धर्म से ओत-प्रोत हमारे इस महान देश की अजब परम्पराएँ और चलन हैं.साल भर हर मुद्दे पर जिनका निरादरकरो -उसी का एक दिन विधिवत पूजन-अर्चन और नमन. आज का दिन हम लोंगो की तरफ कुमारी कन्याओं कादिन होता है.श्री राम नवमी के दिन सुबह-सबेरे हमारी तरफ ही नहीं, मैं समझता हूँ पूरे हिन्दी भाषी राज्यों मेंकुमारी कन्याओं का विधिवत पूजन-अर्चन के साथ भोजन कराया जाता होगा .इधर साल दर साल मैं महसूस कररहा हूँ कि बालक -बालिका अनुपात स्पष्टतया दृष्टिगोचर भी होने लगा है.कई लोंगो से पूछनें पर पता चला कि ९ कीसंख्या में हर जगह कुमारियाँ नहीं मिल पायीं.घर-घर पूजन -भोजन होना है ,मुहल्ले -बस्तियों में कई घर ऐसेमिल जायेंगे जहाँ कुमारी कन्याएं ही नहीं है ,तो ऐसे में कैसे हो घर-घर पूजन ।
ऐसा लगता है कि समाज की विकृत सोच- कन्या भ्रूण हत्या और पुत्रवान भव की परम्परा नें अब अपना रंगदिखाना शुरू कर दिया है .इस सोच नें सामाजिक ताने-बाने का कितना नुकसान किया इसका आकलन सहज नहींहै .काश आज के दिन जितना सम्मान व पूजन हर घर इन कन्याओं का होता है वह साल के सभी दिनों में कायमरह जाए? यह सदविचार हर-एक के मन में हर दिन बना रह जाय?? आज के दिन शक्ति की अधिष्ठात्री से यही मेरी विनम्र प्रार्थना है........
कौन........
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कौन रुसवाइयों के लिए ठहरता है ‘बवाल’ ?
मौत के वास्ते, दीदार से ही काम निकाल !!
*---बवाल*
10 वर्ष पहले