दीप की लौ मचल रही होगी रूह करवट बदल रही होगी | रात होगी तुम्हारी आंखों में नींद बाहर टहल रही होगी ||
चैन सन्यास ले लिए होगा पीर टाले न टल रही होगी | तुम चिता देख कर न घबराओ आत्मा घर बदल रही होगी||
जगमगाती है उनकी आँखे तो रोशनी दिल में पल रही होगी | यह जो खुशबू है ,फूल के तन से जान उसकी निकल रही होगी ||
एक आवारा गूँज तो इनके उनके सीने में ढल रही होगी जिसको दो गज जमीन भी न मिली वह जफर की गजल रही होगी || (जौनपुर के महाकवि स्व .पंडित रूप नारायण त्रिपाठी जी की बहुप्रशंसित रचना )
जबकभीहोमुलाकातमनसेमिलें रोशनीमेंधुलेआचरणसेमिले दोक्षणोंकामिलनभीबहुतहैअगर लोगउन्मुक्तअन्तःकरणसेमिले || (रचना-अवधी एवं हिन्दी के कालजयी लोक कवि स्व .पंडित रूपनारायण त्रिपाठी जी, जौनपुर )
एकपलहीजियो ,फूलबनकरजियो , शूलबनकरठहरनानहींजिन्दगी || अर्चनाकीसजोयेहुएअंजली , तुमकिसीदेवतासेमिलोतोसही | जिन्दगीकीयहाँअनगिनतडालियाँ , तुमकिसीपरसुमनबनखिलोतोसही || एकपलहीजियो ,तुमसुरभिबनजियो , धूलबनकरउमड़नानहींजिन्दगी || तम -भरी वीथीयों के अधूरे सपन , कुमकुमी बांसुरी पर बजाते चलो | रात रोये हुए फूल की आँख में , ज्योति की नव किरण तुम सजाते चलो || एक पल ही जियो प्रात बन कर जियों , रात बन कर उतरना नहीं जिन्दगी | चेतना के किसी भी क्षितिज से उठो , याचना के नयन -कोर परसा करो | जिस लहर पर उड़ो,जिस डगर पर बहो , कामना की सुधा -बूँद बरसा करो || एक पल ही जियो ,तुम जलद बन जियो , वज्र बन कर घहरना नहीं जिन्दगी | वेदना की लहर में डुबोये न जो , धार में डूबते को किनारा बने , शोक जब श्लोक की पूनमी छावं में , पंथ -हारे हुए को किनारा बने || एक पल ही जियो ,गीत बन कर जियो , अश्रु बनकर बिखरना नहीं जिन्दगी | काल के हाथ पर भाव की आरती , बन सदा स्नेह से लौ लगाते चलो , देह को ज्योति-मन्दिर बनाते चलो , साँस की हर लहर जगमगाते चलो || एक पल ही जियो ,दीप बन कर जियो , धूम बन कर घुमड़ना नहीं जिन्दगी |
(जौनपुरकेप्रख्यातकवि " साहित्य वाचस्पति " श्रीपालसिंह " क्षेम " केद्वारालिखी गयी यहरचना१९५५से१९६७केबीचकभीसृजितकीगयीथी.इसकी लोकप्रियता का आलम यह है कि तत्कालीन दौर में तथा आज भी कविसम्मेलनोंमेंश्रोताओंकीसबसेपसंदीदारचनाहुआकरतीहै.)
अरे चौकिये नहीं ,मैं किसी आण्विक अस्त्र के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ .हमारे जिला मुख्यालय से ५० किलोमीटर दूर एक बाज़ार है नाम है सुजानगंज .वहां की एक मिठाई बहुत प्रसिद्द है उसका नाम है एटम-बम .जो इस मिठाई के बारे में नही जानता वह बाज़ार में इस मिठाई का नाम सुन कर चौक जाता है .किसी भी मिठाई की दुकान पर जाइये तो वहाँ एटम बम -एटमबम ही सुनायी पड़ता है .एटम बम खायेंगे या कितने कीलो एटम बम दूँ यही आवाजें आती -जाती रहती हैं .इस मिठाई को देखने से यह राज - भोग का भ्रम पैदा करता है लेकिन यह राजभोग से थोड़ा अलग किस्म की मिठाई है औरशुद्ध गाय के छेने से बनने वाली इस मिठाई का वजन है लगभग १७० ग्राम प्रति .अच्छे -अच्छे लोग इसे एक बार में नहीं खा सकते . हालाँकि हम लोग तो बचपन से ही इसके बारे में परिचित हैं लेकिन दो दिन पहले यहीं एक बारात में मैं शामिल हुआ तो सोचा क्यों न आप सब को भी इससे परिचित कराता चलूं .
