शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

फाग गीत -४-चौताल --खोजे सजनवाँ होली में ........

फागुनी रंग में सरोबार अपनी पिछली पोस्ट बालम मोर गदेलवा, मोहे नीको लागे नैहरवा और उलारा-न देबयकजरवा तोहके और के क्रम में आज फाग राग की एक और विधा चौताल का गायन प्रस्तुत है.फगुआ गायनमें विशेष कर चौताल ( अर्द्ध तीनताल,दादरा,कहरवाऔर फिर अर्द्ध तीनताल ) का आनंद, का क्या कहनेंलेकिन आपको बताते चलें कि अब यह सब विलुप्त हो चला है.इसको यदि संरक्षित किया गया तो यह भविष्य में केवल इतिहास रह जायेगा.
फागुन महीनें में जब गवैयों की भीड़ उल्लास पर हो तो ऐसे-ऐसे गाने होतें हैं कि मारे शरम के भागना भी पड़ जाता है खैर इस समय मैं पडोस के एक गावं में हूँ जहाँ पुराने गायकों की मंडली अपनें प्रचंड फाग -राग पर है .यह एक दुर्लभ संयोग है ,यहीं से रिपोर्टिंग कर रहा हूँ .उम्दा चौताल फिर कभी सुनाऊंगा अभी इस फाग मंडली का चौताल सुनिए,इसकी रिकार्डिंग सीमित संसाधनों के चलते यहाँ अच्छी संभव नहीं हो पाई है जिसके लिए मुझे खेद है - इसलिए इस गीत के पूरे पद मैं नीचे लिख रहा हूँ -
बिन पिया बिरहा तन साले हो अंग हमारे ,
अस मन होई जय जमुना में कूद परों मझधारे ,
नाहि सिधु सरासन में बरु हरी पर जियरा हति डारे ,
हो अंग हमारे ....
गोरी पागल बा गोरी पागल बा ,फागुन महीनवा होली में
एक तो फागुन दूजै चढली जवानी ,
तीजे पागल बा - पागल बा मस्त यौवनवा होली में
होली में कंठी माला टूटा ,
खटिया टूट जाय,टूटै कंगनवा होली में ,
भौजी के संग ननदी बौराइल ,
उहे भागल जाय -भागल जाय,
खोजे सजनवाँ होली में ........
अब गवई गवैयों द्वारा , विलुप्त हो रही इस विधा को सुनिए ...



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अफ़सोस यह कि इस गायकी पर अब कोई लगातार ढोल बजाने वाला भी नहीं है .६७ वर्ष के करीब पहुच रहे लोक संगीत के प्रख्यात ढोल वादक, चौताल सम्राट, बाबू बंशराज सिंह ,जिनका ११ -१२ घंटे अनवरत ढोल बजाने का रिकार्ड रहा है अपनी गम्भीर बीमारी के बावजूद आज भी ढोल बजा रहे हैं और चाहते है कि यह परम्परा सूरज-चाँद के रहनें तक अबाध गति से चलती रहे.अब सुनिए वह स्वयं अपनें शिष्य पंडित कृष्ण नन्द उपाध्याय के साथ चौताल पर एकल ढोल वादन कर रहे हैं ,हर पद पर ,रंग बदलती हुई ढोल......




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24 टिप्‍पणियां:

  1. होली की खुब सारी शुभकामनाये आप ओर आप के परिवार को.
    वाह जी ऎसा लगता है कि हम भी वही कही बेठे है ओर भांग पी कर झुम रहे है, पहला गीत मस्त तो दुसरे मै ढोलक की थाप ओर मंजिरे ने रंग भर दिया ओर ढोलक की थाप ने कदमो को नाचने पर मजबुर कर दिया.
    धन्यवाद

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  2. अपको व आपके परिवार को होली की बहुत बहुत शुभकामनायें

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  3. "फाग-गीत" अच्छा लगा मंगल-मिलन "होली" की हार्दिक शुभकामनाएं

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  4. अहा!! आनन्द आ गया..बढ़िया चौपाल कवरेज!! और लाईये!!

    रिपोर्टिंग जारी रहे.

    ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
    प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
    पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
    गले लगा लो यार, चलो हम होली खेलें.


    आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

    -समीर लाल ’समीर’

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  5. क्या बात है भाई ... मज़ा आ गया .

    आप को होली की शुभ कामनाए !!

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  6. आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक...!

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  7. बहुत बढिया फ़ाग गीत.

    आपको होली पर्व की घणी रामराम.

    रामराम

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  8. वाह वाह! आनन्द आ गया!
    होली की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  9. ठीक लिख रहे हैं...पहले में बोल स्पष्ट नहीं सुनाई दे रहे हैं
    दूसरे में ढोल ...आहा..गजबै है.

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  10. होली के मनभावन पर्व पर मनभावन पोस्ट...होली की शुभकामनायें !!

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  11. जित देखौ उत फाग. जित देखौ उत रंग बरस्यो ऐसो कि खेले बिन कोई रहो नाँय.

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  12. बहुत सुन्दर प्रयास
    हार्दिक बधाई.

    होली पर आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं.

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  13. फाग मंडली का चौताल बहुत अच्छा लगा .
    रेकॉर्डिंग ठीक hai.
    live रेकॉर्डिंग के हिसाब से अच्छी है.
    =--
    second recording mein dhol vadan wakayee nayab hai!
    bahut hi badhiya!
    **aap ke इस प्रयास में लोकगीतों का एक अनूठा और अद्भुत संकलन बन जाएगा .

    bahut bahut abhaar.
    आपको सपरिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं

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  14. आप को होली की हार्दिक शुभकामनाये
    सच आप जैसे लोग न हो तो हमजैसे लोगों को यह पता ही न चल पाए की हमारी धरती पर ये कलाएं अभी भी मौजूद है । आप का आभार ...

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  15. आपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

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  16. -----आपनें तो समाँ बाँध दिया है ,सारी की सारी पोस्ट संग्रह करनें योग्य बन गयी है.
    कमाल की पोस्ट -----यही फायदा है जब आप जैसा व्यक्ति समस्त संसाधनों के साथ गांव में रह कर जन सेवा में सक्रिय हो तो ऐसी ही पोस्ट पढनें को मिला करेगी ,वर्ना यहाँ शहर मेंकहाँ है यह सुख .-------

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  17. वाह! वाह! फ़िर फ़िर सुनने के लिये आयेंगे!

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे ब्लॉग जीवन लिए प्राण वायु से कमतर नहीं ,आपका अग्रिम आभार एवं स्वागत !