सबसे पहले तो हमारी और से बधाईयाँ, इस उत्कृष्ट तथ्यपरक लेख के लिए. हम इमेल से महाभारत कालीन भारत का एक मानचित्र भेज रहे हैं, संभवतः आपके काम भी आ जाये. दोनों ही चित्र बहुत अच्छे लगे. पहले वाला क्या कोई मस्जिद है? बुलंद दरवाज़े की टक्कर का लग रहा है. नदी पर बना पुल भी बहुत खूबसूरत है. अरविन्द जी के प्रश्न "एपार ओर ओपार माने क्या होता है" का उत्तर है "इस पार और उसपार".. उत्तर भारत के बहुत से बोलियों (dialects) में ऐसा ही प्रयुक्त होता है.

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  5. वाह, एपार जौनपुर, ओपार जौनपुर, अपार जौनपुर!
    एक बार मैं शहर के पास से गुजरकर भी यहां नहीं गया - अफसोस।

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  6. @ धन्यवाद सुब्रमणियन सर , आपका महाभारत कालीन भारत का मानचित्र मिल गया है .आज वाली पोस्ट का पहला चित्र शर्की बंधुओं के समय में बनी बड़ी मस्जिद के अन्दर का चित्र है .जौनपुर पर समग्र इतिहास लेखन के बाद इस विषय पर अंतिम पोस्ट में जौनपुर की ऐतिहासिक भवनों के कलात्मक चित्र ,परिचय सहित प्रस्तुत करूंगा .

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  7. मनोज जी, आपका ब्लॉग देखा...लेख पढ़कर मजा आ गया...जौनपुर की यादें ताजा हो गईं...पता नहीं मैं आपको याद हूं या नहीं...मैनें पूर्वांचल विश्वविद्यालय से ही मॉस कॉम किया है...आपसे मेरी मुलाकात साइंस फिक्शन पर आयोजित कार्यशाला के दौरान हुई थी...मैं उस वक्त हिन्दुस्तान अखबार में कार्यरत मधुकर तिवारी के साथ भी काम करता था...उनके छोटे भाई अनुराग उर्फ मुरारी की याद आपको जरूर होगी...आपके साथ ही विश्वविद्यालय की भी यादें ताजा हो गईं...

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  8. बहुत सुंदर जानकारी ... अगली कडी का भी इंतजार रहेगा।

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  9. आदरणीय पण्डितजी,
    बहुत ही बेहतर ढंग से लिखा गया आलेख आपका सदा याद रहेगा। बहुत बहुत आभार आपका हमारे प्यारे जौनपुर के बारे में लिखने का।
    हम इसे और इसके पहले वाले, दोनों को का॓पी करके अपने पास सुरक्षित प्रिंट रखना चाहते हैं सर। कृपया अपना समझ कर इजाज़त दे दीजिएगा।
    ---आपका बवाल

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  10. कितना कुछ है भारत में जानने के लिए !नयी और अच्छी जानकारी मिली.

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  11. बहुत ही सुंदर , भारत के बारे हम इतना कभी जानते ही नही थे, अब ब्लांग पर कितना कुछ मिल रहा है देकने पढने को,
    आप का धन्यवाद

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  12. सुन्दर जानकारी के साथ सुन्दर आलेख. आभार.

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  13. यह अंक तो बहुत अच्छा रहा!

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  14. वाह.... ये तो हुआ जौनपुर का ब्लाग परिचय. कभी कविसम्मेलन में बुलवा कर साक्षात परिचय करवाइये.

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  15. बहुत बढिया लिखा है - आगे का इँतज़ार रहेगा
    - लावण्या

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  16. अच्छा लगा हा इस बार कि फोटो किसने निकाली थी ?
    इस बार भि घर गया था तो एक शाम शाही पुल पर तो नही लेकिन उसके बगल के सदभावना पुल पर बिताया था काफ़ी सुकुन भरा जगह है .

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  17. बहुत अच्छी और ज्ञानदायक जानकारी ,
    जौनपुर मेरी जन्मभूमि है पर इतना विस्तृत ज्ञान कभी नहीं मिला .
    धन्यवाद

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  18. Please also keep informing about pics. Bridge in beautiful and dirty below water washes away the beauty.

    Till now I heard of Jaunpur only in AIR's 'farmaishi geets'or movies, get to know first time. Thanks. waiting for next one.

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  19. manoj ji aap ne garda macha diya
    pura blog padha lage rehiye
    Badhai

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  20. बहुत अच्छी और ज्ञानदायक जानकारी ....सुन्दर लेख. ....आभार.

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  21. aap ka jaunpur to history ka athah sagar hai jisame aap hi gota laga sakate hai baki kisi ka paar utarana mushkil hi nahi namumkin hai ... rochak janakari ke liye thank you sir .

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  22. My Name>sandeep Mishra
    My> Name Sandeep mishra
    Email ID> sm5754@gmail.com
    Jaunpur ki jai ho

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  23. ये वाला फोटो ही मेरे मन में बसा है। नदी बीच पुल और शीर्षक’ए पार जौनपुर ओ पार जौनपुर’!

    मैं अगर आपके ब्लॉग का पता भूल जाऊं तो याद करने के लिये गूगल से यही लिंक खोजूंगा-
    एपार जौनपुर - ओपार जौनपुर ......

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  24. वाह बहुत बढिया जानकारी. अगली कड़ी के इन्तज़ार में.

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  25. bahut hee shandar. pul ka chitra vishesh roop se achha hai. badhai.

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  26. आज फ़िर इसे देखने का मन किया और ए पार जौनपुर-वो पार जौनपुर से खोजा और बांचा। :)

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