ताज़ा -ताज़ाएटमबम
सभी दुकानें एटमबम की
यहसज्जनकितनामगनहैंएटमबमखानेमें
और अब दूसरी खबर देखिये - जो कि पर्यावरण प्रेमियों के लिए काफी दुखद है वह यह कि सई नदी की पीड़ा देखी नहीं जाती .इसी बाज़ार के पास से ही प्राचीन नदी "सई" गुजरती है जो कि पूरे क्षेत्र के लिए वरदान से कम नहीं है ,लेकिन वह वरदान अब अभिशाप होने जा रहा है .पूरी की पूरी नदी का पानी काला पड़ गया है .इंसानों की बात तो दूर जानवर भी आस-पास नहीं फटकते .मछलियाँ ही नहीं , नदी में कोई भी जलीय जीव नहीं दिखाई पड़ता है.यह नदी काफी प्राचीन है इसका उल्लेख गोस्वामी तुलसी दास जी नें अपने श्री राम चरित मानस में भी किया है ,जब भरत जी चित्रकूट से वापस आ रहे थे - सई उतरि गोमती नहाए ,चौथे दिवस अवधपुर आये | जनकु रहे पुर बासर चारी ,राज काज सब साज सम्भारी || (अयोध्या कांड, दोहा संख्या ३२१)
कई सामाजिक संगठन इस नदी में व्याप्त प्रदूषण के निवारण लिए संघर्ष कर रहें हैं पर कोई नहीं सुन रहा है .मुझे लगता है यह हालात तो वाकई चिंता जनक है लेकिन सरकारी महकमें को और जल प्रदूषण विभाग को यह भयावह हालात क्यों नहीं दिख रहा है .
. ये नदियाँ हमारी जिंदगानी हैं ,इनके बगैर हमारा भी कोई अस्तित्व न रहेगा .कौन हरेगा सई की पीडा को ? क्या इस दौर में फिर कोई भागीरथ पैदा होगा ? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो कि मुझे कल से ही बेचैन किये हैं . गंगा के लिए तो आवाज़ उठाने वाले कई हैं ,इन नदियों के लिए आवाज़ कौन उठाएगा ?
राउरबाबाकेसमाधिकेऊपरपार्वती -सरस्वतीकीप्रतिमाहै .बाबाकीसमाधिकेपीछेउनकीपत्नीसतीभुनगाकीसमाधिहै .वहीपरसटीहुईहनुमानजीकीभीमूर्तिहै .परिसरमेंश्रीरामचन्द्रजी -लक्ष्मन-सीताजीकीभीमूर्तियाँहैं .जनश्रुतिकेअनुसारप्रभुश्रीरामचन्द्रजीद्वारासभीतीर्थोंसेलायेगएजलकोइससरोवरमेंडालागयाहैइसलिएगंगादशहराकेदिनइसपवित्रसरोवरकाजलअमृतमयहोताहै .इसस्थानको "रामगया " भीकहाजाताहै .कहाजाताहैकि१५०वर्षपूर्वमीरजापुरकेहरसुखदासमोहताकापूरापरिवारप्लेगकीबीमारीकेचलतेनष्टहोगयाथातबराउरबाबाकीकृपासेहीउनकावंशआगेचलपाया ,अपनीमृत्युकेपूर्वहरसुखदासमोहतानेंअपनेपरिवारीजनोंकोयहनिर्देशदियाथाकिप्रतिवर्षज्येष्ठमासशुक्लपक्षदशमीतिथिकोमेरेसमस्तवंशजगंगादशहराकेदिनबाबाकेदरबारमेंआयेंगे .मैंनेभीदेखाकिउसपरिवारकेसभीसदस्यइसमेलेमेंआयेथे .खासबातयहहैकिअबयहपरिवारकाफीबढ़चुकाहैऔरदेशकेकईप्रान्तोंमेंनिवासकररहाहैलेकिनआस्थाऐसीकिसबकेसबबाबाकीसमाधिकीपूजामेंलीनथे .इसमेलेमेंआनेवालेलोगस्थानीयकमहोतेंहैंलेकिनकोलकाता,मुंबई ,कटक ,भुवनेश्वर ,रायपुरऔरविजयनगरआदिस्थानोंसेकाफीलोगइसमेलेमेंआतेहैं . एकसप्ताहतकचलनेंवालेइसमेलेमेंहरजगहकेवलओझाईऔरभूत -प्रेतकेनिवारणकाहीचक्करदिखाईपड़ताहै .गंगादशहराकेंदिनमेलाअपनेंचरमपरहोताहैफिरदो -तीनबादतकसमाप्तहोजाताहै .औरसबसेखासबातयहकियहएकमामलेमेंअनोखाहैकियहाँपुरोहितकाकार्यब्राह्मणनहींकरते ,यहाँपरपुरोहितपरम्परागतरूपसेएकपरिवारकाहोताहैजोकिपिछडीजाति (बिन्द )है .यहाँ भूतों को उतरने की क्रिया देख कर मैं दंग हूँ .इस परिसर में कैमरा लेकर घूमना खतरे से खाली नहीं है .मेरे साथ एक सम्मानित हिन्दी दैनिक के पत्रकार ओंकार जी हैं उन्होंने सारी तस्वीरों को चुपके -चुपके लिया .कोई देख लेता तो मुसीबत थी ,तब भी हम लोग बेहतरीन दृश्यों को अपने कैमरे में कैद नहीं कर पाए .यह हमारे इक्कीसवीं सदी के भारत की तस्वीर है ऐसे में हम भाई जाकिर जी को क्या बताएं .अभी ज्ञान का सूरज लगता है लम्बा समय लेगा उदय होनें में ....
Sifat dan Tabiat ular kobra ( Pawang Ular )
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Tinggal jauh dari mereka di musim kawin ular! Jika tidak, baca Kkage
......PJ Deoras buku terkenal "Ular dari India" (NBC TV, New Delhi) adalah
kesempatan ...
युवराज का एक और त्याग !
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" युवराज राहुल गाँधी ने दोयम दर्जे से रेलयात्रा की !"
देश धन्य धन्य हो गया. समाचार पत्रों में मुख्य पृष्ठ पर छापने के लिए हमारी
मीडिया को कोटि कोटि प्रणाम...
Melaka (Malaysia) 4 (Concluding)
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Authored by
PN Sampath Kumar,
Cochin Shipyard, Kochi
The rule by the English East India Company, Calcutta, attracted Indians to
Melaka and other p...
Daryaganj in aerocity
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Daryaganj in aerocity पढ़कर चौंकिए मत । दरअसल में daryaganj एक रेस्टोरेंट
का नाम है जो कि एयरोसिटी में है । यूं तो एक दो बार हम लोगों ने वहां से
खाना मंग...
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"करम का लेख" विशेषण रहित है, अर्थात भेद-भाव से परे……………यह बहुतों को बुझाता
नहीं और प्रमाण के लिए वैज्ञानिक तथ्य की गुहार करने लगता है और अन्ततः तभी
बुझाती...
Deads Rise - Review
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A Zombie Thriller!
Arvind Mishra
It's a new arrival written by Shawn Whitney. Who is an award-winning
screenwriter with three feature film credits an...
एक उद्योगपति की मौत
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एक खेत मजदूर अक्सर खेत मजदूर के घर या छोटे किसान के घर पैदा होता है, मजदूरी
करना उसकी नियति है, वह वहीं काम करते हुए अभावों में जीवन जीता है। उसकी
आकांक्षा...
खूब पहचानती हूँ
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खूब पहचानती हूँ
मैं…….
तुमको और तुम्हारे
समाज के नियमों को
जिनके नाम पर
हर बार…….
मुझे तार-तार किया जाता है
किन्तु अब…..
मेरी आँख का धुँधलका
दूर हो चुका है
...
शनि राहु युति के परिणाम
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*इष्ट देव सांकृत्यायन*
*श्री गुरुचरणकमलेभ्यो नमः*
आज 29 मार्च से शनि भी वहीं आ जाएंगे जहाँ राहु, बुध, शुक्र, सूर्य, चंद्र और
नेप्चून पहले से बैठे हैं...
वादा किया वो कोई और था, वोट मांगने वाला कोई और
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तिवारी जी जब से कुम्भ से लौटे हैं तब से बस अध्यात्म की ही बातें करते हैं।
कई ज्ञानी जो उनकी बातें सुनते हैं वो पीठ पीछे यह भी कहते सुने जाते हैं कि
तिवार...
कॉन्सेप्चुअल फ्रेमवर्क
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सामाजिक विज्ञान को विज्ञान की उपाधि जरूर किसी ऐसे व्यक्ति ने दी होगी जिसे
लगा होगा कि विज्ञान को विज्ञान कहना *डिस्क्रिमिनेशन* हो चला है। विज्ञान और
तार्...
Open AI वाले सैम ऑल्टमैन
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सैम ऑल्टमैन की प्रोफेशनल जर्नी एक टेक entrepreneur के तौर पर 19 साल की उम्र
से शुरू हुई, जब उन्होंने Stanford University से dropout करके अपनी पहली
startup ...
रंग चैत्र महीने के
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*रंग चैत्र के ...*
चैत्र का महीना बदलाव का महीना है , नए रंग में कुदरत जैसे खुद से मिला कर
सम्मोहित करती है।
अमृता ने इसी महीने से जुड़ा बहुत कुछ ...
कितना मुश्किल है बच्चो !
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दस दिवसीय सेवारत प्रशिक्षण के पश्चात प्राप्त ज्ञान |
हमने जाना बच्चों !
कितना मुश्किल होता है
फिर से बच्चों जैसा बनना |
हमने जाना बच्चों !
कितना उबाऊ ...
मछली का नाम मार्गरेटा..!!
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मछली का नाम मार्गरेटा..
यूँ तो मछली का नाम गुडिया पिंकी विमली शब्बो कुछ भी हो सकता था लेकिन मालकिन
को मार्गरेटा नाम बहुत पसंद था.. मालकिन मुझे अलबत्ता झल...
2025 में विवाह मुहूर्त कब है ?
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Marriage dates in 20252025 में विवाह मुहूर्त कब है ?
[image: Marriage dates in 2025]
भारतवर्ष में हिंदू धर्म में प्रत्येक मांगलिक कार्यों में शुभ मुहूर्त ...
ब्लागिँग सेमिनार की शुरुआत रवि-युनुस जुगलबंदी से
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और ये उद्घटान हो गया। उद्घटान नहीँ भाई उद्घाटन हो गया-ब्लागिँग सेमिनार का।
वर्धा विश्वविद्यालय के हबीबा तनवीर सभागार मेँ वर्धा विश्वविद्यालत द्वारा
आय...
कहते है हिन्दूस्तानी है हम....(सत्यम शिवम)
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कहते है हिन्दूस्तानी है हम,
पर जुबान पे अंग्रेजों की भाषा बसती है,
देख के अपनी विलायती तेवर,
हिन्दी हम पर यूँ हँसती है।
क्या बचपन में पहला अक्षर,
माँ कहने मे...
महिला दिवस पर आत्ममुग्ध
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इस बार का महिला दिवस तो मेरे लिए बे-रौनक ही होने वाला था। बच्चों की परीक्षा
का समय और श्रीमान जी की परदेसी नौकरी। मैं तो बस सोशल मीडिया और फोन के सहारे
घ...
आ अब लौट चलें ब्लाग की ओर
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प्यारे भतीजो और भतिजीयों, ताऊ की होली टाईप रामराम. आज सबसे पहले तो मैं सुश्री
रेखा श्रीवास्तव जी द्वारा संपादित *"ब्लागरों के अधूरे सपनों की कसक"* पुस्तक
क...
तुम्हारे लिए
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मैं उसकी हंसी से ज्यादा उसके गाल पर पड़े डिम्पल को पसंद करता हूँ । हर सुबह
थोड़े वक्फे मैं वहां ठहरना चाहता हूँ । हंसी उसे फबती है जैसे व्हाइट रंग ।
हाँ व्...
शिक्षक दिवस
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शिक्षक दिवस नज़दीक आरहा है, किन्तु शिक्षकों की दशा देख मन घबरा रहा है।
वर्तमान में सर्वाधिक चर्चित एवं आरोपित
शिक्षक ही है। वह अनेक आलोचनाओं का शिकार हो रह...
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कहानी---
सफ़ेद कपड़ों मेँ लिपटा झूठ
-अब माधुरी बहिन जी आपसे कुछ कहेंगीं । माधुरी बहिन ने माइक संभाला। बोलना
शुरू किया। धर्म, अध्यात्म से होकर वे पारिवारिक ...
किताब मिली - शुक्रिया - 22
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दुखों से दाँत -काटी दोस्ती जब से हुई मेरी
ख़ुशी आए न आए जिंदगी खुशियां मनाती है
*
किसी की ऊंचे उठने में कई पाबंदियां हैं
किसी के नीचे गिरने की कोई भी हद ...
नए साल के संकल्प
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आज नया साल शुरू हुए पाँचवा दिन शुरू हो गया। अभी तक नए साल के संकल्प तक नहीं
फ़ाइनल किए। ऐसे कहीं होता है?
सोशल मीडिया पर कुछ न कुछ लिखने की आदत ऐसी ह...
संयोग और गंगा मइया का बुलावा क्या होता है?
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हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi
#PrayagrajMahaKumbhMela2025 में हमारा चौथी बार प्रयागराज जाने का संयोग बना।
इस बार #KultureKumbh2025 में दो स...
टिन्डिस (Tyndis) जिसे पोन्नानि कहते हैं
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रोमन साम्राज्य के अभिलेखों में भारत के दक्षिणी तट के टिन्डिस (Tyndis) नामक
बंदरगाह का उल्लेख मिलता है और आज के “पोन्नानि” को ही इतिहासकारों ने टिन्डिस
होने...
आसपास में सब चेतन है
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<<< आसपास में सब चेतन है >>> हाल ही में मेरी बिटिया आई मेरे पड़ोसी टुन्नू
पंडित की बिटिया की शादी के अवसर पर। शादी के बाद वह वापस जाते हुये मेरे घर
में काम...
शोर्ट कंटेंट का बढ़ता चलन
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पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शॉर्ट फॉर्म कंटेंट का प्रचलन
तेजी से बढ़ रहा है। इंस्टाग्राम रील्स , यूट्यूब शॉर्ट्स जैसे प्लेटफॉर्म्स
अब ...
निर्मल बाबा केवल एक नहीं है : अन्तर सोहिल
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इंदु आहूजा, लाल किताब वाले गुरूदेव और अन्य बहुत सारे ज्योतिष बताने और
यंत्र बेचने वाले टीवी चैनलों के जरिये धर्मांध जनता को शोषित कर रहे हैं। कई
बार तो लग...
मैं एक दिन धूप में
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मैं एक दिन धूप में
घर की दीवारों पर बैठ
घर की दीवारों की बातें
उसे सुना बैठा
और उसका हाथ
दीवार से हमेशा के लिए
हटा बैठा
उसका साथ
दीवारों से हमेशा के लि...
और इस तरह मारा मैंने अपने बोलने को
-
————
मुझे कुछ बोलना था
पर मैं नहीं बोला
और ऐसा नहीं है कि
मैं बोलता तो वे सुन हीं लेते लेते
पर मैं नहीं बोला
मैं नहीं बोला जब कि मुझे
एक बंद कमरे से बोलने क...
ब्रहमताल झील की ट्रेकिंग: भाग 2
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*अचानक बाहर से महेश और चाचाजी के चिल्लाने की आवाजों से आँख खुली महेश बाहर से मेरे *
*टेंट के ऊपर पड़ी बर्फ को झाड़ रहा है मैं टेंट से बाहर आयी तो देखा जमीन...
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* गज़ल *
रहे बरकत बुज़ुर्गों से घरों की
हिफाजत तो करो इन बरगदों की
खड़ेगा सच भरे बाजार में अब
नहीं परवाह उसको पत्थरों की
रहे चुप हुस्न के बढ़ते गुमां पर
रही...
इंतज़ामअली और इंतज़ामुद्दीन
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हि न्दी में इन दिनों ये दो नए मुहावरे भी चल पड़े हैं। अगर अभी आप तक नहीं
पहुँचे हैं तो जल्दी ही पहुँच जाएँगे। चीज़ों को संवारने, तरतीब देने,
नियमानुसार क...
Resep Tempe Bacem Praktis - Resep Masakan 4
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Resep Tempe Bacem Praktis dan Enak. Tempe di bacem adalah resep yang sering
kita jumpai, tahukah anda bagaiman cara membuat makanan ini?. Ternyata eh
terny...
बाग में टपके आम बीनने का मजा
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मेरे मित्र प्रोफेसर Sandeep Gupta पिछले दिनों अपने बाग के आम लेकर आए थे।
उनके साथ मैं पहले बाग देखकर आया था लेकिन तब आम कच्चे थे। बरौली से 2
किलोमीटर पहल...
कल्पना...!
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छत पर सूखते कपड़ों से रह-रह कर टपक रहे पानी के छीटों से परेशान चींटी कभी
दायें ओर मुड़ती-कभी बायें ओर। एकाध बार ठहर भी गई लेकिन छींटे थे कि फिर से
आगे ज...
नीली गोली के बाद अब गुलाबी गोली को हरी झंडी!
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पुरुषों के बेहतर प्रदर्शन के लिए मददगार विख्यात नीली गोली (वियाग्रा) के
बाद अब अमेरिकन महिलाओं को भी जल्द ही महिला यौन रोग के उपचार के नाम पर पहली
बार " ग...